बिहार के मोतीहारी में ज़हरीली शराब से मरने वालों की संख्या 26 हुई

बिहार के मोतीहारी ज़िले में शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात कथित तौर पर ज़हरीली शराब पीने से 14 लोगों की मौत हो गई थी. रविवार को आठ लोगों की मौत को मिलाकर अब तक आंकड़ा 26 हो गया है. घटना के बाद 11 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया. अब तक इस सिलसिले में 25 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: एएनआई)

बिहार के मोतीहारी ज़िले में शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात कथित तौर पर ज़हरीली शराब पीने से 14 लोगों की मौत हो गई थी. रविवार को आठ लोगों की मौत को मिलाकर अब तक आंकड़ा 26 हो गया है. घटना के बाद 11 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया. अब तक इस सिलसिले में 25 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: एएनआई)

नई दिल्ली: बिहार के पूर्वी चंपारण जिले (मोतीहारी) में जहरीली शराब से सोमवार को चार और लोगों की मौत होने के बाद मरने वालों कर संख्या बढ़कर 26 हो गई है.

जिला प्रशासन ने इस घटना के बाद 11 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया. पुलिस ने कहा कि अब तक इस सिलसिले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि बीते रविवार को विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में और आठ लोगों की मौत हुई थी. इससे पहले शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से 14 लोगों की मौत हो गई थी.

उप महानिरीक्षक (डीआईजी – चंपारण रेंज) जयंत कांत ने घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए कहा, ‘कथित तौर पर जहरीली शराब पीने के बाद 29 लोगों का अभी भी इलाज चल रहा है. इनमें से 15 का इलाज मोतिहारी के सदर अस्पताल में चल रहा है, जबकि 14 लोग निजी अस्पतालों में हैं. पांच मरीजों की हालत गंभीर बताई जा रही है.’

गिरफ्तारियों की जानकारी देते हुए डीआईजी कांत ने कहा, ‘इस मामले में 25 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है.’

पुलिस ने मृतकों की पहचान अशोक कुमार पासवान, छोटू पासवान, रामेश्वर राम, ध्रुव पासवान, जोखू सिंह, मनोहर राय, ध्रुव यादव, अभिषेक यादव, टुनटुन सिंह, भूटान मांझी, सुधीश राम, इंद्रासन महतो, अजय पासवान और छोटे लाल मांझी के रूप में की है. पुलिस ने बताया कि अन्य मृतकों की शिनाख्त की जा रही है.

इस मामले में पूर्वी चंपारण के पुलिस अधीक्षक (एसपी) कांतेश कुमार मिश्रा ने रविवार को शराब विरोधी टास्क फोर्स (एएलटीएफ) के एक उप-निरीक्षक और एक सहायक उप-निरीक्षक सहित 11 पुलिसकर्मियों और नौ चौकीदारों को ड्यूटी में लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया.

मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि निलंबित किए गए लोगों की पहचान सब-इंस्पेक्टर शिवजी सिंह और सहायक सब-इंस्पेक्टर उमेश पाठक के रूप में हुई है.

कार्रवाई का सामना करने वाले अन्य लोगों में तुरकौलिया प्रखंड के अजय कुमार यादव, रघुनाथपुर प्रखंड के सुरेश कुमार यादव, हरसिद्धि के नागेंद्र राय, शुकदेव राउत और विनोद दास शामिल हैं.

अधिकारियों ने कहा कि पहाड़पुर के चौकीदार अशोक कुमार पासवान, वंशी यादव (पहाड़पुर), सुगौली के इंदल राय और अरविंद कुमार (सगौली) को भी निलंबित कर दिया गया है.

एसपी मिश्रा ने कहा, ‘निलंबन के अलावा सगौली, पहाड़पुर, हर्षडीह, रघुनाथपुर ओपी (पुलिस चौकी) और तुरकौलिया के चार पुलिस स्टेशनों के पांच थाना प्रभारी (एसएचओ) से स्पष्टीकरण मांगा गया है.’

मिश्रा ने पहले कहा था, ‘पहाड़पुर, सगौली, हरसीडीह और तुरकौलिया सहित जिले के चार ब्लॉकों से मामले सामने आए थे.’

एसपी कांतेश कुमार मिश्रा ने कहा, ‘पांच अलग-अलग थानों में मामले दर्ज किए गए हैं.’ अन्य अधिकारियों ने कहा कि ये मामले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 और 308 की धाराओं के तहत दर्ज किए गए हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, इसी बीच, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता और भारतीय जनता पार्टी के नेता विजय कुमार सिन्हा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. सिन्हा ने इस घटना को ‘अलग तरह का नरसंहार’ करार देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘जहरीली शराब को लोगों तक पहुंचने से रोकने में प्रशासन की अक्षमता के कारण यह नरसंहार हुआ है. राष्ट्रीय जनता दल के शासन के दौरान बिहार नरसंहार के लिए बदनाम था. अब, यह एक अलग तरह का नरसंहार है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए.’

पूर्वी चंपारण में कुछ पीड़ित परिवारों से मिलने के बाद सिन्हा ने कहा, ‘पीड़ितों के परिजनों को मुआवजा दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह उनकी गलती नहीं थी. यह प्रशासन की विफलता है.’

हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संस्थापक जीतन राम मांझी, जिनकी पार्टी नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार की सहयोगी है, ने शराबबंदी के भविष्य की योजना पर चर्चा करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक की मांग की, क्योंकि मौतें लगातार हो रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘मैं कहता रहा हूं कि इसकी समीक्षा की जरूरत है, क्योंकि जहरीली शराब अभी भी लोगों तक पहुंच रही है. बिहार का शराब विरोधी कानून पहले दिन से ही सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है.’

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, ‘यह दुखद घटना है. हम मुख्यमंत्री राहत कोष से मृतकों के परिवारों को 4 लाख रुपये देंगे, लेकिन उन्हें लिखित में देना होगा कि वे राज्य में शराबबंदी के पक्ष में हैं और वे शराब पीने के खिलाफ हैं.’

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हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, इस बीच, पूर्वी चंपारण जिले के मुख्यालय मोतिहारी से लगभग 14 किमी दूर स्थित तुरकौलिया प्रखंड के लक्ष्मीपुर गांव में जहरीली शराब के कथित सेवन से चार लोगों की मौत की खबर है.

पूर्वी चंपारण पुलिस ने शनिवार से रविवार के बीच जिले भर में 400 स्थानों पर छापेमारी कर शराब की बिक्री और व्यापार में शामिल 60 लोगों को गिरफ्तार किया है.

मालूम हो कि इससे पहले बीते जनवरी महीने में बिहार के सीवान जिले में जहरीली शराब पीने से चार लोगों की मौत हो गई थी.

दिसंबर 2022 में जहरीली शराब पीने से बिहार में आठ लोगों की मौत का मामला सामने आया था. इनमें से सिवान जिले में छह लोगों की मौत हो गई थी, जबकि बेगूसराय में दो अन्य लोगों की जान गई थी.

दिसंबर 2022 में ही छपरा (सारण) जिले में जहरीली शराब पीने से कथित तौर पर करीब 50 लोगों की जान चली गई थी. इस घटना के बाद बिहार विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए थे. विपक्षी नेताओं ने जहरीली शराब पीने से होने वाली मौत की घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर प्रहार किया था.

भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया था कि छपरा में जहरीली शराब पीने से 100 से ज्यादा लोगों की जान गई है.

राज्य में कथित शराब के कारण हुईं मौत की अन्य घटनाओं की बात करें तो अगस्त 2022 में छपरा जिले में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से कम से कम सात लोगों की मौत हो गई थी.

इसी महीने में छपरा जिले में हुई एक अन्य घटना में कथित जहरीली शराब पीने से 13 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग बीमार हो गए थे.

मई 2022 में पूर्ण शराबबंदी वाले बिहार के औरंगाबाद जिले में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से पांच लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद पुलिस ने 67 लोगों को गिरफ्तार किया था.

इससे पहले राज्य के दो जिलों- भागलपुर और मधेपुरा में मार्च 2022 में होली के त्योहार के दौरान कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई थी.

जनवरी 2022 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृहजिले नालंदा में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से चार लोगों की मौत हो गई थी.

साल 2021 में दीपावली के आसपास बिहार के चार जिलों (पश्चिम चंपारण, गोपालगांज, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर) में अवैध शराब ने 40 से अधिक लोगों की जान ले ली थी.

पुलिस रिकॉर्ड से पता चलता है कि दिसंबर 2021 तक शराबबंदी कानून के तहत 3.5 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए और चार लाख से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया.

26 दिसंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने किसी कानून का मसौदा तैयार करने में दूरदर्शिता की कमी के उदाहरण के रूप में बिहार के शराबबंदी कानून का हवाला दिया था.