बेरोज़गारी दर मार्च में बढ़कर 7.8 फीसदी हुई, तीन महीनों का उच्चतम स्तर: सीएमआईई

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी का एक हालिया विश्लेषण बताता है कि हमारी बेरोज़गारी दर फरवरी के 7.5 फीसदी से बढ़कर मार्च में 7.8 फीसदी हो गई है. इस अवधि में यह तीन महीने की उच्च दर है. शहरी इलाकों में बेरोज़गारी दर 8.4 फीसदी थी, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह 7.5 फीसदी थी.

Rising unemployment poses a serious challenge. Credit: Fett/Flickr (CC BY 2.0)

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी का एक हालिया विश्लेषण बताता है कि हमारी बेरोज़गारी दर फरवरी के 7.5 फीसदी से बढ़कर मार्च में 7.8 फीसदी हो गई है. इस अवधि में यह तीन महीने की उच्च दर है. शहरी इलाकों में बेरोज़गारी दर 8.4 फीसदी थी, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह 7.5 फीसदी थी.

प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो साभार: फ्लिकर)

नई दिल्ली: मुंबई के सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के एक हालिया विश्लेषण में बताया गया है कि भारत की बेरोजगारी दर मार्च में बढ़कर 7.58 फीसदी हो गई, जो कि फरवरी में 7.5 फीसदी थी.

समाचार एजेंसी पीटीआई ने रविवार (2 अप्रैल) को बताया कि यह तीन महीने की उच्च दर है. शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर 8.4 फीसदी थी, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह 7.5 फीसदी थी.

सीएमआईई के प्रबंध निदेशक महेश व्यास ने पीटीआई को बताया, ‘भारत का श्रम बाजार मार्च 2023 में बुरी स्थिति में आ गया. बेरोजगारी दर फरवरी के 7.5 फीसदी से बढ़कर मार्च में 7.8 फीसदी हो गई. इसका प्रभाव श्रम बल भागीदारी दर पर भी पड़ा, जो 39.9 फीसदी से गिरकर 39.8 फीसदी रह गई. इससे रोजगार दर फरवरी के 36.9 फीसदी से गिरकर मार्च में 36.7 फीसदी रह गई. रोजगार 409.9 मिलियन से गिरकर 407.6 मिलियन हो गए.’

वहीं, ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) अप्रैल में फिर से ब्याज दरें बढ़ा सकता है.

राज्यवार बात करें तो बेरोजगारी की उच्चतम दर हरियाणा (26.8 फीसदी), राजस्थान (26.4 फीसदी), जम्मू कश्मीर (23.1 फीसदी), सिक्किम (20.7 फीसदी), बिहार (17.6 फीसदी) और झारखंड (17.5 फीसदी) में है. पीटीआई के हवाले से मनीकंट्रोल ने इसकी जानकारी दी है.

बेरोजगारी की सबसे कम दर उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में पाई गई. इसके बाद पुदुचेरी, गुजरात, कर्नाटक, मेघालय और ओडिशा का स्थान है.

जॉब साइट टीमलीज (Teamlease) सर्विसेज की सह-संस्थापक रितुपर्णा चक्रवर्ती ने पीटीआई को बताया कि रोजगार की घटती दर मौजूदा आर्थिक परिदृश्य के ‘चिंताजनक हालात’ का सूचक है.

उन्होंने कहा, ‘भारतीय औपचारिक क्षेत्र विचारशील हो रहा है और हर कदम सावधानी से आगे बढ़ा रहा है, इसलिए कुछ समय के लिए रोजगार देने में कमी आई है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर जो हो रहा है, वह कुछ हद तक भारत को भी प्रभावित कर सकता है.’

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.