कर्नाटक विधानसभा चुनाव: 10 मई को मतदान होगा, 13 मई को मतगणना

कर्नाटक विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल इस साल 24 मई को समाप्त होगा. चुनावों की घोषणा के साथ ही अब पूरे राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

कर्नाटक विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल इस साल 24 मई को समाप्त होगा. चुनावों की घोषणा के साथ ही अब पूरे राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 10 मई को होगा और मतगणना 13 मई को होगी. इस घोषणा के साथ ही अब पूरे राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई.

रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल इस साल 24 मई को समाप्त होगा.

चुनाव आयोग ने अपने प्रेस नोट में कहा है कि इस बार राज्य से कुल मतदाताओं की संख्या 5,24,11,557 होगी.

राज्य में 58,282 मतदान केंद्र होंगे. चुनाव आयोग ने दावा किया है कि सख्त निगरानी रखने के लिए 2,400 निगरानी दल जुटाए जाएंगे.

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा, ‘चुनाव में धन बल के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने के लिए हम कर्नाटक में अपनी टीम को मजबूत कर रहे हैं. 2,400 स्टेटिक सर्विलांस टीमें कड़ी निगरानी रखेंगी. 19 जिलों (जो अन्य राज्यों के साथ सीमा साझा करते हैं) में 171 अंतरराज्यीय जांच चौकियों पर निगरानी रखी जाएगी.’

राजीव कुमार ने आगे कहा कि कर्नाटक में मतदाताओं की संख्या 2018-19 के मुकाबले 9.17 लाख की वृद्धि हुई है. 1 अप्रैल तक 18 वर्ष के हो रहे सभी युवा मतदाता कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मतदान कर सकेंगे.

बता दें कि इस बीच अंतिम सूची से अल्पसंख्यक मतदाताओं के नाम गायब होने की खबरें ही आ चुकी हैं और भले ही चुनाव आयोग ने इस पर औपचारिक संज्ञान लिया था, पर कई लोगों ने दावा किया है कि उनके नाम सूचियों में नहीं आए हैं.

उधर, चुनावों की घोषणा से चार दिन पहले बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली सरकार ने विवादास्पद रूप से राज्य में मुसलमानों के लिए अब तक 4 प्रतिशत आरक्षण को हटाते हुए इसे राज्य के प्रभावशाली समुदायों – लिंगायत और वोक्कालिगा- के बीच समान रूप से वितरित कर दिया.

वोक्कालिगा के लिए कोटा 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया है. पंचमसालियों, वीरशैवों और लिंगायतों वाली अन्य श्रेणी के लिए कोटा भी 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया है.

मुसलमानों को ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) श्रेणी में जोड़ा गया है, जिसमें कुल 10 प्रतिशत हैं और इसमें ब्राह्मण, जैन, आर्यवैश्य, नागरथ और मोदलियार शामिल हैं.

उल्लेखनीय है कि द वायर  के विश्लेषक बीएस अरुण ने बताया है कि भारतीय जनता पार्टी ऐसे समय दोबारा चुनाव में उतरने वाली है, जबकि पार्टी के भीतर घमासान मचा हुआ है. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और चिक्कमगलुरु से विधायक सीटी रवि ने बीवाई विजयेंद्र के खिलाफ आवाज उठाई है. पार्टी महासचिव विजयेंद्र पूर्व मुख्यमंत्री और प्रमुख लिंगायत नेता बीएस येदियुरप्पा के बेटे हैं और एक प्रभावशाली नेता हैं.

इसके अलावा, बुधवार को चुनाव आयोग ने यह भी घोषणा की है कि पंजाब में जालंधर के संसदीय क्षेत्र और ओडिशा में झारसुगुड़ा, उत्तर प्रदेश के छनबे और स्वार, मेघालय के सोहियोंग विधानसभा क्षेत्रों में मतदान और मतगणना एक ही तारीख को होगी.