संसद की कार्यवाही के बार-बार स्थगित होने के बीच दो बार केंद्रीय बजट को पारित करने के असफल प्रयास हुए थे. गुरुवार शाम विपक्ष द्वारा बताए गए संशोधनों को ध्वनिमत से ख़ारिज करते हुए इसे मात्र 12 मिनट के भीतर पारित कर दिया गया.
नई दिल्ली: लोकसभा ने गुरुवार (23 मार्च) को 2023-24 के केंद्रीय बजट को केवल 12 मिनट में बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया. यह ऐसे समय में हुआ है जब संसद बार-बार स्थगित हो रही है.
द ट्रिब्यून के अनुसार, अनुदान और विनियोग विधेयकों की मांगों को दो स्थगनों के बाद लिया गया. ज्ञात हो कि विपक्ष जनवरी में सामने आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट में सामने आए तथ्यों को लेकर अडानी समूह पर लगे धोखाधड़ी और स्टॉक हेरफेर के आरोपों पर चर्चा पर जोर दे रहा है. वहीं, भाजपा ब्रिटेन में की गई टिप्पणी के लिए राहुल गांधी से माफी मांगने को लेकर संसद की कार्यवाही बाधित कर रही है.
बजट को पारित करने के दो असफल प्रयासों के बाद आखिरकार इसे गुरुवार शाम 6 बजे के क़रीब केवल 12 मिनट में पारित कर दिया गया. स्पीकर ओम बिरला ने विपक्ष द्वारा सुझाए गए संशोधनों को वोट के लिए रखा था और उन्हें ध्वनि मत से खारिज कर दिया गया.
इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 के लिए अनुदान मांगों और संबंधित विनियोग विधेयकों को पेश किया.
द ट्रिब्यून के मुताबिक, स्पीकर ने मतदान के लिए सभी मंत्रालयों की अनुदान मांगों को रखा. इस समय विपक्षी सांसद विरोध और नारेबाजी कर रहे थे, लेकिन मांगों को यूं ही पारित कर दिया गया, जहां विभिन्न मंत्रालयों को अनुदान पर कोई चर्चा नहीं हुई.
ये विधेयक अब राज्यसभा में जाएंगे, जहां इन पर सांसद चर्चा कर सकते हैं लेकिन उन्हें संशोधित नहीं कर सकते.
बजट से संबंधित एक औपचारिकता अब भी बाकी है, जहां संसद को वित्त विधेयक पारित करना है, जिसमें निर्मला सीतारमण द्वारा टैक्स नीति में प्रस्तावित बदलाव शामिल हैं.
The worst message from a parliamentary democracy is to approve a Budget without discussion
Rs 45,03,097 crore will be raised and spent for the 'people' in 2023-24 without the people's representatives offering their views on the Budget
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) March 24, 2023
उधर, कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है.’ उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, ‘संसदीय लोकतंत्र द्वारा दिया सबसे खराब संदेश बिना चर्चा के बजट को मंजूरी देना है. 2023-24 में 45,03,097 करोड़ रुपये जनप्रतिनिधियों द्वारा बजट पर अपने विचार पेश किए बिना ‘जनता’ के लिए जुटाए और खर्च किए जाएंगे.’
तृणमूल कांग्रेस ने भी इसे लेकर सरकार पर निशाना साधा. माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने एक ट्वीट में कहा कि 45 लाख करोड़ रुपये चुने हुए प्रतिनिधियों के विचार के बिना भारतीय लोगों के नाम पर खर्च किया जाएगा! मोदी ने संसदीय लोकतंत्र का मजाक बना दिया है.