कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे गए पत्र में देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर हो रही ट्रोलिंग को रोकने के लिए कार्रवाई करने का निवेदन किया गया है. पत्र पर कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी, सपा और शिवसेना (यूबीटी) सांसदों ने भी हस्ताक्षर किए हैं.
नई दिल्ली: 13 विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे एक पत्र में कानून के शासन में दखल का आरोप लगाते हुए उनसे देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ के खिलाफ हो रही ऑनलाइन ट्रोलिंग को लेकर तत्काल कार्रवाई करने का निवेदन किया है.
Opposition MPs write to President Droupadi Murmu seeking action against those supporting and sponsoring online trolling of Chief Justice of India DY Chandrachud who is hearing the Maharashtra politics case. #CJIDYChandrachud #Maharashtra pic.twitter.com/loItTTqyYX
— Bar & Bench (@barandbench) March 17, 2023
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 16 मार्च की तारीख वाले इस पत्र में कहा गया है, ‘हम सभी अवगत हैं कि भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ महाराष्ट्र में सरकार के गठन और राज्यपाल की भूमिका के एक महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दे पर सुनवाई कर रही है. जहां यह मामला अदालत में है, वहीं महाराष्ट्र में सत्ताधारी दल के हित के लिए संभावित रूप से सहानुभूति रखने वाली ट्रोल सेना ने भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ एक आक्रामक अभियान छेड़ दिया है. उनके शब्द और सामग्री अभद्र और निंदनीय हैं, जिसे सोशल मीडिया मंचों पर लाखों लोगों द्वारा देखा जा रहा है.’
यह पत्र कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा द्वारा लिखा गया है और इस पर पार्टी के सांसद दिग्विजय सिंह, शक्तिसिंह गोहिल, प्रमोद तिवारी, अमी याग्निक, रंजीत रंजन, इमरान प्रतापगढ़ी के साथ ही आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा, शिवसेना (उद्धव गुट) की प्रियंका चतुर्वेदी और समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन और राम गोपाल यादव ने समर्थन करते हुए दस्तखत किए हैं. तन्खा ने इसी मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को भी अलग से पत्र लिखा है.
पत्र में आरोप लगाया गया है कि महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के महाराष्ट्र में विश्वास मत की कार्रवाई, जिसके चलते पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई थी और एकनाथ शिंदे गुट और भाजपा की सरकार सत्ता में आई थी, की वैधता से संबंधित मामले की सुनवाई के बाद ऑनलाइन ट्रोल्स ने सीजेआई और न्यायपालिका पर हमला किया. ज्ञात हो कि फ्लोर टेस्ट महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ पार्टी शिवसेना के जून 2022 में दो गुटों में बंटने के बाद हुआ था, जिसके पहले ठाकरे की अगुवाई वाली एमवीए सरकार सत्ता में थी.
इससे पहले नवंबर 2022 में संविधान दिवस के अवसर पर पूर्व सीजेआई एनवी रमना ने मीडिया, विशेष रूप से सोशल मीडिया में न्यायपालिका पर ‘बढ़ते’ हमलों पर चिंता जताई थी.
उन्होंने कहा कि ये हमले ‘प्रायोजित, सिंक्रोनाइज़… प्रेरित और निशाना बनाकर किए गए लगते हैं और केंद्रीय एजेंसियों को इनसे ‘प्रभावी ढंग से’ निपटना चाहिए.
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया था कि सीजेआई रमना ने उन्हें पत्र लिखकर सोशल मीडिया पर होने वाली न्यायाधीशों की आलोचना पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाने का अनुरोध किया था. हालांकि, रिजिजू ने कहा कि कानून के जरिये जजों की आलोचना पर रोक लगाना संभव नहीं है.