प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित लोगों में से सिर्फ़ 22 प्रतिशत को ही नौकरी मिली

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को पहली बार साल 2015 में सरकार द्वारा कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तहत पेश किया गया था, जिसका उद्देश्य युवाओं को कौशल प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित करना था.

(फोटो साभार: फेसबुक)

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को पहली बार साल 2015 में सरकार द्वारा कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तहत पेश किया गया था, जिसका उद्देश्य युवाओं को कौशल प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित करना था.

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नई दिल्ली: मोदी सरकार की कुछ प्रमुख योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) का रोजगार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता नहीं दिख रहा है.

बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, 14 मार्च 2023 तक इस योजना के तहत प्रशिक्षित लोगों में से केवल चार में से एक या 22.2 प्रतिशत को ही नौकरी मिली थी.

पीएमकेवीवाई के अब तक तीन चरण 2015-16, 2016-20 और 2020-2022 हुए हैं. दूसरा चरण सबसे लंबा रहा था और इस दौरान सबसे अधिक 109.98 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया था.

इसमें उच्चतम प्लेसमेंट प्रतिशत (नौकरी पाने की दर) भी 23.4 प्रतिशत था. पहले चरण में 19.86 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया गया और प्लेसमेंट प्रतिशत 18.4 प्रतिशत था. तीसरे चरण में 4.45 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया गया और प्लेसमेंट प्रतिशत 10.1 प्रतिशत रहा था.

केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस सप्ताह की शुरुआत में संसद में कहा था कि सरकार जल्द ही योजना के चौथे चरण की शुरुआत करेगी.

बिजनेस स्टैंडर्ड ने पीएमकेवीवाई के हवाले से बताया है कि 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से तीन – महाराष्ट्र, लक्षद्वीप तथा अंडमान निकोबार – में 14 मार्च 2023 तक 10 प्रतिशत से कम उम्मीदवारों को नौकरी मिल सकी थी.

प्लेसमेंट के मामले में शीर्ष राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लद्दाख (57.65 प्रतिशत), मिजोरम (41.16 प्रतिशत), पंजाब (39.26 प्रतिशत), सिक्किम (38.32 प्रतिशत) और पुडुचेरी (34.09 प्रतिशत) शामिल हैं.

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को पहली बार 2015 में सरकार द्वारा कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तहत पेश किया गया था, जिसका उद्देश्य युवाओं को कौशल प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित करना था.

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