उमेश पाल अपहरण मामले में अतीक़ अहमद और दो अन्य को उम्रक़ैद की सज़ा

इस साल फरवरी में इलाहाबाद में उमेश पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. इस संबंध में अतीक़ अहमद और उसके परिवार के कुछ सदस्यों के ख़िलाफ़ हत्या का मामला दर्ज किया गया है. उमेश बसपा विधायक रहे राजू पाल की 2005 में की गई हत्या मामले में गवाह थे. राजू पाल हत्या में भी अतीक़ नामज़द है.

पूर्व संसद अतीक अहमद (फाइल फोटो: पीटीआई)

इस साल फरवरी में इलाहाबाद में उमेश पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. इस संबंध में अतीक़ अहमद और उसके परिवार के कुछ सदस्यों के ख़िलाफ़ हत्या का मामला दर्ज किया गया है. उमेश बसपा विधायक रहे राजू पाल की 2005 में की गई हत्या मामले में गवाह थे. राजू पाल हत्या में भी अतीक़ नामज़द है.

पूर्व संसद अतीक अहमद (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: नाटकीय मीडिया कवरेज के बीच गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद को गुजरात की साबरमती जेल से उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद लाए जाने के एक दिन बाद मंगलवार (28 मार्च) को एक एमपी/एमएलए अदालत ने अपहरण के एक मामले में कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

अदालत ने दिनेश पासी और खान सौलत हनीफ को भी यही सजा सुनाई और तीनों पर 5000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. इसके अलावा अहमद के भाई अशरफ सहित अन्य सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया गया.

एक पूर्व सांसद और विधायक अतीक अहमद हत्या और अपहरण सहित कम से कम 100 आपराधिक मामलों का सामना कर रहा है. सोमवार 27 मार्च को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा 24 घंटे की सड़क यात्रा के बाद उसे गुजरात जेल से इलाहाबाद लाकर अदालत में पेश किया गया था.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, उमेश पाल की पत्नी और मां ने अदालत फैसले पर संतोष व्यक्त किया है, हालांकि उन्होंने हत्या मामले में अतीक को मौत की सजा देने की अपील की.

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक राजू पाल की 2005 में हुई हत्या मामले में एक प्रमुख गवाह उमेश पाल की बीते फरवरी माह में सनसनीखेज हत्या के एक महीने बाद अतीक को उनके (उमेश) अपहरण मामले में दोषी ठहराया गया है.

अपहरण का मामला 2006 का है, जब अतीक अहमद और उसके सहयोगियों पर उमेश पाल के अपहरण और उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया था, जो राजू पाल हत्या के मामले में प्रमुख गवाह थे, जिसमें अतीक कथित रूप से शामिल था.

उमेश पाल की इस साल 24 फरवरी को इलाहाबाद में एक एसयूवी से बाहर निकलते समय दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस शूटआउट में उनके दो पुलिस अंगरक्षक भी मारे गए. अतीक, उमेश पाल की हत्या का भी मुख्य आरोपी है.

यूपी पुलिस ने दावा किया है कि अतीक अहमद ने उमेश पाल की हत्या करवा दी, क्योंकि उमेश ने उसे 2005 के राजू पाल हत्या के मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया था.

इलाहाबाद शहर पश्चिम के विधायक रहे राजू पाल और उनके पुलिस गार्ड की 25 जनवरी 2005 को धूमनगंज इलाके में हत्या कर दी गई थी. इस मामले में उनके रिश्तेदार और दोस्त उमेश पाल मुख्य गवाह थे. उमेश ने निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में इस हत्याकांड की पैरवी की थी.

उमेश पाल की हत्या के अगले दिन पुलिस ने इस संबंध में जेल में बंद पूर्व सांसद अतीक अहमद, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन, उसके दो बेटों, उसके छोटे भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.

साल 2006 में उमेश पाल की जया ने आरोप लगाया था कि अ​तीक अहमद और उसके सहयोगियों ने उमेश का अपहरण कर उन्हें अदालत में अपने पक्ष में बयान देने के लिए मजबूर किया था. उमेश ने अपहरण के संबंध में एक एफआईआर दर्ज कराई थी. अपहरण मामले में मुकदमा इलाहाबाद की एक स्थानीय अदालत में चल रहा है.

उमेश ने 2017 में अतीक अहमद और उसके भाई पर अपहरण के एक मामले में बयान दर्ज कराने पर धमकाने और मारपीट करने का आरोप लगाया था. उसी वर्ष उन्होंने अतीक और अन्य पर अपहरण और उन पर राजू पाल हत्याकांड में अपना बयान वापस लेने के लिए दबाव डालने का भी आरोप लगाया था.

बसपा विधायक रहे राजू पाल की पत्नी पूजा पाल कौशांबी जिले की चायल सीट से सपा की विधायक हैं. राजू पाल की हत्या के पीछे मुख्य मकसद विधानसभा उपचुनाव बताया जाता है, जिसमें उन्होंने इलाहाबाद (पश्चिम) सीट से अतीक के छोटे भाई अशरफ को हरा दिया था. 2004 के चुनावों में अतीक के इलाहाबाद से लोकसभा सीट जीतने के बाद यह खाली हो गई थी.

राजू पाल हत्याकांड में अतीक अहमद और अशरफ समेत कुल 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. घटना राजू पाल की पूजा से शादी के नौ दिन बाद हुई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने अतीक अहमद की ‘जान को खतरा’ वाली याचिका खारिज की

इधर, सुप्रीम कोर्ट ने अतीक अहमद की उस याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया, जिसमें उत्तर प्रदेश पुलिस की हिरासत के दौरान अपनी जान को खतरा होने और सुरक्षा की मांग की गई थी. अदालत ने कहा कि राज्य मशीनरी उसकी देखभाल करेगी और वह हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने अतीक को किसी भी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया, जिसने तर्क दिया था कि उसकी जान को खतरा है.

अतीक की ओर से पेश वकील ने कहा कि अगर अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी तो इसका मतलब उनके लिए मौत का वारंट होगा.

हालांकि, पीठ ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उठाया जाना चाहिए, याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए.

वकील ने कहा कि वह हाईकोर्ट जाएंगे और पीठ से अनुरोध किया कि जब तक वह ऐसा नहीं करते तब तक उन्हें कुछ सुरक्षा प्रदान की जाए. वकील ने कहा, ‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि जांच नहीं होनी चाहिए, लेकिन मैं केवल सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहता हूं.’

हालांकि, अदालत ने कोई राहत नहीं दी और कहा कि राज्य मशीनरी आपकी देखभाल करेगी. इसके बाद अहमद ने अपनी याचिका वापस ले ली और अदालत ने इसे वापस लिया हुआ मानकर खारिज कर दिया.

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