श्रीनगर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद के बंद होने पर नेताओं ने कहा- कश्मीर में सब ठीक नहीं

श्रीनगर के नौहट्टा इलाके में स्थित कश्मीर की सबसे बड़ी जामिया मस्जिद में 14 अप्रैल को रमज़ान के महीने के आख़िरी शुक्रवार की नमाज़ अदा की जानी थी, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि जम्मू कश्मीर पुलिस सुबह-सुबह ही पहुंचकर मस्जिद ख़ाली करा दी और दरवाज़े पर ताले लगा दिए.

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The situation outside Jamia Masjid in Srinagar on Friday, April 14, 2023. Photo: Special arrangement.

श्रीनगर के नौहट्टा इलाके में स्थित कश्मीर की सबसे बड़ी जामिया मस्जिद में 14 अप्रैल को रमज़ान के महीने के आख़िरी शुक्रवार की नमाज़ अदा की जानी थी, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि जम्मू कश्मीर पुलिस सुबह-सुबह ही पहुंचकर मस्जिद ख़ाली करा दी और दरवाज़े पर ताले लगा दिए.

शुक्रवार को श्रीनगर में जामिया मस्जिद के बाहर के हालात. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर प्रशासन ने बीते शुक्रवार (14 अप्रैल) को श्रीनगर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में सामूहिक प्रार्थना जमात-उल-विदा की अनुमति नहीं दी, जिससे हुर्रियत ने आरोप लगाया कि मस्जिद का बंद होना ‘नए कश्मीर’ में सामान्य स्थिति होने के दावे को झुठलाता है.

प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि जम्मू कश्मीर पुलिस का एक वाहन दरगाह के मुख्य द्वार, जिस पर ताला लगा हुआ था, शुक्रवार की सुबह खड़ा था और पुलिसकर्मियों ने उन नमाजियों को लौटा दिया, जो जमात-उल-विदा की नमाज अदा करने के लिए मस्जिद में प्रवेश करना चाहते थे.

जमात-उल-विदा इस्लामिक महीने रमजान का आखिरी शुक्रवार होता है, जब लोग बड़ी सभाओं में दोपहर की नमाज अदा करते हैं.

जब जम्मू कश्मीर एक राज्य था तो श्रीनगर के नौहट्टा इलाके में स्थित कश्मीर की सबसे बड़ी जामिया मस्जिद, जो जमात-उल-विदा और अन्य मुस्लिम त्योहारों पर कुछ सबसे बड़े धार्मिक जमावड़ों की मेजबानी किया करती थी, में हजारों लोग नमाज में हिस्सा लेते थे.

हालांकि, अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से मस्जिद अक्सर इस्लामिक त्योहारों के दिनों में बंद ही रही, क्योंकि प्रशासन को डर है कि मस्जिद में सामूहिक नमाज की अनुमति देने से संभव है कि कानून और व्यवस्था की समस्या खड़ी हो जाए जो नियंत्रण से बाहर हो सकती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यह मस्जिद हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक का प्रमुख मंच है.

2017 में एक अंडरकवर पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) को भी भीड़ ने मस्जिद के बाहर पीट-पीट कर मार डाला था.

हालांकि शुक्रवार को नौहट्टा में यातायात सामान्य रूप से चल रहा था और महिलाओं व बच्चों सहित कई नमाजी और स्थानीय लोग सामूहिक नमाज की आस में मस्जिद के बाहर सड़क पर जमा हो गए थे, इलाके में स्पष्ट तनाव देखा जा सकता था.

अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ का एक वाहन भी कथित तौर पर क्षेत्र में किसी भी संभावित कानून व्यवस्था की समस्या पर नजर रखने के लिए मस्जिद के चारों ओर चक्कर लगा रहा था. यह इलाका कश्मीर में अलगाववादी भावनाओं का केंद्र रहा है.

श्रीनगर की जामिया मस्जिद का 14 अप्रैल का एक दृश्य. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

करीब 20 किमी दूर बडगाम के एक गांव से साइकिल पर आए एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने कहा कि वह सामूहिक प्रार्थना में शामिल होने आए थे, लेकिन पुलिसकर्मियों ने दरवाजे बंद कर दिए हैं. वे कहते हैं, ‘उन्होंने किसी को भी अंदर नहीं जाने दिया. यह दुखद है कि इतने मुबारक दिन पर मस्जिद बंद है.’

मस्जिद के बाहर एक बाइक सवार व्यक्ति ने संवाददाता से कहा, ‘कश्मीर के कोने-कोने से लोग यहां नमाज अदा करने आते हैं, लेकिन देखिए कैसे उन्हें परेशान किया जा रहा है. मस्जिद के चारों गेट बंद कर दिए गए हैं. प्रशासन कह रहा है कि कश्मीर में सब ठीक है लेकिन वे हमें यहां नमाज पढ़ने से क्यों रोक रहे हैं.’

स्थानीय लोगों के अनुसार, रमजान के पहले तीन शुक्रवार को मस्जिद में सामूहिक दोपहर की नमाज शांतिपूर्ण ढंग से अदा की गई थी.

मस्जिद का प्रबंधन देखने वाले निकाय अंजुमन-ए-औकाफ जामिया के एक अधिकारी ने कहा, ‘नमाज शांतिपूर्ण माहौल में हुई थी और बिल्कुल भी नारेबाजी या प्रदर्शन नहीं हुआ था, इसलिए मस्जिद को बंद करने का यह फैसला हैरान करने वाला है.’

इससे पहले गुरुवार (13 अप्रैल) को भी दोपहर की नमाज के बाद मस्जिद में एक बड़ा आयोजन हुआ था, जिसमें सैकड़ों लोगों ने भाग लिया था.

जामिया मस्जिद. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

प्रशासन के फैसले की निंदा करते हुए मीरवाइज के नेतृत्व वाले हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने कहा कि मस्जिद में शुक्रवार की नमाज पर रोक लगाने का फैसला ‘लोगों के अपने धर्म का पालन करने संबंधी मौलिक अधिकार का सीधा उल्लंघन है.’

हुर्रियत ने एक बयान में कहा, ‘इस तरह के उपाय इस बात की याद दिलाते हैं कि कश्मीर में जमीनी चीजें वैसी नहीं हैं, जैसा बाहरी दुनिया में प्रचारित किया जा रहा है.’

हुर्रियत ने अपने बयान में मीरवाइज पर लंबे समय से लगाए गए प्रतिबंधों की भी निंदा की. मीरवाइज को वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से घर में नजरबंद रखा गया है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने भी मस्जिद को बंद करने की निंदा करते हुए कहा कि प्रतिबंध का अर्थ है कि ‘कश्मीर में सब ठीक नहीं है.’ उन्होंने भी सरकार से मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंदी से रिहा करने की मांग की.

मस्जिद में नमाज की अनुमति नहीं देने के फैसले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

वायर ने कश्मीर के संभागीय आयुक्त वीके बुधूरी समेत नागरिक और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों से मामले पर उनकी टिप्पणियों के लिए संपर्क करने की कोशिश की. अगर उनकी तरफ से कोई जवाब आता है तो इस रिपोर्ट में जोड़ा जाएगा.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, ‘हमसे लगातार जम्मू कश्मीर में सामान्य स्थिति होने के दावे किए जा रहे हैं और फिर भी प्रशासन अपने स्वयं के दावों से मुकर जाता है, जब वह हमारी सबसे पवित्र मस्जिदों में से एक को बंद करने का फैसला लेता है और लोगों को अंतिम दिन नमाज अदा करने का मौका नहीं देता है.’

जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने जामिया मस्जिद को बंद करने पर ‘गहरा अफसोस’ व्यक्त किया और कार्रवाई को ‘धार्मिक स्वतंत्रता का निर्लज्ज उल्लंघन’ करार दिया.

द हिंदू के मुताबिक, इस कदम का स्थानीय लोगों ने विरोध दर्ज कराया है. ऐसा आरोप है कि लोगों को मस्जिद से सुबह-सुबह बाहर निकाला गया. कई दुकानदारों ने बताया कि उन्हें अपनी दुकानें बंद करने और मस्जिद परिसर से बाहर जाने के लिए कहा गया.

मस्जिद की देखभाल करने वालों ने कहा कि उन्हें रमजान के पवित्र महीने के आखिरी शुक्रवार को एक लाख से अधिक लोगों के सामूहिक नमाज अदा करने की उम्मीद थी.

अंजुमन-ए-औकाफ जामा मस्जिद के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘लगभग सुबह 9:30 बजे प्रशासन और पुलिसकर्मियों मस्जिद के द्वार बंद करने के लिए कहा. इस अचानक और मनमाने प्रतिबंध का कारण समझ से परे है.’

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