राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में 19 नए ज़िले और 3 संभागों की घोषणा की है, जिसमें राजधानी जयपुर और जोधपुर को चार ज़िलों में बांटा गया है. अब राज्य में कुल ज़िलों की संख्या 50 हो जाएगी. विपक्षी भाजपा ने इस निर्णय को राजनीति से प्रेरित क़रार दिया है.
नई दिल्ली: इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में 19 नए जिले और 3 संभागों की घोषणा की है.
द प्रिंट की खबर के अनुसार, शुक्रवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री गहलोत ने यह घोषणा करते हुए इन क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 2,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं.
गहलोत ने कहा, ‘भौगोलिक दृष्टि से राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है और कुछ स्थान अपने जिले के मुख्यालय से 100 किलोमीटर से अधिक दूर है इसलिए लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है. छोटे जिलों से प्रभावी प्रशासन, प्रबंधन और कानून-व्यवस्था पर नियंत्रण आसान हो जाता है. देश के विभिन्न राज्य नए जिले बनाने में आगे रहे हैं. इसलिए, राज्य के अंदर नए जिले बनाने की मांग की जा रही थी.’
इस घोषणा से पहले राज्य में 33 जिले हैं. जयपुर और जोधपुर को चार जिलों में बांटा गया है- जयपुर उत्तर, जयपुर दक्षिण, जोधपुर पूर्व और जोधपुर पश्चिम.
19 नए जिले हैं- अनूपगढ़, जो गंगानगर का हिस्सा था; बालोतरा (बाड़मेर); ब्यावर (अजमेर); केकड़ी (अजमेर); डीग (भरतपुर); डीडवाना-कुचामन (नागौर); दूदू (जयपुर); गंगापुर सिटी (सवाई माधोपुर); जयपुर उत्तर; जयपुर दक्षिण; जोधपुर पूर्व; जोधपुर पश्चिम; कोटपूतली-बहरोड़ (जयपुर-अलवर); खैरथल (अलवर); नीमका थाना (सीकर); फलोदी (जोधपुर); सलूंबर (उदयपुर); सांचौर (जालोर); और शाहपुरा (भीलवाड़ा). इस प्रकार अब राज्य में कुल जिलों की संख्या 50 हो जाएगी.
उल्लेखनीय है कि पूर्व में कई विधायक यह मांग उठा चुके थे कि उनके कस्बों को जिला बनाया जाए. पचपदरा से कांग्रेस विधायक मदन प्रजापत ने पिछले चुनाव से पहले बालोतरा को नया जिला घोषित किए जाने का वादा किया था. पिछले साल मार्च में उन्होंने विधानसभा के बाहर चप्पल उतारते हुए कहा थे कि वे बालोतरा के जिला बनने तक नंगे पांव ही रहेंगे.
बता दें कि नए जिलों की घोषणा 15 साल बाद हुई है. इससे पहले जनवरी 2008 में प्रतापगढ़ राज्य का 33वां जिला बना था. अब . इससे करीब 14 साल पहले हनुमानगढ़ को जिला बनाया गया था. संभाग मुख्यालय संबंधी आखिरी घोषणा 2005 को हुई थी, जब भरतपुर को राज्य का सातवां संभाग बनाया गया था.
भाजपा ने कहा- राजनीतिक हितों के लिए की गई घोषणा
इस घोषणा को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस की रणनीति के हिस्से के रूप में भी देखा जा रहा है. इसे लेकर विपक्षी भाजपा ने ‘व्यक्तिगत राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति’ का आरोप लगाया है. पार्टी ने इस फैसले की वित्तीय व्यवहार्यता पर भी सवाल उठाए हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने कहा कि नए जिले बनाने की प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण तथ्यों की अनदेखी की गई है जिससे जनता को प्रशासनिक जटिलताओं का सामना करना पड़ेगा.
नये ज़िले बनाए जाने की प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण तथ्यों को नज़रअंदाज़ कर दिया गया है। जिस कारण नये ज़िले बनने से होने वाली सुगमता के बजाय जनता को प्रशासनिक जटिलताओं का सामना करना पड़ेगा। #Rajasthan
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) March 17, 2023
उन्होंने यह भी जोड़ा, ‘कांग्रेस सरकार की नई घोषणाएं अपने व्यक्तिगत राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति करने का प्रयास भर है. इस कोशिश में उन्होंने राजस्थान के पूरे आर्थिक तंत्र को दांव पर लगा दिया है, जिसका खामियाजा आने वाले वर्षों में प्रदेश और प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ेगा.’
उधर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि कांग्रेस सरकार को जनमत के दबाव में यह फैसला लेना पड़ा.
पूनिया ने कहा, ‘झूठी घोषणाओं से राज्य के लोग गुमराह नहीं होंगे क्योंकि राज्य का हर वर्ग महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, पेपर लीक, बिगड़ती कानून व्यवस्था और किसानों की पूरी कर्जमाफी जैसे विभिन्न मुद्दों से परेशान है.’