हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का असर; अडानी समूह ने कई परियोजनाओं को सीमित किया

ब्लूमबर्ग में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का नतीजा यह रहा कि अडानी समूह द्वारा कुछ निवेशों को रोक दिया गया, इसके अलावा पूंजीगत व्यय में कटौती की गई और परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए एक अलग दृष्टिकोण पर विचार किया जाने लगा.

(फोटो साभार: फेसबुक/ट्विटर)

ब्लूमबर्ग में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का नतीजा यह रहा कि अडानी समूह द्वारा कुछ निवेशों को रोक दिया गया, इसके अलावा पूंजीगत व्यय में कटौती की गई और परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए एक अलग दृष्टिकोण पर विचार किया जाने लगा.

(फोटो साभार: फेसबुक/ट्विटर)

नई दिल्ली: अडानी समूह को लेकर अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आए दो महीने से अधिक समय हो गया है. इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि अडानी समूह ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.

ब्लूमबर्ग में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, ​हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का नतीजा यह रहा कि अडानी समूह ने अपने कुछ निवेशों को रोकने के साथ पूंजीगत व्यय में कटौती की है और अपनी परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए एक अलग दृष्टिकोण पर विचार भी कर रहा है.

मुंद्रा परियोजना, गुजरात

बीते 30 मार्च को ब्लूमबर्ग ने एक रिपोर्ट में फर्म के आंतरिक कामकाज से अवगत लोगों का हवाला देते हुए बताया कि अडानी समूह के गुजरात के मुंद्रा में अपनी 4 बिलियन डॉलर की पेट्रोकेमिकल परियोजना को आगे बढ़ाने की संभावना नहीं है.

कच्छ जिले में अडानी पोर्ट्स और एसईजेड (स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन) की भूमि पर ग्रीनफील्ड कोल-टू-पीवीसी प्लांट स्थापित करने के लिए अडानी एंटरप्राइजेज ने 2021 में एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, मुंद्रा पेट्रोकेम लिमिटेड का गठन किया था.

डीबी पावर, छत्तीसगढ़

फाइनेंशियल टाइम्स ने बीते 16 फरवरी को रिपोर्ट किया था कि लेन-देन पूरा करने के लिए नवीनतम समय सीमा (15 फरवरी) को पार करने के बाद अडानी पावर ने करीब 7,000 करोड़ रुपये में डीबी पावर का अधिग्रहण रद्द कर दिया है.

हालांकि, इसने छत्तीसगढ़ में कोयला संयंत्र परियोजना सौदे को रद्द करने का कोई कारण नहीं बताया. अडानी पावर ने 18 अगस्त, 2022 को दैनिक भास्कर समूह से बिजली संयंत्र का अधिग्रहण किया था.

उच्च जोखिम वाले फायनेंस से बचने की योजना

ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अडानी समूह की आगे उच्च जोखिम वाले वित्तपोषण (Financing) से बचने की योजना है.

बीते 12 मार्च को अडानी समूह ने घोषणा की थी कि उसने 2.15 अरब डॉलर के ऋण का भुगतान किया था, जो समूह में शेयरों को गिरवी रखकर लिया गया था.

समाचार रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘अडानी समूह खुद को निजी बॉन्ड प्लेसमेंट और विशिष्ट निवेशकों को इक्विटी हिस्सेदारी की बिक्री जैसे धन उगाहने के तरीकों तक सीमित रहेगा – जैसे कि राजीव जैन के जीक्यूजी पार्टनर्स को अपने शेयर की बिक्री – इस तरह से नकदी जुटाने के लिए अस्थिर बाजार से समूह को अलग रखा जा सकता है.’

मीडिया अधिग्रहण

अडानी समूह की योजना से परिचित लोगों ने ब्लूमबर्ग को बताया कि समूह के अब मीडिया क्षेत्र में और खरीददारी करने की संभावना नहीं है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल दिसंबर में अडानी ने एनडीटीवी का पूर्ण नियंत्रण हासिल कर लिया था, जब इसने फर्म के अल्पसंख्यक शेयरधारकों को भुगतान की गई दर से लगभग 17 प्रतिशत के प्रीमियम पर अधिकांश संस्थापकों की हिस्सेदारी हासिल कर ली थी.

नियामक फाइलिंग के मुताबिक, अब इसके पास एनडीटीवी का 64.71 प्रतिशत हिस्सा है.

टोटल एनर्जीज के साथ ग्रीन हाइड्रोजन साझेदारी

फ्रांस की ऊर्जा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टोटल एनर्जीज ने फरवरी में कहा था कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद उसने अडानी समूह के साथ ग्रीन हाइड्रोजन परियोजना को निलंबित कर दिया था. इस रिपोर्ट ने इसके बाजार मूल्य को आधा कर दिया था.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, टोटल एनर्जीज के मुख्य कार्यकारी पैट्रिक पॉयने ने बताया था, ‘स्पष्टता होने तक और अधिक (परियोजनाओं) को जोड़ने का कोई मतलब नहीं है. अडानी को (हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा) लगाए गए आरोपों पर स्पष्टीकरण देना है.’

पीटीसी इंडिया में हिस्सेदारी के लिए बोली नहीं

इसके अलावा अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी ने सरकार समर्थित बिजली व्यापारी पीटीसी इंडिया लिमिटेड में हिस्सेदारी के लिए बोली नहीं लगाने का फैसला किया है. इस मामले से परिचित लोगों ने बीते 20 फरवरी को ब्लूमबर्ग को यह जानकारी दी है.

हिंडनबर्ग के अनुसार, बाजार में बिकवाली के बीच फर्मों के लिए नकदी को संरक्षित करने का निर्णय लिया गया है.

इज़रायल में बंदरगाह

कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल में हाइफ़ा बंदरगाह पर काम रुक गया है, जिसे अडानी समूह ने 1.2 बिलियन डॉलर में अधिग्रहित किया था. यह प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा वहां न्यायपालिका की स्थिति में बदलाव करने की योजना के खिलाफ इजरायल में विरोध के कारण हुआ है.

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