एक रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी में अमूल ने दूध की कीमतों में 3 रुपये की वृद्धि की, जो एक वर्ष में पांचवीं वृद्धि थी. फरवरी में दूध की खुदरा मुद्रास्फीति 9.65 प्रतिशत बढ़ी, जो पिछले महीने 8.79 प्रतिशत थी, यह अनाज के बाद सबसे बड़ी वृद्धि है.
नई दिल्ली: विश्लेषकों ने चारे की अधिक कीमतों, महामारी के कारण दुधारू पशुओं की कमी और दुनिया के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक में उत्पादकता में मंदी का हवाला देते हुए कहा कि दूध की खुदरा कीमतें पिछले एक साल में 15 प्रतिशत बढ़ी हैं, जो एक दशक में सबसे तेज गति है और इस गर्मी में और बढ़ सकती है.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, अमूल ब्रांड के मालिक गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (जीसीएमएमएफ) के एक अधिकारी ने कहा कि किसानों को उनकी उत्पादन लागत से अधिक कीमत चुकाने के लिए खुदरा कीमतों में कई बार वृद्धि की गई.
उपभोक्ता सर्वेक्षण फर्म ‘लोकल सर्कल्स’ ने हालिया समीक्षा में कहा कि तीन में से एक परिवार ने बढ़ती कीमतों के कारण दूध की खपत और खर्च कम कर दिया है.
फरवरी में अमूल ने दूध की कीमतों में 3 रुपये की वृद्धि की, जो एक वर्ष में पांचवीं वृद्धि थी. ब्रांडेड दूध की कीमतें प्रतिस्पर्धी हैं और एक लीटर फुल क्रीम दूध अब राष्ट्रीय राजधानी में 66 रुपये में बिकता है, जबकि टोन्ड किस्म की कीमत 54 रुपये है. फरवरी में दूध की खुदरा मुद्रास्फीति 9.65 प्रतिशत बढ़ी, जो पिछले महीने 8.79 प्रतिशत थी, यह अनाज के बाद सबसे बड़ी वृद्धि है.
जीसीएमएमएफ के अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में पिछले एक दशक में लगभग 6 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि की तुलना में दूध उत्पादन में 1 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है. 2021-22 में 221 करोड़ टन के अनुमानित उत्पादन के साथ भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक था.
रूस-यूक्रेन संघर्ष से उपजे वैश्विक अनाज की कमी के कारण भारत से टूटे हुए चावल और गेहूं के अवशेषों का अधिक निर्यात हुआ था, जिससे चारे की कमी हो गई. इससे मक्के की कीमतों में तेजी आई है. कुल मिलाकर, 2021 से चारे की कीमतें लगभग 21 प्रतिशत बढ़ी हैं.
एक घातक विषाणु संक्रमण लंपी त्वचा रोग ने पिछले साल महामारी का रूप धारण कर लिया था और अनुमान है कि आठ राज्यों में लगभग 185,000 गायों और भैंसों की मौत हुई थी.
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष और अमूल के पूर्व प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी ने कहा, ‘कीमतों में वृद्धि का मुख्य कारण चारे की कीमतों और मवेशियों में ही वृद्धि है. गुजरात के अलावा दुग्ध उत्पादकों ने डेयरी किसानों को उत्पादन लागत से कम भुगतान किया.’
राजस्थान के सीकर में एक डेयरी विकास अधिकारी राजेश शर्मा ने कहा, ‘महामारी फैलने के साथ किसानों ने कम बछड़ों को पाला और प्रजनन के लिए झुंड का आकार सीमित कर दिया. राजस्थान जैसे राज्यों में प्रमुख मौसमी पशु बाजारों को बंद कर दिया गया, क्योंकि महामारी को रोकने के लिए प्रतिबंध लगाए गए थे.’