इस साल 1-2 जनवरी को जम्मू कश्मीर के राजौरी ज़िले के ऊपरी डांगरी गांव में आतंकवादियों द्वारा सात नागरिकों की हत्या मामले में जांच में कोई प्रगति न होने से पीड़ित परिवारों ने नाराज़गी जताई है. परिवारों ने मुआवज़ा राशि और मृतक आश्रित नौकरी छोड़ने की भी बात कही है.
नई दिल्ली: इस साल 1-2 जनवरी को जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले के ऊपरी डांगरी गांव में आतंकवादियों द्वारा सात नागरिकों की हत्या मामले में जांच में कोई प्रगति न होने को लेकर पीड़ित परिवारों के सदस्यों ने बीते सोमवार (27 मार्च) को क्षेत्र से पलायन करने और प्रशासन द्वारा प्रदान की गई अनुग्रह राशि और नौकरी छोड़ने की चेतावनी दी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एक जनवरी की शाम को आतंकवादियों की गोलीबारी में अपने दो बेटों – दीपक (27) और प्रिंस (21) को खोने वाली सरोज बाला ने कहा, ‘आतंकवादियों द्वारा मेरे दोनों बेटों की हत्या किए हुए 90 दिन बीत चुके हैं, लेकिन सरकारी एजेंसियों ने हमें इस मामले में अपनी जांच की प्रगति के बारे में सूचित नहीं किया है.’
बड़े भाई दीपक को एक हफ्ते बाद लद्दाख में सेना के फील्ड आयुध डिपो में ड्यूटी जॉइन करनी थी. प्रिंस जल शक्ति विभाग में कार्यरत थे.
सरोज ने कहा, ‘आतंकवादियों द्वारा हमारे बच्चों की हत्या के बाद सरकार द्वारा प्रदान की गई नौकरियों और धन का हम क्या करेंगे. हम पहले ही मर चुके हैं, हम केवल अपने बच्चों के लिए न्याय चाहते हैं.’
उन्होंने अधिकारियों से उन लोगों के नामों का खुलासा करने के लिए भी कहा, जिन्होंने आतंकवादियों को रसद सहायता प्रदान की थी, जैसा कि खुफिया एजेंसियों ने दावा किया था.
एक अन्य ग्रामीण सतपाल, जिन्होंने एक जनवरी के हमले में अपने बेटे सतीश कुमार को खो दिया था, चाहते हैं कि अधिकारी उस बैंक खाते का विवरण दें, ताकि वह अनुग्रह राशि वापस कर सके.
डांगरी पंचायत के सरपंच धीरज शर्मा ने ग्राम रक्षकों को प्रदान की गईं बंदूकें वापस करने की चेतावनी दी.
जम्मू कश्मीर पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह के हालिया बयान का हवाला देते हुए कि ‘आतंकवादी पाकिस्तानी थे और पाकिस्तान लौट गए होंगे’, उन्होंने डांगरी हत्याओं में शामिल आतंकवादियों की पहचान पर संदेह जताया, उन्होंने आरोप लगाया कि यह दावा केवल एक बहाना था.
बता दें कि दो अज्ञात आतंकवादियों ने एक जनवरी की शाम और 2 जनवरी की सुबह ऊपरी डांगरी में दो हमलों में दो भाई-बहनों सहित सात नागरिकों की हत्या कर दी थी. ये सभी लोग चार परिवारों से थे. इस हमले में 14 लोग घायल हुए थे. हत्या से पहले आतंकियों ने पीड़ितों से उनका पहचान पत्र दिखाने को कहा था.