सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले मोहम्मद फ़ैज़ल की लोकसभा सदस्यता बहाल

लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फ़ैज़ल को हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषी ठहराया गया था, जिसके बाद सांसद के रूप में वह अयोग्य घोषित कर दिए गए थे. बाद में केरल हाईकोर्ट ने उनकी सज़ा पर रोक लगा दी थी. अपनी सदस्यता बहाल करने में लोकसभा सचिवालय की देरी को चुनौती देते हुए उन्होंने शीर्ष अदालत का रुख़ किया था.

लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल. (फोटो साभार: फेसबुक/Mohammed Faizal Padippura)

लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फ़ैज़ल को हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषी ठहराया गया था, जिसके बाद सांसद के रूप में वह अयोग्य घोषित कर दिए गए थे. बाद में केरल हाईकोर्ट ने उनकी सज़ा पर रोक लगा दी थी. अपनी सदस्यता बहाल करने में लोकसभा सचिवालय की देरी को चुनौती देते हुए उन्होंने शीर्ष अदालत का रुख़ किया था.

लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल. (फोटो साभार: फेसबुक/Mohammed Faizal Padippura)

नई दिल्ली: लोकसभा सचिवालय ने बुधवार को लक्षद्वीप के मोहम्मद फैजल की लोकसभा सदस्यता बहाल कर दी. हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषी ठहराए और सजा सुनाए जाने के बाद उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी.

केरल हाईकोर्ट द्वारा मामले में दोषसिद्धि और सजा पर निलंबन प्राप्त करने के बावजूद उनकी सदस्यता बहाल करने में सचिवालय की देरी को चुनौती देते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता मोहम्मद फैजल ने हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था.

लोकसभा सचिवालय द्वारा 29 मार्च 2023 को मोहम्मद फैजल की लोकसभा की सदस्यता बहाल करने संबंधित अधिसूचना.

बीते 11 जनवरी को लक्षद्वीप की राजधानी कवारत्ती की एक सत्र अदालत ने 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिवंगत कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पीएम सईद के दामाद मोहम्मद सालिह की हत्या की कोशिश के मामले में मोहम्मद फैजल को 10 साल कैद की सजा और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.

इसके बाद 13 जनवरी को सचिवालय ने लोकसभा की उनकी सदस्यता को अयोग्य घोषित कर दिया था.

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के अनुसार, यदि किसी सांसद, विधायक या एमएलसी को किसी अपराध का दोषी ठहराया जाता है और कम से कम दो साल की सजा सुनाई जाती है, तो वह अयोग्यता पात्र हो जाता है. सजा की तारीख से वह अयोग्य घोषित हो जाता है और उसकी रिहाई के बाद से छह साल की एक और अवधि तक अयोग्य बना रहता है.

हालांकि, अगर वह 30 दिनों के भीतर दोषसिद्धि और सजा को निलंबित कराने में सक्षम होता है, तो उसकी अयोग्यता के फैसले को वापस ले लिया जाता है.

केरल हाईकोर्ट ने बीते 25 जनवरी को फैजल की दोषसिद्धि और 10 साल की सजा को निलंबित कर दिया था, लेकिन लोकसभा सचिवालय ने अब तक उनकी सदस्यता बहाल नहीं की थी.

सदस्यता बहाल करने में देरी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए फैजल ने कहा था, ‘लोकसभा सचिवालय के महासचिव की ओर से 13 जनवरी, 2023 की अधिसूचना को वापस नहीं लेने की गैरकानूनी निष्क्रियता के खिलाफ याचिकाकर्ता भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस अदालत के असाधारण अधिकार क्षेत्र का आह्वान करने के लिए विवश है.’

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर विचार करते हुए सवाल किया था कि क्या किसी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार मौलिक अधिकार है. जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ के समक्ष यह मामला बुधवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था.

हालांकि, सुनवाई से पहले लोकसभा सचिवालय ने फैजल की सदस्यता बहाल करने के लिए एक गजट अधिसूचना जारी कर दी.

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