गुजरात: पिछले पांच वर्षों में पुलिस हिरासत में सर्वाधिक 80 लोगों की मौत हुई

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा संसद में पेश राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात के बाद पिछले पांच साल में महाराष्ट्र में 76, मध्य प्रदेश में 49, उत्तर प्रदेश में 41, तमिलनाडु में 40, बिहार में 38, राजस्थान में 32, पंजाब में 31, पश्चिम बंगाल में 30 और दिल्ली में 29 लोगों की मौत हिरासत में हुई है.

(प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार: Flickr/CC BY NC ND 2.0)

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा संसद में पेश राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात के बाद पिछले पांच साल में महाराष्ट्र में 76, मध्य प्रदेश में 49, उत्तर प्रदेश में 41, तमिलनाडु में 40, बिहार में 38, राजस्थान में 32, पंजाब में 31, पश्चिम बंगाल में 30 और दिल्ली में 29 लोगों की मौत हिरासत में हुई है.

(प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार: Flickr/CC BY NC ND 2.0)

नई दिल्ली: पिछले पांच वर्षों में हिरासत में हुईं मौतों के मामले में गुजरात देश में पहले स्थान पर है, जहां 80 आरोपियों की हिरासत में मौत के मामले सामने आए हैं.

इस संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्र सरकार की ओर से राज्यसभा में यह जानकारी दी गई है. उन्होंने पिछले पांच वर्षों के दौरान पुलिस हिरासत में हुईं सभी मौतों का राज्यवार ब्योरा मांगा था.

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा संसद में पेश राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की एक रिपोर्ट के अनुसार गुजरात में 2017-18 में हिरासत में 14, 2018-19 में 13, 2019-20 में 12, 2020-21 में 17 और 2021-22 में 24 मौतें हुईं. इस प्रकार 2017 से 2022 के बीच यहां ऐसे 80 मामले दर्ज किए गए हैं.

एनएचआरसी द्वारा प्रदान किए गए ये आंकड़े 01/04/2017 से 31/03/2022 तक के हैं.

आंकड़ों के अनुसार, गुजरात के बाद पिछले पांच साल में महाराष्ट्र में 76, मध्य प्रदेश में 49, उत्तर प्रदेश में 41, तमिलनाडु में 40, बिहार में 38, राजस्थान में 32, पंजाब में 31, पश्चिम बंगाल में 30, दिल्ली में 29, असम और कर्नाटक में 28-28, हरियाणा में 24, झारखंड में 21 और ओडिशा में 20 लोगों की मौत हिरासत में हुई है.

विभिन्न राज्यों में हिरासत में मौत के आंकड़े. (स्रोत: राज्यसभा)

इसके अलावा इन पांच सालों में केरल में 15, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 14-14, मेघालय में 9, तेलंगाना में 8, हिमाचल प्रदेश और मणिपुर में 7-7, उत्तराखंड में 6, मिजोरम और जम्मू कश्मीर में 4-4, त्रिपुरा में 3, नगालैंड में 2, गोवा, सिक्किम तथा अंडमान और निकोबार में हिरासत में मौत के 1-1 मामले दर्ज किए गए हैं.

वहीं, केंद्रशासित चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, लद्दाख, लक्षद्वीप और पुदुचेरी में हिरासत में मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है.

गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता हिरेन बैंकर ने कहा, ‘महात्मा गांधी और सरदार पटेल के गुजरात में हिरासत में मौतों की बढ़ती संख्या राज्य के लिए शर्म की बात है. कानून का शासन एक सभ्य समाज को नियंत्रित करता है. हालांकि, भाजपा सरकार द्वारा कैद का इस्तेमाल करना सत्ता का दुरुपयोग है.’

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, गृह मंत्रालय ने संसद में कहा, ‘गुजरात राज्य की जेलों में 13,999 कैदियों की क्षमता है. वर्तमान में यहां की जेलों में 16,597 कैदी रखे गए हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि संख्या स्पष्ट रूप से दिखाती है कि गुजरात की जेलें 2,598 अतिरिक्त कैदियों से भरी हुई हैं.’

पिछले महीने गृह मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला था कि देश भर में पिछले तीन वर्षों में पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों की संख्या में लगभग 60 प्रतिशत और पिछले दो वर्षों में 75 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.

आंकड़ों से यह भी पता चला कि ऐसे मामलों की संख्या महाराष्ट्र में 10 गुना, केरल और बिहार में तीन गुना और गुजरात, उत्तर प्रदेश तथा कर्नाटक में दो गुना बढ़ी है.

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