एलआईसी ने जनवरी-मार्च 2023 के बीच अडानी समूह की चार कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई: डेटा

हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा जनवरी में जारी एक रिपोर्ट के बाद अडानी समूह से जुड़ी कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट देखी गई. एलआईसी ने समूह की कंपनियों में इसकी हिस्सेदारी हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने से पहले बढ़ाई या बाद में, इस बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है.

गौतम अडानी. (फोटो साभार: twitter/Adani Group)

हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा जनवरी में जारी एक रिपोर्ट के बाद अडानी समूह से जुड़ी कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट देखी गई. एलआईसी ने समूह की कंपनियों में इसकी हिस्सेदारी हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने से पहले बढ़ाई या बाद में, इस बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है.

गौतम अडानी. (फोटो साभार: twitter/Adani Group)

नई दिल्ली: सरकार द्वारा संचालित भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने वित्त वर्ष 2022-23 की जनवरी-मार्च तिमाही में अडानी समूह की चार कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है.

इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, यह ज्ञात नहीं है कि हिस्सेदारी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा रिपोर्ट जारी करने से पहले बढ़ाई गई या बाद में. हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी 2023 को अपनी रिपोर्ट जारी की थी.

बता दें कि एलआईसी द्वारा गौतम अडानी की प्रमुख कंपनी में अधिक पैसा लगाना राजनीतिक हंगामे का कारण बना है क्योंकि यह जनता का पैसा है. इसलिए, एलआईसी को निवेशकों को यह आश्वस्त कराने के लिए कि उनका पैसा सुरक्षित है, अपनी सफाई में बयान देने के लिए सामने आना पड़ा था.

ट्रेंडलाइन के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2023 तक अडानी एंटरप्राइजेज में एलआईसी की 4.26 फीसदी हिस्सेदारी थी.

जून 2022 के अंत में, एलआईसी की इसमें 3.85 फीसदी हिस्सेदारी थी. जून 2021 तक हिस्सेदारी बहुत कम 1.32 फीसदी थी.

इसी तरह, डेटा से पता चलता है कि एलआईसी ने पिछले कुछ वर्षों में और पिछले वित्त वर्ष की मार्च तिमाही में अडानी समूह की तीन और कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है.

मार्च 2023 तक, एलआईसी की अडानी टोटल गैस में 6.02 फीसदी हिस्सेदारी थी.

आंकड़े बताते हैं कि सरकार के स्वामित्व वाली बीमा कंपनी की अडानी टोटल गैस में दिसंबर 2021 तक 4.65 फीसदी हिस्सेदारी थी, जो जून 2022 में बढ़कर 5.54 फीसदी हो गई और दिसंबर 2022 में 5.96 फीसदी हो गई.

मार्च 2023 तक, एलआईली की अडानी ट्रांसमिशन में 3.68 फीसदी हिस्सेदारी थी.

जबकि, दिसंबर 2020 तक राज्य के स्वामित्व वाली बीमा कंपनी की फर्म में 2.42 फीसदी हिस्सेदारी थी. यह दिसंबर 2021 में बढ़कर 2.78 फीसदी, जून 2022 में 3.28 फीसदी और दिसंबर 2022 में 3.65 फीसदी हो गई.

मार्च 2023 तक, एलआईसी की अडानी ग्रीन एनर्जी में 1.36 फीसदी हिस्सेदारी थी. दिसंबर 2022 तक, इसकी कंपनी में 1.28 फीसदी हिस्सेदारी हो गई.

कांग्रेस ने साधा निशाना

हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की मांग के बीच कांग्रेस ने अब एक बयान जारी कर दावा किया है कि समूह की प्रमुख कंपनी में एलआईसी की हिस्सेदारी में वृद्धि ‘ऐसे समय में हुई है जब अडानी एंटरप्राइजेज के स्टॉक का बाजार मूल्य लगभग 60 फीसदी गिर गया है.’

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता जयराम रमेश ने बयान में दावा किया, ‘एलआईसी ने जनवरी-मार्च 2023 तिमाही के दौरान अडानी एंटरप्राइजेज में 3.75 लाख शेयर खरीदे. बहुत स्पष्ट है कि एलआईसी को अपने पॉलिसीधारकों के धन का उपयोग करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, ताकि प्रधानमंत्री के पसंदीदा व्यवसायिक समूह को राहत पहुंचाई जा सके, जो कि मुश्किलों में घिरा हुआ है. यह जेपीसी के गठन को और जरूरी बनाता है.’

वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी दोहराया है कि नए खुलासे के बाद जेपीसी से जांच कराना अनिवार्य हो जाता है.

खड़गे ने ट्वीट किया, ‘एलआईसी ने जनवरी से मार्च 2023 तक अडानी के 3.75 लाख शेयर खरीदे. देश के करोड़ों लोग जीवन की जमा-पूंजी एलआईसी में लगाते हैं ताकि उनको आर्थिक परेशानियों का सामना करने में मदद मिले. पर मोदी जी ने लोगों की मुसीबत में काम आने वाला पैसा अडानी की भलाई के लिए क्यों लगाया ? जवाब है- जेपीसी.’

आंकड़े दिखाते हैं कि म्युचुअल फंडों ने भी अडानी एंटरप्राइजेज में अपनी हिस्सेदारी घटाई है.

2022 की जून तिमाही में कंपनी में म्यूचुअल फंड की हिस्सेदारी 3.85 फीसदी थी, जो 2022 की दिसंबर तिमाही में घटकर 1.19 फीसदी और 2023 की मार्च तिमाही में 0.87 फीसदी रह गई.

हालांकि, इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार खुदरा विक्रेता अब कंपनी के 3.41 फीसदी के मालिक हैं जबकि पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में उनकी हिस्सेदारी 1.86 फीसदी थी.

ज्ञात हो कि एलआईसी की तरह ही कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अडानी एंटरप्राइजेज़ और अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड में निवेश करना जारी रखे हुए है.

अडानी समूह के शेयरों में तब से गिरावट आई है जब अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी को अपनी रिपोर्ट जारी की, जिसमें समूह की कंपनियों पर स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप लगाया गया था. इसमें समूह पर शेयरों में हेरफेर करने के लिए ऑफशोर फंड के अनुचित उपयोग का भी आरोप लगाया गया.

कई समाचार रिपोर्ट्स ने ऑफशोर कंपनियों की भूमिका और समूह की कुछ कंपनियों के साथ उनके कथित संबंधों पर प्रकाश डाला है. इस बीच, भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच कर रहा है.

pkv games bandarqq dominoqq