हाईकोर्ट ने अवमानना मामले में बिना शर्त माफ़ी मांगने के बाद विवेक अग्निहोत्री को बरी किया  

अक्टूबर 2018 में सिलसिलेवार तरीके से किए गए ट्वीट में फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने आरोप लगाया था कि दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एस. मुरलीधर ने भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी गौतम नवलखा को नज़रबंदी से मुक्त करने का फैसला किया था, क्योंकि वह उनकी पत्नी के दोस्त थे.

विवेक अग्निहोत्री. (फोटो साभार: फेसबुक)

अक्टूबर 2018 में सिलसिलेवार तरीके से किए गए ट्वीट में फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने आरोप लगाया था कि दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एस. मुरलीधर ने भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी गौतम नवलखा को नज़रबंदी से मुक्त करने का फैसला किया था, क्योंकि वह उनकी पत्नी के दोस्त थे.

विवेक अग्निहोत्री. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने सोमवार को ट्विटर पर 2018 में जस्टिस एस. मुरलीधर के खिलाफ की गई टिप्पणी से संबंधित एक अवमानना ​​मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष खेद व्यक्त किया और बिना शर्त माफी मांग ली. अदालत में उपस्थित होकर उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की संस्था के लिए उनके मन में ‘अत्यंत सम्मान’ है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 में अग्निहोत्री ने कार्यकर्ता गौतम नवलखा को जमानत देते समय हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और उड़ीसा हाईकोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस. मुरलीधर पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए एक ट्वीट किया था.

अग्निहोत्री ने कथित तौर पर भीमा कोरेगांव मामले में कार्यकर्ता गौतम नवलखा की नजरबंदी और ट्रांजिट रिमांड आदेश को रद्द करने के जस्टिस एस. मुरलीधर के आदेश के संबंध में एक पोस्ट को ट्वीट किया था.

अक्टूबर 2018 में सिलसिलेवार तरीके से किए गए ट्वीट में अग्निहोत्री ने आरोप लगाया था कि दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एस. मुरलीधर ने नवलखा को नजरबंदी से मुक्त करने का फैसला किया था, क्योंकि वह न्यायाधीश की पत्नी के दोस्त थे.

इसके बाद कोर्ट ने उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी.

विवेक अग्निहोत्री द्वारा जस्टिस मुरलीधर के खिलाफ किए गए ट्वीट्स.

सोमवार को जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस विकास महाजन की खंडपीठ ने अग्निहोत्री के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के कारण बताओ नोटिस को वापस ले लिया और अवमानना के आरोप को खत्म कर दिया.

अदालत ने कहा, ‘उन्होंने (विवेक अग्निहोत्री) कहा कि न्यायपालिका की संस्था के लिए उनके मन में अत्यधिक सम्मान है और जानबूझकर अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाने का उनका इरादा नहीं था.’

अदालत ने फिल्म निर्देशक को भविष्य में इस तरह की टिप्पणी करने के प्रति आगाह भी किया. जस्टिस मृदुल ने मौखिक रूप से कहा, ‘विवेक अग्निहोत्री जी, हम आपको सावधान भी करेंगे कि आगे बढ़ने में सावधानी बरतें.’

एक अन्य कथित अवमाननाकर्ता आनंद रंगनाथन की ओर से पेश अधिवक्ता जे. साई दीपक ने और समय देने का अनुरोध किया और कहा कि वह सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत में उपस्थित रहेंगे.

एस. गुरुमूर्ति के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा दायर एक अन्य संबंधित आपराधिक अवमानना ​​मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस मृदुल ने कहा, ‘जो प्रासंगिक है, वह यह है कि प्रत्येक नागरिक को पता होना चाहिए कि आपको सावधान रहना चाहिए. हम न्यायसंगत और निष्पक्ष आलोचना को आमंत्रित करते हैं. इस तरह हम कार्य करते हैं. लेकिन तथ्य यह है कि कभी-कभी हर कार्यवाही अपने तरीके से चलती है, हम उन्हें उसके आगे लंबित नहीं रख सकते हैं.’

अदालत ने अब मामले को 24 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल दिसंबर में विवेक अग्निहोत्री ने अपनी टिप्पणी के लिए अदालत के समक्ष ‘बिना शर्त माफी’ मांगी थी, जिसके बाद अदालत ने उन्हें ‘व्यक्तिगत रूप से पश्चाताप दिखाने’ के लिए कोर्ट में उपस्थित रहने के लिए कहा था.

सितंबर 2022 में अदालत ने स्वराज्य न्यूज पोर्टल, आनंद रंगनाथन और अन्य के खिलाफ एकपक्षीय कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, जो इस मामले में पेश नहीं हुए थे.

वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव द्वारा अदालत को एक पत्र लिखे जाने के बाद कार्यवाही शुरू की गई थी जिसमें कहा गया था कि ट्वीट हाईकोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश पर हमला करने का जान-बूझकर किया गया प्रयास था.

इससे पहले विवेक अग्निहोत्री ने अदालत से कहा था कि उन्होंने विवादित ट्वीट हटा लिया है. हालांकि, एमिकस क्यूरी सीनियर एडवोकेट अरविंद निगम ने अदालत को सूचित किया था कि ट्विटर ने अपने जवाब में कहा है कि ट्वीट को उसके प्लेटफॉर्म द्वारा हटा दिया गया था.