पिछले पांच वर्षों में सशस्त्र बल के 50,000 से अधिक कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ी: गृह मंत्रालय

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा एक संसदीय पैनल को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में सबसे ज़्यादा 2022 में 11,884 कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ी है. इस अवधि के दौरान सबसे अधिक नौकरी बीएसएफ से छोड़ी गई. 

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा एक संसदीय पैनल को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में सबसे ज़्यादा 2022 में 11,884 कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ी है. इस अवधि के दौरान सबसे अधिक नौकरी बीएसएफ से छोड़ी गई.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा एक संसदीय पैनल को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में 50,000 से अधिक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ी है. सबसे ज्यादा 2022 में 11,884 कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ी है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, 17 मार्च को राज्यसभा में पेश की गई गृह मंत्रालय की 242वें डिमांड्स फॉर ग्रांट रिपोर्ट के अनुसार, संसदीय समिति ने पिछले पांच वर्षों में ‘आत्महत्या और कार्रवाई में लापता (एमआईए)’ सहित सीएपीएफ कर्मचारियों के बारे में जानकारी मांगी थी.

इस पर गृह मंत्रालय ने जवाब दिया कि साल 2018 से 2022 के बीच पिछले पांच वर्षों में 654 सीएपीएफ कर्मचारियों ने अपनी जान दी है.

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के बाद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में आत्महत्या की उच्चतम दर देखी गई है, जबकि सबसे कम आत्महत्या दर राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) में है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘साल 2018 से 2022 के बीच पिछले पांच वर्षों के दौरान सीएपीएफ से जुड़े 50,155 कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दी. इस अवधि के दौरान सबसे अधिक नौकरी बीएसएफ से छोड़ी गई. उसके बाद नौकरी छोड़ने वालों की संख्या सीआरपीएफ में सबसे अधिक रही, जबकि नौकरी छोड़ने वालों की सबसे कम संख्या एसएसबी में है.’

इसके अनुसार, ‘2021 और 2022 के बीच असम राइफल्स में नौकरी छोड़ने वालों की संख्या 123 से बढ़कर 537 हो गई. सीआईएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) में यह संख्या 966 से बढ़कर 1,706 हो गई है, जबकि एसएसबी में यह संख्या 553 से घटकर 121 रह गई थी.’

समिति ने कहा कि नौकरी छोड़ने का यह स्तर सीएपीएफ में काम करने की स्थिति को प्रभावित कर सकता है और इसलिए कर्मचारियों को बल में बने रहने के लिए प्रेरित करने के लिए काम करने की स्थिति में सुधार के लिए तत्काल उपाय किए जा सकते हैं.

समिति ने यह भी सिफारिश की कि सीएपीएफ तैनाती की एक रोटेशन नीति का पालन कर सकता हैं, ताकि जवान लंबे समय तक कठिन और दुर्गम परिस्थितियों में न रहें.

समिति का मानना है कि इससे न केवल पसंदीदा स्थानों पर ट्रांसफर की प्रवृत्ति को कम करने में मदद मिल सकती है, बल्कि कुछ हद तक नौकरी छोड़ने की समस्या को भी दूर करने में मदद मिल सकती है.

समिति ने आगे सिफारिश की है कि मंत्रालय को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति और इस्तीफा देने वाले कर्मचारियों के बीच एग्जिट इंटरव्यू या सर्वे करना चाहिए, ताकि कर्मचारियों की नौकरी छूटने के कारकों का आकलन किया जा सके और कर्मचारियों की चिंताओं को दूर करने के लिए उचित उपाय किए जा सकें, ताकि बल में नौकरी छोड़ने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जा सके.