वडगाम से कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने जुलाई 2017 में ऊना में गोरक्षकों द्वारा दलित युवकों की पिटाई के सालभर पूरे होने पर बिना अनुमति के मेहसाणा से बनासकांठा ज़िले के धनेरा तक ‘आज़ादी कूच’ नाम की रैली निकाली थी. इसे लेकर पिछले साल उन्हें तीन महीने की सज़ा सुनाई गई थी.
नई दिल्ली: गुजरात में कांग्रेस के विधायक जिग्नेश मेवाणी और नौ अन्य को मेहसाणा सत्र अदालत ने जुलाई 2017 में उनके खिलाफ दायर एक मामले में बरी कर दिया है. उन पर आरोप था कि उन्होंने पुलिस द्वारा अनुमति देने से मना करने के बावजूद एक सार्वजनिक रैली निकाली थी. पिछले साल मेवाणी को तीन महीने जेल की सजा सुनाई गई थी.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, मजिस्ट्रेट कोर्ट के पहले के फैसले को पलटते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सीएम पवार ने मामले को ‘आधारहीन’ बताया और कहा कि शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत गारंटीकृत अधिकार है.
न्यायाधीश पवार ने कहा कि अगर एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर असहमति और शांतिपूर्ण विरोध को अपराध माना जाता है, तो स्वतंत्रता के अधिकार का वहां कोई स्थान नहीं है.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, उन्होंने यह भी कहा कि विचार-विमर्श, चर्चा, बहस और सरकार की नीतियों के खिलाफ असहमति एवं इसकी निष्क्रियता की आलोचना लोकतंत्र के लिए आवश्यक है. उन्होंने बुधवार (29 मार्च) को 16वें अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन को उद्धृत करते हुए अपने फैसले में कहा, ‘जो लोग दूसरों को स्वतंत्रता से वंचित करते हैं, वे खुद भी इसके लायक नहीं होते.’
अदालत ने यह भी कहा कि लोगों की आवाज दबाने के लिए ताकत और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में अज्ञात नहीं है और यह हर लोकतांत्रिक राष्ट्र के शासकों का कर्तव्य है कि वे बिना किसी आलोचना से डरे स्वतंत्रता की रक्षा करें.
फैसले के बाद मेवाणी ने ट्विटर पर लिखा, ‘लोकतंत्र में विचार-विमर्श, चर्चा और बहस के हमारे अधिकारों को बरकरार रखते हुए और अभियोजकों के मामले को ‘निराधार’ बताते हुए, मेहसाणा की एक सत्र अदालत ने आज हमें 2017 में विरोध प्रदर्शन करने पर मेहसाणा पुलिस द्वारा दर्ज मामले में बरी कर दिया.’
Upholding our rights to deliberate, discuss & debate in a democracy & quoting the prosecutors case to be “baseless,” a session court in Mehsana has acquitted us today in a frivolous case registered by Mehsana police in 2017 for carrying out protest.
Satyamev Jayate!
— Jignesh Mevani (@jigneshmevani80) March 29, 2023
मेवानी के अलावा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की पूर्व नेता रेशमा पटेल (जो अब आम आदमी पार्टी में हैं) और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ नेता कन्हैया कुमार (जो अब कांग्रेस में हैं) आरोपियों में शामिल थे. कुमार को दोषी नहीं ठहराया गया था क्योंकि उनका मुकदमा लंबित है.
पुलिस के अनुसार, मेवाणी ने 12 जुलाई 2017 को राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के बैनर तले उत्तरी गुजरात के मेहसाणा से धनेरा तक ‘आजादी कूच’ नामक एक रैली निकाली थी. यह रैली ऊना में गोरक्षकों के एक गुट द्वारा दलित युवकों की पिटाई की पहली वर्षगांठ के अवसर पर निकाली गई थी. गौरतलब है कि ऊना में वर्ष 2016 में एक दलित परिवार के सात सदस्यों को गायों को नुकसान पहुंचाने के आरोप में सरेआम पीटा गया था.
पुलिस ने रैली की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. पुलिस ने मेवाणी और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 143 (गैरकानूनी सभा आयोजित करना) के तहत मामला दर्ज किया और रैली के साथ आगे बढ़ने पर प्रत्येक पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया.