लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाने की मांग के बीच केंद्र ने कहा- वहां किसी बाहरी ने ज़मीन नहीं खरीदी

केंद्र सरकार ने संसद में बताया कि 2019 के बाद से न तो किसी बाहरी व्यक्ति ने लद्दाख में कोई ज़मीन खरीदी है और न ही किसी बाहरी कंपनी ने इस केंद्रशासित प्रदेश में निवेश किया है. केंद्र ने जोड़ा कि केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में पिछले तीन वर्षों में 185 बाहरी लोगों ने ज़मीन खरीदी है.

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लद्दाख की राजधानी लेह स्थित लेह गेट. (प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

केंद्र सरकार ने संसद में बताया कि 2019 के बाद से न तो किसी बाहरी व्यक्ति ने लद्दाख में कोई ज़मीन खरीदी है और न ही किसी बाहरी कंपनी ने इस केंद्रशासित प्रदेश में निवेश किया है. केंद्र ने जोड़ा कि केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में पिछले तीन वर्षों में 185 बाहरी लोगों ने ज़मीन खरीदी है.

लद्दाख की राजधानी लेह स्थित लेह गेट. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: लद्दाख में संविधान की छठी अनुसूची के तहत पूर्ण राज्य का दर्जा और विशेष दर्जे की देने की मांग के बीच केंद्र सरकार ने बुधवार को राज्यसभा को सूचित किया कि 2019 के बाद से न तो किसी बाहरी व्यक्ति ने वहां कोई जमीन खरीदी है और न ही किसी बाहरी कंपनी ने केंद्रशासित प्रदेश में निवेश किया है.

एनडीटीवी के मुताबिक, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया, ‘केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार, पिछले तीन वर्षों के दौरान वहां बाहर के लोगों द्वारा कोई जमीन नहीं खरीदी गई है, साथ ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों सहित किसी भी भारतीय कंपनी ने पिछले तीन वर्षों के दौरान यहां निवेश नहीं किया है.’

यह बयान महत्वपूर्ण है क्योंकि इस क्षेत्र के दो प्रतिनिधि संगठन- लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (केडीए) बीते कुछ समय से पूर्ण राज्य के दर्जे सहित अन्य मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. लद्दाख क्षेत्र के लोग भारत के अन्य आदिवासी क्षेत्रों को संविधान की छठी अनुसूची के तहत प्रदान किए गए संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे हैं, जिससे उनकी जनसांख्यिकी, नौकरी और भूमि की रक्षा हो सके.

एनडीटीवी के अनुसार, इस बीच केंद्र और लेह, कारगिल के आंदोलनकारी संगठनों के बीच गतिरोध समाप्त होने की खबर है और गृह मंत्रालय ने संगठन से एक संशोधित प्रस्ताव मांगा है.

एलबीए के उपाध्यक्ष लकरूक शेरिंग ने इस चैनल को बताया, ‘नए प्रस्ताव को तैयार करने के लिए जल्द ही दोनों संगठनों की बैठक होने वाली है.’

उनके अनुसार, गृह मंत्रालय जानना चाहता है कि छठी अनुसूची में वे सुरक्षा उपायों के संदर्भ में किन प्रावधानों को प्राथमिकता देना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘छठी अनुसूची के तहत प्रावधान उत्तर पूर्व के राज्यों के लिए अलग हैं. गृह मंत्रालय चाहता है कि हम अपनी प्राथमिकताएं बताएं.’

ज्ञात हो कि इस महीने की शुरुआत में लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बीडी मिश्रा ने नई दिल्ली में शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की थी और बताया था कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए प्रशासन प्रयास कर रहा है.

नई दिल्ली में बैठक से पहले एलएबी नेताओं ने अपने चार सूत्रीय एजेंडा के बारे में उपराज्यपाल को जानकारी दी थी, जिसमें लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा उपाय, केंद्रशासित प्रदेश के लिए दो संसदीय सीटें और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर शामिल थे.

एलएबी ने वार्ता के लिए गृह मंत्रालय की उच्चस्तरीय समिति में शामिल किए जाने वाले नेताओं के नाम भी सौंपे. केडीए के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘नए एलजी एक सैनिक हैं इसलिए हमें उन पर भरोसा है कि वह हमारी मांगों को कम नहीं करेंगे.’

5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को समाप्त कर तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था.

जम्मू कश्मीर में पिछले तीन साल में 185 बाहरी लोगों ने ज़मीन खरीदी

उधर, गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा में बताया कि पिछले तीन वर्षों में 185 गैर-स्थानीय लोगों ने जम्मू और कश्मीर में जमीन खरीदी है.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि 2020 में एक व्यक्ति, 2021 में 57 लोगों और 2022 में 127 लोगों ने केंद्रशासित प्रदेश में जमीन खरीदी.

अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री ने एक अधिसूचना जारी की थी जिसमें कहा गया था कि कोई भी भारतीय नागरिक डोमिसाइल के बिना भी जम्मू कश्मीर के नगरपालिका क्षेत्रों में कृषि भूमि को छोड़कर जमीन खरीद सकता है.

मंत्री ने यह भी बताया कि जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, बहुराष्ट्रीय कंपनियों सहित कुल 1,559 भारतीय कंपनियों ने केंद्रशासित प्रदेश में निवेश किया है.

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