चुनाव आयोग का यह निर्णय 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और 2014 के बाद से हुए 21 राज्य विधानसभा चुनाव में दलों के प्रदर्शन की समीक्षा के आधार पर लिया गया. आयोग के आदेश में कहा गया है कि आप ने चार या अधिक राज्यों में एक मान्यता प्राप्त राज्य पार्टी होने की आवश्यकता को पूरा किया है.
नई दिल्ली: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बीते सोमवार को चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी (आप) को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता दे दी. वहीं, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने राष्ट्रीय दल होने का दर्जा खो दिया.
चुनाव आयोग का यह निर्णय 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और 2014 के बाद से हुए 21 राज्य विधानसभा चुनाव में दलों के प्रदर्शन की समीक्षा के आधार पर लिया गया.
अन्य लाभों के अलावा एक राष्ट्रीय पार्टी की स्थिति यह सुनिश्चित करती है कि पार्टी का प्रतीक देश भर में उसके उम्मीदवारों के लिए आरक्षित रहे. इसके अलावा इसे राष्ट्रीय राजधानी में एक कार्यालय के लिए जमीन मिलती है.
देश में अब छह राष्ट्रीय दल हैं, जिनमें भाजपा, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), माकपा, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और आप शामिल हैं.
“No one can stop an idea whose time has come. Aam Aadmi Party's time has come. India's time has come.”
—CM @ArvindKejriwal
Congratulations to all our supporters & volunteers 🎉
🎗️We are now, a NATIONAL PARTY 🇮🇳🧹 pic.twitter.com/s5Iv99WLwC
— AAP (@AamAadmiParty) April 10, 2023
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के तहत कार्य करते हुए, जो एक राष्ट्रीय या राज्य पार्टी के रूप में मान्यता के मानदंड को निर्धारित करता है, चुनाव आयोग के आदेश में कहा गया है कि आप ने चार या अधिक राज्यों में एक मान्यता प्राप्त राज्य पार्टी होने की आवश्यकता को पूरा किया है.
1 जनवरी, 2014 से संशोधित आदेश के अनुच्छेद 6सी के अनुसार, एक पार्टी एक राष्ट्रीय या राज्य पार्टी बनी रहेगी यदि वह ‘अगले चुनाव’ (जिस चुनाव के बाद इसे ‘पहचान मिली’) में अनुच्छेद 6ए और 6बी में निर्धारित मानदंडों को पूरा करती है.
अन्य शर्तों के अलावा अनुच्छेद 6ए में कहा गया है कि एक राज्य की पार्टी को पिछले विधानसभा चुनाव में कम से कम 6 प्रतिशत वोट और कम से कम दो विधायक प्राप्त करने चाहिए; या पिछले लोकसभा चुनाव में उस राज्य से 6 प्रतिशत वोट शेयर और एक सांसद होना चाहिए; या फिर विधानसभा की कुल सीटों का 3 प्रतिशत या तीन सीटें, जो भी अधिक हो, होना चाहिए.
इसी तरह अनुच्छेद 6बी कहता है कि एक राष्ट्रीय पार्टी को पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनावों में चार या अधिक राज्यों में कम से कम 6 प्रतिशत वोट शेयर प्राप्त करना चाहिए और कम से कम चार सांसद होने चाहिए; या लोकसभा में कम से कम 2 प्रतिशत सीटें, जिसके उम्मीदवार कम से कम तीन राज्यों से चुने गए हों, होने चाहिए.
आम आदमी पार्टी: दिल्ली, गोवा और पंजाब के अलावा आम आदमी पार्टी साल 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद गुजरात में एक राज्य की पार्टी बन गई, जहां इसने 12.92 प्रतिशत वोट हासिल किए.
राष्ट्रीय पार्टी बनने पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ‘इतने कम समय में राष्ट्रीय पार्टी? ये किसी चमत्कार से कम नहीं. सबको बहुत बहुत बधाई. देश के करोड़ों लोगों ने हमें यहां तक पहुंचाया. लोगों को हमसे बहुत उम्मीद है. आज लोगों ने हमें ये बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी है. हे प्रभु, हमें आशीर्वाद दो कि हम ये जिम्मेदारी अच्छे से पूरी करें.’
इतने कम समय में राष्ट्रीय पार्टी? ये किसी चमत्कार से कम नहीं। सबको बहुत बहुत बधाई
देश के करोड़ों लोगों ने हमें यहाँ तक पहुँचाया। लोगों को हमसे बहुत उम्मीद है। आज लोगों ने हमें ये बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी दी है
हे प्रभु, हमें आशीर्वाद दो कि हम ये ज़िम्मेदारी अच्छे से पूरी करें
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) April 10, 2023
मंगलवार को पार्टी ने केजरीवाल के हवाले से एक ट्वीट में कहा, ‘देश सेवा में जान चली जाए, अपने आप को बहुत सौभाग्यशाली समझूंगा. कतरा-कतरा खून बह जाए, बहुत सौभाग्यशाली समझूंगा. करोड़ों कार्यकर्ताओं और समर्थकों को सलाम, जिनकी वजह से आज आप राष्ट्रीय पार्टी बनी. भगवान हमें सत्यमार्ग पर चलने की शक्ति दे.’
देश सेवा में जान चली जाए, अपने आप को बहुत सौभाग्यशाली समझूंगा।
कतरा-कतरा खून बह जाए, बहुत सौभाग्यशाली समझूंगा।
करोड़ों कार्यकर्ताओं और समर्थकों को सलाम, जिनकी वजह से आज AAP राष्ट्रीय पार्टी बनी।
भगवान हमें सत्यमार्ग पर चलने की शक्ति दे।
—CM @ArvindKejriwal #IndiasOnlyHopeAAP pic.twitter.com/wfysOhzEEI
— AAP (@AamAadmiParty) April 11, 2023
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘26 नवंबर 2012 को आप बनी थी. आज 10 साल बाद आप राष्ट्रीय पार्टी बनी है. देश में 1300 पार्टियां हैं, 6 राष्ट्रीय पार्टी हैं. आप 3 पार्टियों में से 1 है, जिसकी 1 से ज्यादा राज्य में सरकार है. मैं कार्यकर्ताओं, मतदाताओं, आलोचकों को धन्यवाद करता हूं.’
26 Nov 2012 को AAP बनी थी
आज 10 साल बाद AAP राष्ट्रीय पार्टी बनी है
देश में 1300 पार्टियां हैं, 6 राष्ट्रीय पार्टी हैं
AAP 3 पार्टियों में से 1 है जिसकी 1 से ज्यादा राज्य में Govt है
मैं कार्यकर्ताओं, Voters, Critics को धन्यवाद करता हूँ
-CM @ArvindKejriwal #IndiasOnlyHopeAAP pic.twitter.com/1cjhicV2c0
— AAP (@AamAadmiParty) April 11, 2023
तृणमूल कांग्रेस: चुनाव आयोग ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में एक राज्य की पार्टी नहीं रही, हालांकि यह पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में एक राज्य की पार्टी बनी रही और 2023 के चुनावों के आधार पर मेघालय में राज्य की पार्टी का दर्जा दिया गया.
अपनी समीक्षा में चुनाव आयोग ने पाया कि टीएमसी ने अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर से 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा और उसे त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में क्रमशः 0.40 प्रतिशत और 43.28 प्रतिशत वोट मिले.
2016 से 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी का वोट शेयर पश्चिम बंगाल में 44.91 प्रतिशत, मणिपुर में 1.41 प्रतिशत और त्रिपुरा में 0.30 प्रतिशत था. हाल के चुनावों में पार्टी को पश्चिम बंगाल (2021) में 48.02 प्रतिशत वोट मिले और मणिपुर (2022) में इसने चुनाव नहीं लड़ा था.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, नाम न बताने की शर्त पर टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘हम फैसले को चुनौती देने के लिए कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं.’
एनसीपी: एनसीपी ने गोवा, मणिपुर और मेघालय में अपना राज्य पार्टी का दर्जा खो दिया, क्योंकि 2017 और 2018 के बीच विधानसभा चुनावों में इसका वोट शेयर क्रमश: 2.28 प्रतिशत, 0.95 प्रतिशत और 1.61 प्रतिशत रहा.
यह महाराष्ट्र में एक राज्य पार्टी बनी हुई है, जहां इसे 2019 के विधानसभा चुनाव में 16.71 प्रतिशत वोट मिले. इस साल की शुरुआत में विधानसभा चुनावों के आधार पर पार्टी को नगालैंड में राज्य पार्टी का दर्जा भी दिया गया था.
संपर्क करने पर राकांपा के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हम आदेश का अध्ययन करने के बाद टिप्पणी करेंगे.’
सीपीआई: सीपीआई/भाकपा के मामले में चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में एक राज्य पार्टी के रूप में उसकी स्थिति वापस ले ली, जबकि यह केरल, मणिपुर और तमिलनाडु में एक राज्य पार्टी बनी हुई है.
2016 से 2019 तक हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी का वोट शेयर तमिलनाडु में 0.79 प्रतिशत था (लेकिन राज्य से इसके दो सांसद हैं), पश्चिम बंगाल में 1.45 प्रतिशत, मणिपुर में 0.74 प्रतिशत (लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य में इसका वोट शेयर 8.27 प्रतिशत था) और ओडिशा में 0.12 प्रतिशत था.
रिपोर्ट के अनुसार, सुनवाई के दौरान सीपीआई ने तर्क दिया था कि उसने 1952 से हर चुनाव लड़ा है और संसद में उपस्थिति बनाए रखी है.
चुनाव आयोग के आदेश में कहा गया है, ‘आयोग को सीपीआई द्वारा पेश की गईं उपलब्धियों और योगदान पर विचार करने में कोई योग्यता नजर नहीं आती.’
सीपीआई नेता बिनॉय बिस्वम ने ट्वीट किया, ‘राष्ट्रीय मान्यता निश्चित रूप से तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है. मेहनतकश जनता के दिलों में सीपीआई की पहचान है. यह लड़ने वाले लोगों के खून, पसीने और आंसुओं से बनी है. पार्टी लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के लिए अपनी लड़ाई तेज करेगी.’
National recognition is ofcourse important from technnical point of view.CPI's recognition is in the hearts of the toiling masses. It is built up with the blood,sweat and tears of the fighting people.The party will intensity it's battle for democracy, secularism and socialism.
— Binoy Viswam (@BinoyViswam1) April 10, 2023
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, चुनाव आयोग ने 2019 में पार्टियों की स्थिति की समीक्षा शुरू की थी, लेकिन महामारी के कारण यह प्रक्रिया रोक दी गई थी.
इस बीच चुनाव आयोग ने नगालैंड में लोक जनशक्ति पार्टी, मेघालय में वॉयस ऑफ द पीपुल पार्टी और त्रिपुरा में तिपरा मोथा को उनके हालिया चुनाव प्रदर्शन के आधार पर राज्य पार्टी का दर्जा दिया है.
छह अन्य ने भी राज्य पार्टी का दर्जा खो दिया. इनमें मणिपुर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस, पुदुचेरी में पट्टाली मक्कल काची, उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल (रालोद), आंध्र प्रदेश में भारत राष्ट्र समिति, पश्चिम बंगाल में रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मिजोरम में मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस शामिल हैं.