‘वित्त विधेयक 2023’ को 45 संशोधनों के साथ बीते शुक्रवार को लोकसभा में पारित किया गया. इस दौरान विपक्षी सदस्य अडानी मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच की मांग कर रहे थे. बीते 23 मार्च को केंद्रीय बजट को बिना बहस के सिर्फ़ 12 मिनट में पारित कर दिया गया था.
नई दिल्ली: लोकसभा में बीते शुक्रवार को बिना बहस के ‘वित्त विधेयक 2023’ को 45 संशोधनों के साथ पारित किया गया. इस दौरान विपक्षी सदस्य सदन में विरोध करते हुए अडानी मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच की मांग कर रहे थे.
यह विधेयक 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष के लिए कर प्रस्तावों को प्रभावी करता है. इससे पहले बीते गुरुवार (23 मार्च) को केंद्रीय बजट को बिना बहस के सिर्फ 12 मिनट में पारित कर दिया गया था.
जैसा ही केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त विधेयक 2023 को निचले सदन लोकसभा में पेश किया, विपक्षी सदस्यों द्वारा कॉरपोरेट घराने के साथ केंद्र सरकार के संबंधों की जांच की मांग के समर्थन में नारेबाजी की जाने लगी. कार्यवाही के दौरान विपक्षी सांसदों ने ‘मोदी, अडानी, बाय बाय’ के नारे लगाए.
विधेयक को पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार को सिफारिशें मिली हैं कि सरकारी कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में सुधार की जरूरत है.
फिर उन्होंने ‘पेंशन के इस मुद्दे को देखने और आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए राजकोषीय विवेक बनाए रखते हुए कर्मचारियों की जरूरतों को पूरा करने वाले दृष्टिकोण को विकसित करने के लिए’ वित्त सचिव के तहत एक समिति स्थापित करने का प्रस्ताव रखा.
उन्होंने कहा कि दृष्टिकोण, केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा अपनाने के लिए डिजाइन किया जाएगा.
वित्त विधेयक को 64 आधिकारिक संशोधनों के बावजूद बिना किसी चर्चा के बाद में पारित कर दिया गया, जिसमें ऋण म्युचुअल फंड की कुछ श्रेणियों पर दीर्घावधि कर लाभ वापस लेने की मांग भी शामिल है. एक और संशोधन जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना का प्रावधान करता है.
द वायर ने पहले बताया था कि कैसे बीते 23 मार्च को लोकसभा ने 2023-24 के केंद्रीय बजट को केवल 12 मिनट में बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया. यह भी उस समय हुआ था, जब सदन विपक्ष के विरोध का गवाह बन रहा था.
रिपोर्ट में कहा गया था कि अनुदान और विनियोग विधेयकों की मांगों को दो स्थगनों के बाद लिया गया. ज्ञात हो कि विपक्ष जनवरी में सामने आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट में सामने आए तथ्यों को लेकर अडानी समूह पर लगे धोखाधड़ी और स्टॉक हेरफेर के आरोपों पर चर्चा पर जोर दे रहा है. वहीं, भाजपा ब्रिटेन में की गई टिप्पणी के लिए राहुल गांधी से माफी मांगने को लेकर संसद की कार्यवाही बाधित कर रही है.
बजट को पारित करने के दो असफल प्रयासों के बाद आखिरकार इसे 23 मार्च को शाम 6 बजे के करीब केवल 12 मिनट में पारित कर दिया गया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्ष द्वारा सुझाए गए संशोधनों को वोट के लिए रखा था और उन्हें ध्वनि मत से खारिज कर दिया गया.
इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-2024 के लिए अनुदान मांगों और संबंधित विनियोग विधेयकों को पेश किया.
द ट्रिब्यून के मुताबिक, लोकसभा अध्यक्ष ने मतदान के लिए सभी मंत्रालयों की अनुदान मांगों को रखा. इस समय विपक्षी सांसद विरोध करने के साथ नारेबाजी भी कर रहे थे, लेकिन विभिन्न मंत्रालयों को अनुदान पर कोई चर्चा हुए बिना मांगों को पारित कर दिया गया.
कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बाद में बिना किसी चर्चा के बजट पारित करने के तरीके की आलोचना करते हुए कहा था कि यह ‘संसदीय लोकतंत्र का सबसे खराब संदेश’ था.
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