उत्तर प्रदेश के आगरा ज़िले का मामला. रामनवमी पर गोकशी की वारदात हुई थी और गोमांस बरामद हुआ था. इस संबंध में अखिल भारत हिंदू महासभा के पदाधिकारियों ने कुछ मुस्लिम युवकों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई थी. हालांकि कॉल रिकॉर्ड से पता चला कि आरोपी घटनास्थल पर एक महीने से अधिक समय से गए ही नहीं थे.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में गोकशी कर रामनवमी पर माहौल खराब करने की कोशिश का पर्दाफाश हुआ है. पुलिस ने बताया है कि साजिश अखिल भारत हिंदू महासभा के पदाधिकारियों ने की थी.
अमर उजाला में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय जाट को मुख्य साजिशकर्ता बताया है. उसके अनुसार, यह साजिश कुछ मुस्लिम युवकों को फंसाने के लिए रची गई थी, जिनसे उनकी पुरानी दुश्मनी थी.
इस संबंध में हिंदू महासभा के चार पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है.
बता दें कि उत्तर प्रदेश में एक कठोर गोहत्या विरोधी कानून है, जिसमें अपराध के लिए अधिकतम 10 साल की सश्रम कारावास और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना है.
रिपोर्ट के अनुसार, रामनवमी पर गोकशी की वारदात हुई थी और गोमांस बरामद हुआ था. इसके बाद अखिल भारत हिंदू महासभा के पदाधिकारी वहां पहुंचे थे. महासभा के पदाधिकारी जितेंद्र कुशवाहा ने इस संबंध में मुकदमा दर्ज कराया था.
द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘आगरा के छाता इलाके के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आरके सिंह ने कहा, (हिंदू महासभा के नेता) संजय जाट मुख्य साजिशकर्ता हैं. उनके सहयोगियों और दोस्तों ने 29 मार्च की रात मेहताब बाग इलाके में एक गाय की हत्या की और पार्टी सदस्य जितेंद्र कुशवाहा को मोहम्मद रिजवान, मोहम्मद नकीम और मोहम्मद शानू के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए कहा.’
उन्होंने बताया, ‘पुलिस ने चौथे संदिग्ध इमरान कुरैशी और अगले दिन शानू को गिरफ्तार किया. हालांकि जांच में पता चला कि नामजद आरोपियों का अपराध से कोई लेना-देना नहीं था. पूछताछ में पता चला है कि संजय जाट की इनमें से कुछ लोगों से दुश्मनी थी और वह उन्हें मामले में फंसाना चाहते थे.’
अधिकारी ने कहा कि हिंदू महासभा के एक प्रवक्ता संजय ने साजिश रचने के लिए कुछ अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों की मदद भी ली थी.
अधिकारी ने कहा, ‘पूछताछ के दौरान जितेंद्र ने हमसे झूठ बोला था. कॉल रिकॉर्ड से पता चलता है कि वह, संजय जाट और कुछ अन्य लोग जहां गोहत्या की गई थी, उस स्थान के पास थे, न कि वे जिनके नाम उन्होंने पुलिस शिकायत में दर्ज कराए थे. कॉल रिकॉर्ड से यह भी पता चलता है कि आरोपी व्यक्ति एक महीने से अधिक समय से उस स्थान पर नहीं गए थे.’
पुलिस ने कहा कि कथित रूप से झूठे आरोप में सात दिन पहले गिरफ्तार किए गए दोनों लोगों (इमरान और शानू) को जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा.
पुलिस ने बताया कि शानू, इमरान व अन्य का नकीम, बिज्जो और रिजवान से विवाद चल रहा था. अंतिम तीन भाई हैं. नकीम नगर निगम का कर्मचारी है और उसने पहले कथित तौर पर उनमें से कुछ को जेल भेजने की साजिश रची थी.
नकीम के खिलाफ रंजिश रचते हुए शानू और इमरान ने कथित तौर पर उन्हें गोहत्या के मामले में फंसाने की साजिश रची थी. उन्होंने कथित तौर पर मूल शिकायतकर्ता जितेंद्र कुशवाहा के साथ कई अन्य लोगों और महासभा के प्रवक्ता संजय जाट के साथ मिलकर काम किया, जिन्होंने नकीम और अन्य पर आरोप लगाया था.
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