उत्तर प्रदेश: साल 1998 के कथित फ़र्ज़ी ‘एनकाउंटर’ मामले में 24 पुलिसकर्मी बरी

उत्तर प्रदेश के भदोही ज़िले का मामला. पुलिस एनकाउंटर के बाद यह प्रचारित किया गया कि मारे गए लोगों में बाहुबली राजनेता धनंजय सिंह भी शामिल थे, जिसकी गिरफ़्तारी के लिए सूचना देने वाले को 50,000 रुपये का इनाम था. लेकिन यह सामने आया कि धनंजय सिंह जीवित थे.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक)

उत्तर प्रदेश के भदोही ज़िले का मामला. पुलिस एनकाउंटर के बाद यह प्रचारित किया गया कि मारे गए लोगों में बाहुबली राजनेता धनंजय सिंह भी शामिल थे, जिसकी गिरफ़्तारी के लिए सूचना देने वाले को 50,000 रुपये का इनाम था. लेकिन यह सामने आया कि धनंजय सिंह जीवित थे.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के भदोही जिले की एक अदालत ने साल 1998 में भदोही-मिर्जापुर राजमार्ग पर एक कथित फर्जी एनकाउंटर में चार लोगों की हत्या के आरोप में 24 पुलिसकर्मियों और दो स्थानीय निवासियों को संदेह के आधार पर बरी कर दिया है.

एनकाउंटर के बाद यह प्रचारित किया गया कि मारे गए लोगों में बाहुबली राजनेता धनंजय सिंह भी थे, जिसकी गिरफ्तारी के लिए सूचना देने वाले को 50,000 रुपये का इनाम था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बाद में पीड़ितों के परिवारों द्वारा चारों के शवों की पहचान की गई और यह सामने आया कि धनंजय सिंह मारे गए लोगों में से नहीं थे. वास्तव में उन्होंने बाद में 2009 में जौनपुर से लोकसभा चुनाव जीता था.

मारे गए चारों लोगों की पहचान भदोही और वाराणसी जिले के निवासी अजय कुमार सिंह, समीम अंसारी, ओम प्रकाश यादव (उर्फ मुन्ना) और किरण (उर्फ धनंजय) के रूप में हुई है.

भदोही के सरकारी वकील विकास नारायण सिंह ने कहा कि बरी किए गए 24 पुलिसकर्मियों में सब-इंस्पेक्टर और कॉन्स्टेबल शामिल हैं, जिनमें से कई सेवानिवृत्त हो चुके हैं.

उन्होंने कहा कि किसी भी गवाह ने अभियोजन पक्ष के आरोपों का समर्थन नहीं किया और उन्हें होस्टाइल (अदालत में अपने बयान से मुकरना) घोषित कर दिया गया. उन्होंने कहा, ‘अदालत ने सभी 26 लोगों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया.’

सभी 26 लोग जमानत पर बाहर थे. मामला 17 अक्टूबर, 1998 का है. पुलिस ने शुरुआत में जांच शुरू की और राज्य सरकार के निर्देशों के बाद क्राइम ब्रांच-सीआईडी (सीबी-सीआईडी) ने जांच की और बाद में हत्या के आरोप में मामला दर्ज किया.

सीबी-सीआईडी ने अपनी जांच में पाया कि फर्जी एनकाउंटर का आरोप सही था और स्थानीय निवासियों सहित 36 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. सुनवाई के दौरान 10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.

विकास नारायण सिंह ने कहा कि अभियोजन पक्ष के 29 गवाहों की अदालत ने जांच की थी और सभी गवाहों को ‘पुलिस सिद्धांत का समर्थन नहीं करने के बाद’ होस्टाइल घोषित किया गया था. पुलिस ने मारे गए चारों लोगों का आपराधिक इतिहास भी अदालत में पेश किया था.

यह बताते हुए कि घटना के समय राज्य में भाजपा की सरकार थी, सीपीआई कार्यकर्ता फूल चंद यादव और मारे गए लोगों में से एक के चाचा ओम प्रकाश यादव ने कहा कि मृतक ओम प्रकाश समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता थे.

उन्होंने दावा किया, ‘एनकाउंटर के बाद मैंने मुलायम सिंह यादव को लिखा कि ओम प्रकाश यादव निर्दोष थे और पुलिस ने उन्हें एक फर्जी एनकाउंटर में मार दिया. इसके बाद राज्य सरकार ने सीबी-सीआईडी जांच के आदेश दिए थे.’

उन्होंने कहा कि वह अपने परिवार के साथ विचार-विमर्श करेंगे और निर्णय करेंगे कि अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दायर की जाए या नहीं.