नवंबर 2021 में गुवाहाटी में एक कार्यक्रम हुआ. पांच महीने बाद उस आयोजन को करवाने का टेंडर निकाला गया. ऐसा कैसे संभव है और इसे पाने वाली कंपनी के कारोबार से मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के परिवार का क्या रिश्ता है?
गुवाहाटी : 4 नवंबर, 2021 को दीपावली के दिन असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने राज्य की राजधानी गुवाहाटी में एक दो लेन के फ्लाईओवर का उद्घाटन किया. काफी धूम-धड़ाके के साथ किए गए इस आयोजन को मीडिया में खूब जगह मिली.
इस आयोजन में मौजूद लोगों में एक व्यक्ति अतुल बोरा भी थे जो हिमंता सरकार में मंत्री और भाजपा के सहयोगी असम गण परिषद के अध्यक्ष हैं. साथ ही बोडो नेता और राज्य विधानसभा के सभापति बिस्वजीत दैमारी भी वहां मौजूद थे.
स्थानीय मीडिया ने शहर के बेहद महत्वपूर्ण जीएस रोड पर राज्य के सचिवालय (जनता भवन) और काफी व्यस्त डाउन टाउन अस्पताल और सुपरमार्केट वाले इलाकों को जोड़ने वाले इस 1.2 किलोमीटर लंबे फ्लाईओवर को काफी प्रमुखता से छापा. स्थानीय मीडिया की इस खास तवज्जो की एक वजह यह थी कि गुवाहाटी के दूसरे फ्लाईओवरों के विपरीत इस पर स्थानीय जीवन का प्रदर्शन करने वाले रंग-बिरंगे भित्तिचित्र (ग्रैफिटी) बने हुए थे.
काफी खुश नजर आ रहे हिमंता शर्मा ने यह घोषणा की कि 127 करोड़ लागत वाला यह फ्लाईओवर आधिकारिक समयसीमा से पहले तैयार कर लिया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘36 महीने की निर्धारित समयसीमा की जगह 22 महीने में ही निर्माण कार्य खत्म होना इस बात का सबूत है कि हमारी सरकार कितनी शिद्दत से बुनियादी ढांचे के विकास को गति देने की कोशिश कर रही है.’
गुवाहाटी को आसियान देशों का प्रवेशद्वार बताते हुए पूर्व कांग्रेस नेता और वर्तमान में भाजपा के मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके नेतृत्व में सरकार बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं के निर्माण की समयसीमा का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि इनकी लागत न बढ़े साथ ही लोगों को ‘विकास’ का स्वाद भी मिल सके.
Glad to inaugurate the new ₹127-cr flyover at Dispur-Supermarket in Guwahati which is expected to significantly reduce traffic snarls in the area.
Completion of the work in 22 months against scheduled 36 months reflects our Govt's utmost effort to speed up infrastructure growth. pic.twitter.com/AxvXwpTZnd— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) November 4, 2021
लेकिन इस आयोजन को लेकर आरटीआई आवेदनों के जवाब, जो क्रॉसकरेंट और द वायर के पास हैं, एक अलग ही तस्वीर पेश करते हैं. ये दस्तावेज इस बात के सबूत हैं कि इस कार्यक्रम के आयोजन में सरकारी ठेकों के लिए मानक प्रक्रियाओं (एसओपी) का भी पालन नहीं किया गया.
इसके अलावा इस कार्यक्रम में काफी सार्वजनिक धन खर्च किया गया. ऐसा लगता है कि इस खर्च में मुख्यमंत्री के अपने परिवार के एक करीबी कारोबारी सहयोगी को फायदा पहुंचा. गौरतलब है कि हिमंता लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के मंत्री भी हैं और इस विभाग ने ही इस उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन कराने का टेंडर निकाला था.
आयोजन के पांच महीने बाद दिया गया ठेका
हिमंता प्रशासन के आरटीआई जवाबों से पता चलता है कि यह भव्य उद्घाटन समारोह 4 नवंबर, 2021 को किया गया, लेकिन असम राज्य के अधिकारियों ने स्थानीय अखबारों में फ्लाईओवर के उद्घाटन की तैयारी का टेंडर पांच महीने बाद निकाला.
इस संबंध में विज्ञापन स्थानीय अखबारों में 9 मार्च, 2022 में प्रकाशित किया गया- यानी 5 नवंबर, 2021 को हुए उद्घाटन कार्यक्रम के चार महीने से भी ज्यादा समय बाद. पीडब्ल्यूडी के टेरिटोरियल रोड डिविजन द्वारा दिया गया ऐसा एक अखबारी विज्ञापन यहां देखा जा सकता है.
9 मार्च को दिए गए इस विज्ञापन में 15 दिनों के भीतर फ्लाईओवर के उद्घाटन कार्यक्रम के लिए आवेदन करने के लिए कहा गया. आवेदन जमा करने की आखिरी तारीख 18 मार्च, 202 थी. पोस्टडेटेड (पिछली तारीख से) वर्क ऑर्डर 2 मई, 2022 को जारी किए गए.
क्रॉसकरेंट के पास मौजूद आरटीआई जवाबों के ब्यौरों के मुताबिक, इस टेंडर पर (जो अपने आप में ही समुचित प्रक्रिया का उल्लंघन करने वाला था) गुवाहाटी की कंपनियों- जेएमके कंस्ट्रक्शन एंड सप्लायर और ड्रीम्स ए-मेज़- और साथ ही साथ एक ठेकेदार अंजन शर्मा- से आवेदन मिले. इसमें एक संयोग यह था कि तीनों बोलीकर्ताओं द्वारा दिया गया पता एक ही इलाके का था- कामाख्या धाम, गुवाहाटी.
एक और ध्यान देने वाली बात यह भी थी कि निजी बोलीकर्ता- अंजन शर्मा और दो कंपनियों के मालिक, जुगानंद शर्मा (जेएमसी कंस्ट्रक्शन) और भास्कर शर्मा (ड्रीम ए-मेज़) वास्तव में आपास में कारोबारी सहयोगी हैं. ये तीनों एक अन्य कंपनी असम केमिस्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड में सह-निदेशक हैं.
30 मार्च की सुबह द वायर ने राज्य पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर को एक ईमेल करके यह सवाल पूछा कि आखिरी काम समाप्त होने के पांच महीने बाद टेंडर क्यों निकाला गया, जैसा कि आरटीआई जवाब के साथ ही साथ अख़बार के विज्ञापनों से भी पता चलता है. खबर के प्रकाशन तक उनका जवाब नहीं आया, जवाब आने पर रिपोर्ट में जोड़ा जाएगा.
कैसे खर्च किया गया पैसा
आरटीआई जवाबों के मुताबिक, पीडब्ल्यूडी ने पोस्टडेटेड ठेका ड्रीम ए-मेज़ को दिया. इस कंपनी के मालिक गुवाहाटी के भास्कर शर्मा हैं. जिनका, जैसा कि आगे बताया गया है, मुख्यमंत्री के परिवार से जुड़े कारोबारों के साथ ताल्लुक है. कुल मिलाकर पीडब्ल्यूडी मंत्रालय द्वारा भास्कर की कंपनी को तीन वर्क ऑर्डर (कार्य आदेश) दिए गए.
द वायर और क्रॉसकरेंट के पास मौजूद वर्क ऑर्डर दिखाते हैं कि भास्कर की कंपनी को सिर्फ फ्लाईओवर के उद्घाटन के लिए अस्थायी इंतजाम करने के लिए 45,94,657 रुपये दिए गए. दिसपुर टेरिटोरियल रोड्स डिवीजन के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर के दस्तखत वाले वर्क ऑर्डर के अनुसार इस धनराशि का बंटवारा कुछ इस प्रकार था:
- 13,35,731 रुपये ‘सुपरमार्केट चौक पर उद्घाटन समारोह के सिलसिले में जनता भवन के सामने के गोलचक्करों और लास्ट गेट पर सजावट और ब्रांडिंग के लिए’ आवंटित किए गए;
- 14,32,950 रुपये राज्य की विभिन्न जनजातियों के गमसा (पारंपरिक गमछा या स्कार्फ) और मुख्यमंत्री की तस्वीरों को दिखाने वाले फ्लेक्स बोर्ड्स से ‘फ्लाईओवर के सौंदर्यीकरण’ के साथ-साथ फ्लाईओवर की पूरी रेलिंग को रंगीन कपड़े से सजाने के लिए’ और
- 18, 25,886 रुपये फ्लाईओवर के तीन प्रवेशों पर अस्थायी तोरण द्वार बनाने के लिए आवंटित किए गए.
सरकार के पोस्टडेटेड विज्ञापन को देखने से पता चलता है कि सजावट और ब्रांडिंग के लिए आवंटित 13,35,731 रुपये का लगभग आधा- 6,50,914 रुपये इलाके को जनजातीय गमछों से सजाने के लिए आवंटित किए गए. बाकी की राशि में से 59,040 रुपये बांस की सामग्रियों से सजावट पर, 1,33,282 सजावटी घास से सौंदर्यीकरण; 4,13,280 सजावटी लाइटों; और 79,212 उद्घाटन समारोह में लाइटों के लिए जेनरेटर लगाने की वायरिंग पर खर्च किया जाना था.
18,25,866 रुपये की राशि फ्लाईओवर पर एक अन्य जेनरेटर और वायरिंग कार्य, (1,18,818 रुपये) और सात दिनों के लिए 300 पौधे और गमलों को किराए पर लेने के लिए (1,54,980 रुपये में) के लिए आवंटित की गई. इसकी शेष राशि को इतने ही दिनों के लिए तीनों प्रवेश और निकास बिंदुओं पर एलईडी लाइट लगाने के लिए आवंटित की गई.
ड्रीम ए-मेज़ को दी गई ‘सौंदर्यीकरण’ की राशि 14,32,950 रुपये में से 6,64,200 रुपये फ्लाईओवर की फेंसिंग पर अस्थायी तौर पर कपड़े लगाने के लिए और शेष 7,68,750 एक झंडे का खंभा, मुख्यमंत्री की तस्वीरों वाले फ्लेक्सी बोर्ड्स और विभिन्न जनजातियों के गमछों की तस्वीरों आदि के लिए थी.
निश्चित तौर पर सबसे स्वाभाविक सवाल यह है कि टेंडर मुख्यमंत्री द्वारा संभाले जाने वाले एक मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम के हो जाने के 5 महीने बाद क्यों निकाला गया? क्या राज्य पीडब्ल्यूडी ने प्रशासनिक खानापूर्ति करने के लिए पोस्टडेटेड टेंडर निकाला? या यह किसी को बचाने की कोशिश कर रहा था?
इससे पहले की एक आरटीआई आधारित पड़ताल में द वायर और द क्रॉसकरेंट ने दिखाया था कि कैसे मुख्यमंत्री के परिवार के कारोबारी सहयोगी (टेंडरिंग प्रक्रिया को दरगुजर करके) राज्य के शिक्षा विभाग से कहीं ऊंचे दामों में कोविड से जुड़ी खरीद करने के लिए करोड़ों रुपये मूल्य का अतिशीघ्र (अर्जेंट) वर्क ऑर्डर हासिल करने में कामयाब रहे थे. यह तब की बात है जब हिमंता शर्मा सर्बनंदा सोनोवाल सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे.
पीडब्ल्यूडी द्वारा क्रॉसकरेंट को हाल में दिया गया आरटीआई जवाब दिखाता है कि 1 नवंबर, 2022 को भास्कर शर्मा के स्वामित्व वाले फर्म को 45,94,657 रुपये अनुमोदित किए गए.
कौन हैं भास्कर शर्मा
गुवाहाटी के भास्कर हिमंता के परिवार से जुड़े विभिन्न व्यवसायों में एक महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं.
फ्लाईओवर वाले मामले से संबंध न रखने वाली एक कंपनी- द चांदमारी टी कंपनी- के कामकाज गड़बड़झाले का एक निश्चित तरीका दर्शाता है और इस बात को रेखांकित करता है कि भास्कर मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों के कारोबारों हितों से जुड़ी की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं.
केंद्र के कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय से मिले ब्यौरे बताते हैं कि चांदमारी टी कंपनी 29 मार्च 1956 से अस्तित्व में है. 1968 से कंपनी के तीन निदेशक थे प्रणब बरुआ, प्रदीप बरुआ और प्रबल कुमार बरुआ. चांदमारी टी कंपनी असम के सबसे बड़े चाय बागानों में से एक द चांदमारी टी एस्टेट की मालिक है. 5,000 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में फैला यह एस्टेटऊपरी असम के तिनसुकिया जिले के माकुम इलाके में स्थित है.
द वायर और द क्रॉसकरेंट द्वारा विश्लेषित 18 सितंबर 2014 के मंत्रालय के रिकॉर्ड के मुताबिक, चांदमारी टी कंपनी के इन तीन निदेशकों की जगह दीनदयाल वर्मा, बबीता वर्मा और भास्कर ने ली. 31 मार्च 2015 के दस्तावेज के अनुसार दीनदयाल वर्मा के पास 5,15,000 रुपये मूल्य के शेयर, बबीता वर्मा के नाम पर 1,98,300 रुपये के शेयर और मोहित वर्मा के नाम पर 1,86,700 रुपये के शेयर हैं.
इसके अनुसार चांदमारी टी कंपनी में भास्कर के 1,42,500 रुपये मूल्य के शेयर हैं. इसके अलावा एक अन्य कंपनी डीएस गृह निर्माण के पास इसके 4,57,500 मूल्य के शेयर थे. चांदमारी टी कंपनी की 31 मार्च 2015 की बैलेंस शीट के अनुसार, डीएस गृह निर्माण के पास कंपनी के 30.50 प्रतिशत शेयर थे जबकि भास्कर के पास 9.50 प्रतिशत शेयर और दीनदयाल वर्मा के पास 34.33 प्रतिशत शेयर, बबीता वर्मा के पास 13.22 प्रतिशत शेयर और मोहित वर्मा के पास 12.45 प्रतिशत शेयर थे.
लेकिन 30 सितंबर 2022 के हालिया सरकारी दस्तावेजों मुताबिक, भास्कर ने चांदमारी टी कंपनी के निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया था और अब सिर्फ दीनदयाल वर्मा और बबीता वर्मा ही इसके निदेशक रह गए है. हालांकि, भास्कर के पास अब भी वर्मा और डीएस गृह निर्माण प्राइवेट लिमिटेड के साथ कंपनी के शेयर हैं.
मंत्रालय के रिकॉर्ड के अनुसार, डीएस गृह निर्माण प्राइवेट लिमिटेड कोलकाता के बो बाजार इलाके में है इसका पता- प्रेमिसेस नंबर 75, प्रथम तल, मेटकाफ स्ट्रीट, बहू बाजार, कोलकाता है. 31 मार्च मार्च 2020 के कंपनी के हालिया दस्तावेजों को देखने से पता चला कि मुख्यमंत्री की सास मीना भुइयां के पास इस कंपनी के 19.25 प्रतिशत शेयर है. चूंकि डीएस गृह निर्माण प्राइवेट लिमिटेड के पास चांदमारी टी कंपनी के 4,57,500 रुपये मूल्य के शेयर हैं, इसलिए चांदमारी टी कंपनी के स्वामित्व वाले टी गार्डन से मुख्यमंत्री के परिवार का सीधा रिश्ता देखा जा सकता है.
दिलचस्प बात यह है कि डीएस गृह निर्माण की पूर्व निदेशकों में से एक मुख्यमंत्री की मां मृणालिनी देवी भी थीं. मंत्रालय के ब्यौरों के मुताबिक, कंपनी का गठन 2005 में दो निदेशकों- दिलीप कुमार पेंटी और सावन कुमार बड़जात्या- के साथ हुआ. मुख्यमंत्री की मां 6 जनवरी 2006 को इसकी एक निदेशक बनीं. मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी रिनिकी भुइयां शर्मा के एक नजदीकी सहयोगी रंजीत भट्टाचार्जी भी लगभग उसी समय पेंटी और बड़जात्या को हटाकर इसके निदेशक बने.
15 नवंबर 2010 को भट्टाचार्जी इस पद से हट गए लेकिन उनकी जगह किसी और ने नहीं खुद भास्कर ने ली. इस तरह से चांदमारी टी कंपनी के डायरेक्टर के पद से इस्तीफा देने से पहले तक भास्कर इन दोनों ही कंपनियों के एक निदेशक थे.
30 मार्च की सुबह द वायर ने भास्कर शर्मा के डीएस गृह निर्माण प्राइवेट लिमिटेड के आधिकारिक ईमेल उनसे निम्नलिखित सवाल पूछेः
- कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के दस्तावेजों में डीएस गृह निर्माण प्राइवेट लिमिटेड का जो पता 75 प्रथम तल, मेटकाफ स्ट्रीट, बोबाजार कोलकाता दर्ज है क्या वह अब भी कंपनी का आधिकारिक पता है?
- इस कंपनी का चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर या मैनेजिंग डायरेक्टर कौन है? अगर आप उस व्यक्ति के संपर्क विवरण साझा कर सकते हैं तो कृपया करें.
इस आलेख के प्रकाशन के वक्त तक इसका जवाब नहीं आया था. भास्कर का जवाब आने पर आलेख में संशोधन किया जाएगा.
एक अनोखा पैटर्नः तीन कंपनियों के एक ही निवेशक
भट्टाचार्जी का नाम द वायर और द क्रॉसकरेंट की एक की एक पूर्ववर्ती खोजी रिपोर्ट में भी आया था. सार्वजनिक तौर पर मौजूद रिकॉर्ड्स के आधार पर बताया गया था कि आरबीएस रिएल्टर्स जिसका नाम अब वशिष्ठ रिएल्टर्स हो गया है, का उत्तरी गुवाहाटी के व्यावसायिक संभावना वाले इलाके में सरकार की हदबंदी वाली जमीन (सीलिंग लैंड) पर गैरकानूनी स्वामित्व है.
आरबीएस रिएल्टर्स की स्थापना मुख्यमंत्री की पत्नी रिनिकी और भट्टाचार्जी द्वारा 2006 में की गई थी. केंद्रीय कॉरपोरेट मंत्रालय में जमा दस्तावेजों के मुताबिक, जल्दी ही कोलकाता के बड़ा बाजार इलाके की 17 कंपनियों ने आरबीएस रिएल्टर्स में निवेश करना शुरू कर दिया, जो 2,17,45,000 रुपये का था.
2019 में जहां भट्टाचार्जी आरबीएस रिएल्टर्स के निदेशक बने रहे, वहीं रिनिकी ने इससे इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह पर गुवाहाटी के कारोबारी अशोक धनुका आए, जिन्हें मुख्यमंत्री का करीबी माना जाता है. इसके ठीक बाद कोलकाता के शेयरधारकों ने अपने शेयरों को भास्कर, उनकी पत्नी जीना शर्मा, भाई संजीव शर्मा, उनके ससुर मोहन शर्मा और उनके परिवार के कुछ और सदस्यों को ट्रांसफर करना शुरू कर दिया. रिनिकी के मामा गुना तामुली फूकन भी एक शेयरधारक बन गए.
नए शेयरधारकों के आगमन के बाद आरबीएस रिएल्टर्स के नाम परिवर्तन- इसे बदलकर वशिष्ठ रिएल्टर्स करने- के लिए आवेदन किया गया. मंत्रालय के रिकॉर्ड के अनुसार, 2017 में 100 रुपये मूल्य के 23.61 प्रतिशत शेयर मुख्यमंत्री की सास मीना भुइयां को उनके भाई गुना तामुली फूकन ने ट्रांसफर किए. 19 सितंबर, 2019 को मुख्यमंत्री के बेटे नंदिल बिस्वा शर्मा के 18 साल की आयु पूरी करने पर मीना भुइयां के शेयर उन्हें हस्तांतरित कर दिए गए और इस तरह से वह बहुमत अंशधारक (मेजोरिटी शेयरहोल्डर) बन गए. आरबीएस रिएल्टर्स -अब वशिष्ठ रिएल्टर्स- के बाकी शेयर भास्कर और उसके परिवार के पास बने रहे.
भास्कर एक और कंपनी- प्राइड ईस्ट एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक निदेशक हैं. कंपनी के अन्य निदेशक मुख्यमंत्री की पत्नी रिनिकी, बेटे नंदिल और बेटी सुकन्या हैं. प्राइड ईस्ट एंटरटेनमेंट लिमिटेड गुवाहाटी के न्यूज चैनल न्यूजलाइव और नॉर्थईस्ट लाइव की मालिक है.
द वायर और द क्रॉसकरेंट की पहले की एक रिपोर्ट में यह भी दिखाया गया था कि मुख्यमंत्री की पत्नी अब दिवंगत हो चुके उनके ससुर कैलाशनाथ शर्मा के साथ एक अन्य कंपनी पद्मावती ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक थीं. इस कंपनी का पहली बार नाम 2016 के विधानसभा चुनाव के दौरान हिमंता द्वारा चुनाव आयोग के समक्ष दायर किए गए हलफनामे में आया था. इस हलफनामे में यह बताया गया था कि पत्नी रिनिकी ने पद्मावती ट्रेडर्स से 10 लाख रुपये कर्ज लिया था.
पुराने तरीके की तरह ही 2006 में रिनिकी के पद्मावती का निदेशक बनने के बाद इसकी बैलेंसशीट में कोलकाता की 14 कंपनियों को 2 लाख शेयर (100 रुपये मूल्य का प्रति शेयर) खरीदते दिखाया गया. कंपनी को मिला कुल धन 3,50,00,000 रुपये था. दिलचस्प तरीके से ये कोलकाता की वही कंपनियां थीं, जिन्होंने आरबीएस रिएल्टर्स के शेयरों की खरीद की थी.
रिनिकी और उनके ससुर ने 2010 में पद्मावती ट्रेडर्स के निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह गुवाहाटी के कारोबारी अशोक धनुका और उनके बेटे घनश्याम धनुका ने ले ली. जैसा कि जून, 2022 में आरटीआई के आधार पर की गई हमारी एक रिपोर्ट में दिखाया गया था, घनश्याम की कंपनी हिमंता बिस्वा शर्मा के स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए हुई कोविड संबंधी मेडिकल खरीद का लाभ पाने वालों में से एक थी.
जो पैटर्न आरबीएस रिएल्टर्स और पद्मावती ट्रेडर्स में देखा गया, वही डीएस गृह निर्माण प्राइवेट लिमिटेड में भी दोहराया गया: भास्कर शर्मा, रंजीत भट्टाचार्जी और मृणालिनी देवी के इसके निदेशक बनने के ठीक बाद कोलकाता की कुछ कंपनियों द्वारा इसमें निवेश आने लगा. मंत्रालय के ब्यौरे के मुताबिक, कम से कम 51 ऐसे कंपनियों ने कुल 5,14,36,000रुपये का इसमें निवेश किया.
कोलकाता कनेक्शन
दिलचस्प यह है कि इनमें से 13 कंपनियां डीएस गृह निर्माण और आरबीएस (वशिष्ठ) रिएल्टर्स दोनों में ही निवेशक थे. ये कंपनियां हैं-एलीगेंस ट्रेड एंड होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड, रैडिएंट मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड, डिंगो कमोडिटीज, ओलींडर मैन्युफैक्चरर्स एंड ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड, इकोलैक विनिमय प्राइवेट लिमिटेड, युलान मार्केटिंग, नीलहाट प्रोमोटर्स, शुभलक्ष्मी कोल एंड एक्जिम, छत्तीसगढ़ बीड़ी पत्ता प्राइवेट लिमिटेड, हरलालका कमर्शियल, ट्राईस्टार एजेंसीज और शुभरेखा व्यापार और एसके स्टॉक डीलर्स.
कोलकाता की इन 51 कंपनियों में से 17 के पास अब भी डीएस गृह निर्माण के शेयर हैं; इन 17 कंपनियों का कुल शेयर मूल्य 3,74,60,000 है. ये कंपनियां हैं- सुनीमा ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड, सिंप्स वाणिज्य प्राइवेट लिमिटेड, शुभ सप्लायर्स प्राइवेट लिमिटेड, शिव अर्पण प्राइवेट लिमिटेड, अरिहंत एंटरप्राइज, विंध्य एजेंसीज; कैलेंडर ट्रैक्शन, सनराइज एजेंसीज, शेफायर एक्सपोर्ट एंड एजेंसी, ओरिप्लास्ट मर्केंडाइज, कर्णिका फाइनेंशियल सर्विस, रेलैन एडवायजरी, बोनफुल सेल, हुगली जूट मिल, कोएल ट्रेडकॉम, लैंडमार्क सप्लायर्स और उत्थान टाई-अप.
जब चांदमारी टी कंपनी से संबंधित मंत्रालय के ताजा रिकॉर्ड का आकलन करते हैं, तब हमें वहां भी ऐसा ही पैटर्न नजर आता है. मसलन, वशिष्ठ रिएल्टर्स के मामले में कोलकाता की कंपनियों ने, कंपनी का निदेशक बनने के बाद जल्द ही अपने शेयर भास्कर शर्माऔर उसके परिवार और मुख्यमंत्री की पत्नी के मामा को ट्रांसफर कर दिए. 31 मार्च 2020 की डीएस गृह निर्माण प्राइवेट लिमिटेड की बैलेंसशीट से पता चलता है कोलकाता कि कई कंपनियों द्वारा अपने शेयर्स मुख्यमंत्री की पत्नी के उन्हीं मामा गुणा तामुली फूकन को हस्तांतरित किए गए.
वशिष्ठ रिएल्टर्स वाले मामले की ही तरह फूकन ने डीएस गृह निर्माण के शेयरों को अपनी बहन और मुख्यमंत्री की सास मीना भुइयां को ट्रांसफर कर दिया. जैसा कि ऊपर बताया गया है, मीना भुइयां के पास अब उस कंपनी के 19.25 प्रतिशत शेयर हैं.
वशिष्ठ रिएल्टर्स के मामले में, 2017 में मुख्यमंत्री के बेटे के 18 साल का होने पर मीना भुइयां ने अपने शेयर उसके नाम पर ट्रांसफर कर दिए और इस तरह से उसे कंपनी बहुमत स्टेकहोल्डर बना दिया. डीएस गृह निर्माण प्राइवेट लिमिटेड के मामले में, आज तक की स्थिति के अनुसार, मीना भुइयां के पास आज भी उसके शेयर हैं और इस तरह से वे चांदमारी टी कंपनी में भी एक अंशधारक हैं.
इन कंपनियों की कोलकाता में खोज
जैसे पद्मावती और वशिष्ठ रिएल्टर्स में निवेश करने वाली कई कंपनियों का कोलकाता में एक ही पता था, उसी तरह से डीएस गृह निर्माण प्राइवेट लिमिटेड में निवेश करने वाली कंपनियों का भी शहर में पता समान था.
पहले की पड़ताल में जब द वायर वशिष्ठ रिएल्टर्स और पद्मावती ट्रेडर्स दोनों में पैसे लगाने वाली कुछ कंपनियों के पते पर गई तो वहां कंपनी के ऑफिस जैसा कुछ भी नजर नहीं आया. ऐसे एक पते की तस्वीर नीचे देखी जा सकती है.
द वायर मंत्रालय में दिए गए डीएस गृह निर्माण प्राइवेट लिमिटेड के पते पर भी गई. विविध प्रकार की दुकानों वाली एक व्यस्त सड़क पर 75, मेटकाफ रोड, बहू बाजार पता मिला तो सही, लेकिन उस परिसर में डीएस गृह निर्माण का कहीं अस्तित्व नहीं दिखाई दे रहा था.
द वायर को उस पते पर बस एक लेटर कटिंग और लेजर इनग्रेविंग आदि का काम करने वाली किसी दुकान साइनबोर्ड नजर आया. यह वीडियो क्लिप एक दुकान पर खत्म होती सड़क को दिखाता है, जिसका पता वही है जो डीएस गृह निर्माण प्राइवेट लिमिटेड का है.
यहां यह याद किया जा सकता है कि मार्च, 2022 में राज्यसभा में जवाब देते हुए केंद्रीय कॉरपोरेट मामलों के मंत्री राव इंदरजीत सिंह ने शेल कंपनियों की परिभाषा दी थी. मंत्री महोदय ने इसे एक ऐसी कंपनी बताया था जिसकी ‘सक्रिय कारोबारी गतिविधि न हो या या जिसके पास उल्लेखनीय संपत्ति न हो, जिनका कुछ मामलों में इस्तेमाल गैरकानूनी मकसदों जैसे टैक्स चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग, असली स्वामित्व को छिपाने, बेनामी संपत्ति के लिए किया जाता है.’
18 जून, 2018 को केंद्रीय वित्त मंत्री ने एक प्रेस नोट जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री ने ‘शेल कंपनियों’ को हटाने के लिए एक टास्कफोर्स का गठन किया था. इसे व्यवस्थित तरीके से ‘विभिन्न एजेंसियों के समन्वित प्रयास से सामान्य भाषा में ‘शेल कंपनियां- कही जाने वाली कंपनियों के टैक्स चोरी में मदद करने समेत अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने की बुराई पर अंकुश लगाने का जिम्मा सौंपा गया था. इस प्रेस नोट में कहा गया था कि 2017 से 2018 के बीच 2,26,166 ऐसी कंपनियों की पहचान की गई और उन्हें कंपनियों के रजिस्टर से हटाया गया और 3,09,619 निदेशकों को यह पद धारण करने के अयोग्य कर दिया गया.
2019 में वित्त मंत्रालय की एक प्रेस रिलीज में कहा गया कि विभाग के पास शेल कंपनियों की पुख्ता सूची का एक डेटाबेस है, जिसमें 16,537 नाम हैं. रिलीज में कहा गया कि टास्क फोर्स के पास एक डिराइव्ड लिस्ट और एक संदिग्ध लिस्ट भी है. 15 मार्च, 2022 तक के सरकारी डेटा के मुताबिक,वित्तीय वर्ष 2020-21 तक ऐसी 3.82 लाख शेल कंपनियों को कंपनी एक्ट से बाहर कर दिया गया है.
हिमंता के अपने परिवार से ताल्लुक रखने वाली कोलकाता की कई कंपनियों के पते पर न कॉरपोरेट ऑफिस का कोई नामोनिशान मिला और न वहां किसी प्रकार की कारोबारी गतिविधियों का ही कोई साक्ष्य था, जिसका उल्लेख सरकारी दस्तावेजों में मिलता है.
कुल मिलाकर, चांदमारी टी कंपनी, वशिष्ठ रिएल्टर्स और पद्मावती ट्रेडर्स में कोलकाता की कंपनियों ने आधिकारिक रूप से 11,60,81,000 रुपये का निवेश किया है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)