यह घटनाक्रम सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों द्वारा देश के मुख्य न्यायाधीश की स्वत: संज्ञान शक्तियों पर सवाल उठाने के बाद सामने आया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने कहा है कि संसद द्वारा सुप्रीम कोर्ट (प्रैक्टिस एंड प्रोसीजर) बिल, 2023 के पारित होने से सुप्रीम कोर्ट संस्थागत रूप से मज़बूत होगा.
नई दिल्ली: पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में बुधवार (29 मार्च) को प्रधान न्यायाधीश की विवेकाधीन शक्तियों को कम करने के उद्देश्य वाले एक विधेयक को स्वीकार कर लिया गया. इसके बाद गुरुवार (30 मार्च) ) को उच्च सदन सीनेट से भी इसे मंजूरी मिल गई.
रिपोर्ट के अनुसार, एक दिन पहले प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा था कि अगर संसद ने देश के शीर्ष न्यायाधीश की शक्तियों को कम करने के लिए कानून नहीं बनाया तो ‘इतिहास हमें माफ नहीं करेगा.’
डॉन की खबर के मुताबिक, ‘संघीय कानून और न्याय मंत्री आजम नजीर तरार द्वारा प्रस्तुत सुप्रीम कोर्ट (प्रैक्टिस एंड प्रोसीजर) विधेयक 2023 को कानून और न्याय पर स्थायी समिति द्वारा कैबिनेट के प्रस्तावित संशोधनों को मंजूरी देने के कुछ घंटों बाद पारित कर दिया गया.
National Assembly passes ‘The Supreme Court (Practice and
Procedure) Bill, 2023’The bill was presented by Minister for Law and Justice @AzamNazeerTarar.@PTVNewsOfficial @PID_Gov @demp_gov @RadioPakistan @appcsocialmedia
— National Assembly of 🇵🇰 (@NAofPakistan) March 29, 2023
ये घटनाक्रम सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों द्वारा देश के शीर्ष न्यायाधीश की स्वत: संज्ञान शक्तियों पर सवाल उठाने के आलोक में हुआ.
وفاقی کابینہ سے منظوری کے بعد عدالتی اصلاحات ترمیمی بل قومی اسمبلی میں پیش کردیا گیا.اب سوموٹو نوٹس کسی فرد واحد کی خواہش پر نہیں بلکہ تین سینئر ترین ججز سوموٹو نوٹس کا فیصلہ کرینگے۔ازخود نوٹس پر اپیل کا حق ھوگا۔ pic.twitter.com/NaZxXR9dAS
— PMLN (@pmln_org) March 28, 2023
विधेयक गुरुवार (30 मार्च) को उच्च सदन सीनेट में पेश होना था. द डॉन के मुताबिक, सीनेट ने भी विधेयक को पारित कर दिया है.
इस मौके पर प्रधानमंत्री शरीफ ने ट्वीट किया, ‘संसद द्वारा सुप्रीम कोर्ट (प्रैक्टिस एंड प्रोसीजर) बिल 2023 के पारित होने से सुप्रीम कोर्ट संस्थागत रूप से मजबूत होगा. यह खंडपीठ के गठन की प्रक्रिया और अनुच्छेद 184 (3) के प्रयोग को पारदर्शी और समावेशी बनाने में मदद करेगा.’
The passage of the Supreme Court (Practice & Procedure) Bill 2023 by Parliament today will institutionally strengthen the apex court. It will help make the process of bench formation & exercise of Article 184 (3) transparent & inclusive, thus serving the cause of justice.
— Shehbaz Sharif (@CMShehbaz) March 30, 2023
बहरहाल, नेशनल असेंबली में विधेयक स्वीकारे जाने से पहले प्रधानमंत्री शरीफ ने शीर्ष अदालत के जस्टिस मंसूर अली शाह और जस्टिस जमाल खान मंडोखैल के असहमतिपूर्ण फैसले पर संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया था. उन्होंने किसी भी मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करने और विभिन्न मामलों की सुनवाई के लिए पसंद की पीठ गठित करने के मुख्य न्यायाधीश के असीमित अधिकार के खिलाफ जोर-शोर से बात की थी.
उनका फैसला मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल द्वारा 22 फरवरी को पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में चुनावों के बारे में स्वत: संज्ञान लेने के मामले पर केंद्रित था. स्वत: संज्ञान शक्ति पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 184 के तहत अदालत के मूल क्षेत्राधिकार पर आधारित है. हालांकि, वर्षों से इसकी छवि मुख्य न्यायाधीश पक्षपात किए जाने की बन चुकी है.
इसके अलावा, जस्टिस शाह और मंडोखैल ने स्वत: संज्ञान मामले में 3-2 के फैसले को खारिज कर दिया था.
तरार के अनुसार, बिल यह सुनिश्चित करता है कि ‘सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष हर कारण, अपील या मामले को वरिष्ठता के क्रम में पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश और दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों वाली समिति द्वारा गठित पीठ द्वारा सुना और निपटाया जाएगा.’ ऐसी समिति के निर्णय बहुमत से होंगे.
स्वत: संज्ञान शक्तियों पर मसौदे में कहा गया है कि अनुच्छेद 184 (3) के तहत किसी भी मामले को पहले तीन वरिष्ठतम न्यायाधीशों की समिति के समक्ष रखा जाएगा.
कानून अपील की भी अनुमति देता है. विधेयक के अनुसार, अपील सर्वोच्च न्यायालय की पीठ के अंतिम आदेश से तीस दिनों के भीतर सर्वोच्च न्यायालय की एक बड़ी पीठ के पास होगी और ऐसी अपील पर सुनवाई के लिए 14 दिन के भीतर फैसला होगा.
وفاقی وزیر اطلاعات مریم اورنگزیب کی طرف سے الیکشن کمیشن کے آئینی اختیارات میں مداخلت سے گریز اور قومی و صوبائی اسمبلیوں کے انتخابات کے حوالے سے پیش کی گئی قرار داد پارلیمنٹ سے متفقہ طور پر منظور pic.twitter.com/3MDTdQNLXX
— PMLN (@pmln_org) March 28, 2023
इन सब बदलावों के बीच शीर्ष अदालत 8 अक्टूबर तक प्रांतीय चुनाव स्थगित करने के पाकिस्तान के चुनाव आयोग के फैसले पर सुनवाई कर रही है, जो विधानसभा के विघटन के बाद चुनाव कराने के लिए संविधान द्वारा 90 दिनों की समयसीमा से अधिक है.
इस प्रकार, कुछ लोगों ने तर्क दिया है कि प्रधानमंत्री शरीफ के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार- जो 8 अक्टूबर तक दो प्रांतों में चुनाव स्थगित करने के चुनाव आयोग के फैसले का समर्थन करती है- मुख्य न्यायाधीश की शक्तियों को कम करने के लिए संसद का इस्तेमाल कर रही है.