मनरेगा योजना को लेकर केंद्र सरकार की कुछ नीतियों के ख़िलाफ़ मज़दूर पिछले एक महीने से दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. बीते 24 मार्च को दिल्ली विश्वविद्यालय में इस प्रदर्शन के समर्थन में हुए एक कार्यक्रम के दौरान छात्रों और कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था, उन्हें कई घंटों के बाद छोड़ा गया.
नई दिल्ली: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के मजदूर इस योजना पर केंद्र सरकार के कथित हमले के खिलाफ नई दिल्ली में एक महीने से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
मोबाइल ऐप-आधारित उपस्थिति और आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) को रद्द करने, मनरेगा बजट में वृद्धि, मजदूरी का समय पर भुगतान और लंबित मजदूरी जारी करना आदि उनकी प्रमुख मांगें हैं.
सरकार द्वारा हाल ही में तीन निर्णय लिए गए हैं. पहला, मनरेगा बजट में एक तिहाई की कटौती कर दी गई है, दूसरा मोबाइल ऐप आधारित उपस्थिति (नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम) प्रक्रिया शुरू की गई है और तीसरा आधार-आधारित भुगतान प्रणाली को अनिवार्य बना दिया गया है.
Delhi police abruptly stopped Jean Dreze, Richa Singh, Com. Somnath and students at Delhi University while conducting a program at DU Arts Faculty on the ongoing attack on NREGA by the central government. pic.twitter.com/7z84lHznT7
— NREGA Sangharsh (@NREGA_Sangharsh) March 24, 2023
मजदूर संगठन ने इसे इस योजना पर सरकार का ‘तीन तरफा हमला’ बताया है.
एक महीने के लंबे विरोध के बावजूद सरकार की ओर से अब तक उनकी इन मांगों को लेकर कोई जवाब नहीं आया है. इस बीच बीते 24 मार्च को जब प्रदर्शनकारियों के समर्थन में दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में कला संकाय के छात्रों और अन्य कार्यकर्ताओं ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था तो उन्हें कई घंटों तक हिरासत में रखा गया.
Delhi police is silencing the right of peaceful protestors to hold public discussions on issues crucial for the poor of the nation. Let us resist this and protest harder.
— NREGA Sangharsh (@NREGA_Sangharsh) March 24, 2023
इस विरोध का आयोजन करने वाले नरेगा संघर्ष मोर्चा ने घटना के बाद जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि ‘कलेक्टिव’ नामक एक छात्र संगठन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, संगठित किसान मजदूर संगठन की कार्यकर्ता ऋचा सिंह और हरियाणा में जन संघर्ष मंच के सोमनाथ को संबोधित करना था.
बयान में कहा गया है, ‘कार्यक्रम अभी शुरू ही हुआ था कि दिल्ली पुलिस ने अचानक इसे रोक दिया और आयोजकों, वक्ताओं तथा अन्य छात्रों को मौरिस नगर पुलिस स्टेशन ले जाया गया.’
संगठन ने दावा किया है कि सोमनाथ, डीयू के दो छात्रों और एक विदेशी छात्र को पुलिस ने तीन घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया.
#1Month of protest against the assault on #NREGA : Students and Activists Detained by the @DelhiPolice Join us for Press Conference at #JantarMantar from 2PM
We share our difficulties on organising the NREGA protest, Police repression, shrinking democracy and Right to Protest pic.twitter.com/FlgszdprIa
— NREGA Sangharsh (@NREGA_Sangharsh) March 24, 2023
नरेगा संघर्ष मोर्चा के राजशेखर कहते हैं, ‘दिल्ली में प्रदर्शन के लिए निर्धारित स्थल, जंतर मंतर पर भी विरोध का आयोजन करना आसान नहीं रह गया है. पुलिस हिरासत से ठीक एक दिन पहले प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं को विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की पूर्व अनुमति प्राप्त करने के बावजूद जंतर मंतर से हटा दिया गया था.’
उनके अनुसार, आम आदमी पार्टी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के लिए जगह बनाने के लिए कार्यकर्ताओं को विरोध स्थल खाली करने या पुलिसकर्मियों द्वारा बलपूर्वक हटाने के लिए कहा गया था.
संगठन ने बयान में कहा है कि उसके एक दिन पहले भी भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित एक रैली द्वारा मजदूरों के विरोध के अधिकार को बाधित किया गया था. भाजपा कार्यकर्ताओं ने अधिकांश विरोध स्थल पर कब्जा कर लिया, जबकि अन्य सभी प्रदर्शनों को किनारे कर दिया गया था.
बयान में कहा गया है, ‘प्रदर्शनकारी माइक खरीदने में असमर्थ थे और यहां तक कि उन्हें बैठने के लिए अपनी दरी लानी पड़ी, क्योंकि उन्हें पुलिस बैरिकेड्स से पार एक छोटी सी जगह दी गई थी.’
पिछले एक महीने में श्रमिक के प्रतिनिधिमंडलों ने अपनी शिकायतों को प्रस्तुत करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधिकारियों से मिलने का प्रयास किया है, लेकिन उनका कहना है कि उन्हें ‘बार-बार लौटा दिया गया’.
उनका आरोप है कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने भी संसद में मनरेगा से संबंधित कोई शिकायत प्राप्त होने से इनकार किया.
बीते 21 मार्च को झारखंड के श्रमिकों के प्रतिनिधिमंडल और ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव शैलेश कुमार सिंह और संयुक्त सचिव अमित कटारिया के बीच बैठक बिना किसी ठोस चर्चा के समाप्त हो गई. संगठन का कहना है कि अधिकारी ‘उनके मुद्दों के बारे में प्रतिबद्ध नहीं थे’.
बयान के अनुसार, पश्चिम बंगाल के श्रमिक जिनकी मजदूरी दिसंबर 2021 से लंबित है और उन्हें वित्त वर्ष 2022-23 के माध्यम से कोई मनरेगा कार्य नहीं दिया गया है, ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पास शिकायत दर्ज की है.
मालूम हो कि मनरेगा के कार्यान्वयन में चिंता के तीन प्रमुख क्षेत्र हैं. इसमें हाल ही में बजट में 33 प्रतिशत की कटौती, काम की मांग करने वाले कर्मचारियों को वापस करना और कार्यक्रम के तहत पेश किया गया निराशाजनक मेहनताना शामिल हैं.
मालूम हो कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मनरेगा के तहत सबसे कम राशि का आवंटन किया गया है. 2023-24 बजट में मनरेगा के लिए आवंटन में आश्चर्यजनक रूप से भारी कमी करते हुए इसे 60,000 करोड़ रुपये किया गया. वित्त वर्ष 2023 के लिए संशोधित अनुमान 89,400 करोड़ रुपये था, जो 73,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमान से अधिक था.
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