जेलों में क्षमता से अधिक क़ैदी, अदालतें ये सुनिश्चित करें कि सुनवाई तेज़ी से हों: सुप्रीम कोर्ट

एक आरोपी को ज़मानत पर रिहा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेलों में अत्यधिक भीड़ है और क़ैदियों के रहने की स्थिति भयावह है. ऐसे में अगर मुक़दमे समय पर समाप्त नहीं होते हैं, तो व्यक्ति के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा.

(फोटो: द वायर)

एक आरोपी को ज़मानत पर रिहा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेलों में अत्यधिक भीड़ है और क़ैदियों के रहने की स्थिति भयावह है. ऐसे में अगर मुक़दमे समय पर समाप्त नहीं होते हैं, तो व्यक्ति के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा.

(फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जेलों में अत्यधिक भीड़ है और उनके (बंदियों) रहने की स्थिति भयावह है, ऐसे में अदालतों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मुकदमे, विशेष रूप से उन मामलों में, जहां विशेष कानून कड़े प्रावधान लागू करते हैं, को तेजी से पूरा किया जाए.

शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि मुकदमे समय पर समाप्त नहीं होते हैं, तो व्यक्ति के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा.

द हिंदू में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस एस. रवींद्र भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट के तहत एक आरोपी को जमानत पर रिहा करते हुए यह टिप्पणी की.

अदालत ने कहा, ‘कारावास का और भी हानिकारक प्रभाव होता है, जहां अभियुक्त सबसे कमजोर आर्थिक तबके से संबंध रखता है, इसकी वजह से तत्काल आजीविका खत्म हो जाती है और कई मामलों में परिवारों के बिखरने के साथ-साथ पारिवारिक बंधनों का टूटने और अलगाव की स्थिति बन आती है.’

पीठ ने कहा, ‘इसलिए, अदालतों को इन पहलुओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मुकदमे, विशेष रूप से उन मामलों में जहां विशेष कानून कड़े प्रावधान लागू करते हैं, तेजी से चलें और समाप्त हों.’

शीर्ष अदालत ने कहा कि जमानत देने के लिए कड़ी शर्तें लगाने वाले कानून जनहित में आवश्यक हो सकते हैं, फिर भी, यदि जांच समय पर समाप्त नहीं हो​ती है, तो व्यक्ति के साथ जो अन्याय होगा, वह बहुत बड़ा है.’

पीठ ने कहा, ‘जेलों में क्षमता से अधिक भीड़ है और उनके रहने की स्थिति अक्सर भयावह होती है. संसद में केंद्रीय गृह मंत्रालय की जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने दर्ज किया था कि 31 दिसंबर, 2021 तक देश में 4,25,069 लाख की कुल क्षमता वाले जेलों में 5,54,034 से अधिक कैदी बंद थे. इनमें से 1,22,852 दोषी थे, बाकी 4,27,165 विचाराधीन कैदी थे.’

शीर्ष अदालत ने व्यक्ति को जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए कहा कि वह सात साल चार महीने से अधिक समय से हिरासत में है.

पीठ ने कहा कि मुकदमे की प्रगति कछुए की गति से चल रही है, क्योंकि 30 गवाहों की जांच की गई है, जबकि 34 और की जांच की जानी है.