गिरिडीह ज़िले के कोसोगोंदोदिघी गांव में मारपीट के मामले में के एक आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस की एक टीम ने बुधवार आधी रात उनके घर पर छापेमारी की थी. उनके परिजनों का आरोप है कि इस दौरान एक पुलिसकर्मी ने चारपाई पर सोए सात दिन के नवजात शिशु पर पांव रख दिया, जिससे उसकी मौत हो गई.
नई दिल्ली: झारखंड के गिरीडीह जिले के कोसोगोंदोदिघी गांव में बुधवार तड़के पुलिस की टीम ने एक मकान पर छापा मारा था, जिसमें एक नवजात की मौत हो गई थी. परिवार का आरोप है कि नवजात को पुलिसकर्मी के जूते के नीचे कुचल दिया गया था.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गुरुवार को प्रारंभिक जांच के बाद झारखंड पुलिस की उक्त टीम में शामिल रहे छह पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया.
परिजनों की शिकायत के आधार पर पुलिस टीम के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज कर ली गई है. पुलिस ने कथित तौर पर नवजात पर पैर रखने वाले पुलिसकर्मी का नाम नहीं बताया है.
पुलिस और परिवार ने बताया कि छापेमारी नवजात के दादा भूषण पांडे को पूर्व में दर्ज एक मारपीट के मामले में गिरफ्तार करने के लिए की गई थी.
कच्चे मकान में रहने वाले किसान और कुछ समय पुजारी का काम करने वाले पांडे ने इस अख़बार से कहा, ‘रात के करीब 3 बजे पुलिस ने दरवाजे पर दस्तक दी. चूंकि मेरे खिलाफ एक मारपीट का मामला दर्ज है और मैं एक बार जेल जा चुका हूं, इसलिए मैं डर गया था. मेरे सात बच्चे हैं. सबसे छोटा बच्चा पांच साल का है, और मुझे डर था कि अगर मुझे फिर से गिरफ्तार किया गया तो मेरे बच्चे भूखे मर जाएंगे. इसलिए मैं भाग गया. एक घंटे बाद फोन आया कि मेरा नवजात पोता नहीं रहा.’
पिछले ही हफ्ते बच्चे को जन्म देने वालीं पांडे की बहू नेहा देवी ने बताया कि जब पुलिस कथित तौर पर अंदर घुस आई, उस समय वह बच्चे के साथ खाट पर सो रही थीं और उनकी सास और पति जमीन पर सो रहे थे.
सिसकते हुए नेहा ने बताया, ‘पुलिस ने धक्का देकर दरवाजा खोला और मेरे ससुर को ढूंढते हुए हम पर चिल्लाना शुरू कर दिया. हमने कहा कि वो घर पर नहीं हैं, लेकिन उन्होंने हमें धमकाना शुरू कर दिया. हम घबरा गए और जैसे ही हम सब आंगन की ओर भागे, तो मैंने देखा कि एक पुलिसकर्मी उस खाट पर कूद रहा है जहां मेरा बच्चा सोया था.’
घर की छत पर लकड़ी के तख्ते लगे हुए हैं, नेहा के मुताबिक पुलिसकर्मी शायद यह देखने के लिए खाट पर खड़ा हुआ कि कहीं पांडे मचान में तो नहीं छिपे हैं.
नेहा ने बताया कि पुलिस के साथ बातचीत के दौरान उन्हें याद आया कि उन्होंने बच्चे को कुछ देर से नहीं देखा है. उन्होंने बताया, ‘मुझे एहसास हुआ कि वह इस सारे हंगामे के बाद भी वो नहीं रो रहा था. मुझे लगा कि शायद वह सो रहा है क्योंकि मैंने उसे कुछ समय पहले ही दूध पिलाया था. लेकिन जब मैंने उसे देखा तो उसका शरीर ठंडा पड़ा था और वो सांस नहीं ले रहा था. उसकी गर्दन लाल थी और मैंने जूते के निशान देखे. तभी मुझे समझ में आया की क्या हुआ होगा. मैंने पुलिसवाले को खाट पर कूदते देखा था. मेरे बेटे को कुचलकर मार डाला. मेरे बेटे को मारने वाले को सजा मिलनी चाहिए.’
कोसोगोंदोदिघी गांव के मुखिया धनेश्वर महतो ने कहा कि पांडे द्वारा उन्हें बताए जाने के बाद वह बच्चे का शव देखने गए थे. उन्होंने कहा, ‘शव पर जूते के स्पष्ट निशान थे.’
जिला पुलिस अधीक्षक अमित रेणु ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘पांडे की शिकायत के आधार पर हमने पुलिसकर्मियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (लापरवाही से मौत) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है.’
घटना के बारे में बात करते हुए पांडे का एक वीडियो सोशल मीडिया पर आने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पुलिस को जांच शुरू करने के निर्देश दिए थे.
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बुधवार को कहा कि लापरवाही करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.