कर्नाटक: वार्षिक मेले के दौरान विक्रेताओं को मंदिर क्षेत्र में दुकान लगाने की अनुमति नहीं

तटीय कर्नाटक के मेंगलुरु तालुका के मुल्की स्थित बप्पनाडु श्री दुर्गापरमेश्वरी मंदिर ने 5 अप्रैल से शुरू हुए वार्षिक मंदिर मेले के दौरान विक्रेताओं के मंदिर क्षेत्र में दुकानें लगाने पर रोक दिया है. यह फैसला उस विवाद के एक साल बाद आया है, जब मंदिर मेले के दौरान मुस्लिम विक्रेताओं को दुकान लगाने की अनुमति नहीं देने के लिए कहा गया था.

मेंगलुरु के मुल्की में स्थित बप्पनाडु श्री दुर्गापरमेश्वरी मंदिर. (फोटो साभार: ट्विटर/@AnuSatheesh5)

तटीय कर्नाटक के मेंगलुरु तालुका के मुल्की स्थित बप्पनाडु श्री दुर्गापरमेश्वरी मंदिर ने 5 अप्रैल से शुरू हुए वार्षिक मंदिर मेले के दौरान विक्रेताओं के मंदिर क्षेत्र में दुकानें लगाने पर रोक दिया है. यह फैसला उस विवाद के एक साल बाद आया है, जब मंदिर मेले के दौरान मुस्लिम विक्रेताओं को दुकान लगाने की अनुमति नहीं देने के लिए कहा गया था.

मेंगलुरु के मुल्की में स्थित बप्पनाडु श्री दुर्गापरमेश्वरी मंदिर. (फोटो साभार: ट्विटर/@AnuSatheesh5)

मंगलुरु: तटीय कर्नाटक के एक मंदिर ने 5 अप्रैल से शुरू हुए अपने वार्षिक मेले के दौरान विक्रेताओं के मंदिर क्षेत्र में दुकानें लगाने पर रोक लगा दी है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, यह फैसला उस विवाद के एक साल बाद आया है, जब मेंगलुरु तालुका के मुल्की में बप्पनाडु श्री दुर्गापरमेश्वरी मंदिर के बाहर एक बैनर लगाया गया था, जिसमें मंदिर के अधिकारियों को मंदिर मेले के दौरान मुस्लिम विक्रेताओं को दुकान लगाने की अनुमति नहीं देने के लिए कहा गया था.

इस साल के उत्सवों के लिए दुकान लगाने पर रोक लगाने के प्रबंधन समिति के फैसले के बारे में बोलते हुए मंदिर के वंशानुगत ट्रस्टी एनएस मनोहर शेट्टी ने रविवार को कहा कि मंदिर सांप्रदायिक सद्भाव के प्रतीक के रूप में खड़ा है और मुस्लिमों सहित विभिन्न धर्मों के हजारों लोग देवता का सम्मान करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘हम पिछले साल की घटना से दुखी थे. समिति ने मंदिर क्षेत्र में चल रहे मंदिर मेले के लिए कोई दुकान नहीं लगाने का फैसला किया. हम चाहते हैं कि मेला सौहार्द्रपूर्ण तरीके से चले और कोई विवाद न हो.’

शेट्टी ने कहा कि विक्रेता मंदिर की भूमि के बगल में निजी संपत्ति में दुकान लगाने के लिए स्वतंत्र हैं, अगर उस ज़मीन के मालिक सहमत हों. शेट्टी ने आगे कहा कि स्वयंसेवकों की एक समिति निजी भूमि पर दुकानों की देखरेख कर रही है और दुकानों के आवंटन के लिए समिति द्वारा एकत्रित धन का एक हिस्सा मंदिर को दिया जाता है.

उन्होंने कुछ मुस्लिम विक्रेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन किया कि उन्हें मेले के लिए दुकान लगाने की अनुमति नहीं थी, जबकि प्रबंधन समिति के सदस्यों ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी धर्म से संबंधित किसी भी विक्रेता को मंदिर की भूमि पर दुकानें खोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी.