वर्ष 2023-24 के लिए पश्चिम बंगाल का मनरेगा फंड नहीं जारी करेगा केंद्र: रिपोर्ट

वर्तमान में केंद्र सरकार पर राज्य का 7,500 करोड़ रुपये बकाया है, जिसमें से अकेले श्रम मज़दूरी 2,744 करोड़ रुपये है. यह निर्णय पिछले सप्ताह पश्चिम बंगाल प्रशासन और केंद्र के साथ 13 मार्च को हुई बैठक के बाद लिया गया.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/Indian Nation Congress)

वर्तमान में केंद्र सरकार पर राज्य का 7,500 करोड़ रुपये बकाया है, जिसमें से अकेले श्रम मज़दूरी 2,744 करोड़ रुपये है. यह निर्णय पिछले सप्ताह पश्चिम बंगाल प्रशासन और केंद्र के साथ 13 मार्च को हुई बैठक के बाद लिया गया.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/Indian Nation Congress)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 में पश्चिम बंगाल के लिए जारी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की धनराशि को रोकने का निर्णय लिया है.

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने यह कदम मनरेगा की धारा 27 को लागू कर उठाया है, जो राज्य द्वारा योजना के कार्यान्वयन में नियमों के उल्लंघन के लिए धन को रोकने की अनुमति देता है.

द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र ने पहली बार जमीनी सर्वेक्षण के आधार पर दिसंबर 2021 में नियम लागू किया था, जिसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और दिशानिर्देशों के उल्लंघन का खुलासा हुआ था. वर्तमान में केंद्र सरकार पर राज्य का 7,500 करोड़ रुपये बकाया है, जिसमें से अकेले श्रम मजदूरी 2,744 करोड़ रुपये है.

मतलब कामगार, जो अपने किए गए काम के लिए अवैतनिक रहते हैं, उन्हें उस मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया है, जिसके वे अधिनियम के तहत हकदार हैं.

यह निर्णय पिछले सप्ताह पश्चिम बंगाल प्रशासन और केंद्र के साथ 13 मार्च को हुई बैठक के बाद लिया गया. सूत्रों के अनुसार, राज्य ने 32 करोड़ व्यक्ति दिवस मांगे थे.

पश्चिम बंगाल सरकार के एक अधिकारी ने कहा, ‘अब तक केंद्र सरकार ने फंड रोकने का कारण नहीं बताया है. हमने मंत्रालय के अतिरिक्त सवालों का उत्तर देते हुए पिछले साल सितंबर में एक कार्रवाई रिपोर्ट और दिसंबर में एक संशोधित उत्तर प्रस्तुत किया था. तब से हमें कोई और सवाल नहीं मिला है और न ही मंत्रालय से कोई जवाब मिला है कि वे धारा 27 को उठाने की योजना बना रहे हैं या नहीं.’

राज्य की नवीनतम मांग अपने पिछले रिकॉर्ड के अनुरूप है. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, राज्य ने 2021-22 में 36 करोड़ व्यक्ति दिवस, 2020-21 में 41 करोड़, 2019-2020 में 27 करोड़ और 2018-19 में 33 करोड़ व्यक्ति दिवस का उपयोग किया.

रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल देश का एकमात्र राज्य है, जिसके खिलाफ यह धारा लागू की गई है.

अधिनियम की धारा 27 में कहा गया है, ‘केंद्र सरकार किसी भी योजना के संबंध में इस अधिनियम के तहत दी गई धनराशि के अनुचित उपयोग के संबंध में कोई शिकायत प्राप्त होने पर अगर प्रथमदृष्टया संतुष्ट है कि गड़बड़ी हुई है, तो उसके द्वारा नामित किसी एजेंसी द्वारा की गई शिकायत की जांच करा सकती है और अगर जरूरी हो, तो योजना के लिए धन जारी करने पर रोक लगाने का आदेश भी दे सकती है.’