बिहार पुलिस की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2016 से ज़हरीली शराब के संबंध में 30 मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन किसी भी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सका है. हाल ही में मोतीहारी ज़िले में ज़हरीली शराब पीने से 26 लोगों की मौत हुई है. ये आंकड़ा अभी पुलिस रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है.
नई दिल्ली: बिहार में साल 2016 में नीतीश कुमार सरकार द्वारा शराबंदी कानून लागू होने के बाद से जहरीली शराब से आधिकारिक तौर पर कुल 199 लोगों की मौत हुई है. अगर इसमें संदिग्ध जहरीली शराब से हुईं मौतों को शामिल किया जाता है तो ये संख्या बढ़कर 269 हो जाती है.
इसके अलावा साल 2016 से इस संबंध में 30 मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन किसी भी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सका है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2016 के गोपालगंज जहरीली शराब से हुई मौत के मामले में मार्च 2021 में निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए 13 लोगों को पटना उच्च न्यायालय ने पिछले साल जुलाई में बरी कर दिया था।
यह जानकारी 2016 से 2023 तक नकली शराब से हुई मौत के मामलों पर बिहार पुलिस की 10 पेज की आंतरिक सूची से निकाली गई है. इस सूची में कुछ दिन पहले हुए पूर्वी चंपारण जिले (मोतीहारी) का मामला शामिल नहीं है, जिसमें अवैध शराब के सेवन से अब तक 26 लोगों की मौत हो चुकी है.
यह पहली बार है जब राज्य पुलिस मुख्यालय ने सभी 30 मामलों की स्थिति के साथ सात साल का ब्योरा देते हुए एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें 10 ऐसे मामले भी शामिल हैं, जिनमें अवैध शराब के सेवन से 10 या अधिक लोगों की मौत हुई थी.
राज्य पुलिस की रिपोर्ट से पता चला है कि 2022 में सबसे अधिक 114 मौतें हुईं, इसके बाद 2021 में 64 मौतें हुई थीं.
यह रिपोर्ट दिसंबर 2022 में सारण (छपरा) में 42 मौतों की पुष्टि करती है. रिपोर्ट में कुल संदिग्ध मौतों के रूप में ‘72’ लिखा गया है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अपनी हालिया जांच रिपोर्ट में छपरा में ‘कुल मौतों को 72’ रखा था और राज्य सरकार को नकली शराब से होने वाली मौतों की ‘अंडर-रिपोर्टिंग’ करने के लिए फटकार भी लगाई थी.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 22 मामलों में 40 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है. एकमात्र मामला, जिसमें अभियुक्तों को दोषी ठहराया गया था, वह 2016 गोपालगंज जहरीली शराब त्रासदी थी, जिसमें 19 लोग मारे गए थे.
इस मामले में गोपालगंज की अदालत ने नौ को मौत की सजा और चार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, लेकिन पटना हाईकोर्ट ने ‘पुष्टिकारक सबूतों की कमी’ के लिए सभी को बरी कर दिया.
भले ही नीतीश ने शराब के मामलों में तेज सुनवाई का दावा किया हो, लेकिन पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट ऐसा कोई संकेत नहीं देती है.
अप्रैल 2021 और अप्रैल 2022 के बीच दर्ज सात प्रमुख मामले गवाहों के बयानों की रिकॉर्डिंग और आरोप तय करने के चरण में हैं. इनमें अप्रैल 2021 का नवादा (21 मौत), जुलाई 2021 लौरिया, पश्चिम चंपारण, (12 मौत), नवंबर 2021 नौतन, पश्चिमी चंपारण, (10 मौत), नवंबर 2021 महमदपुर, गोपालगंज, (10 मौत) और जनवरी 2022 सोहसराय, नालंदा (12 मौत) शामिल हैं.
इस पुलिस रिपोर्ट में समग्र शराब मामलों की स्थिति का उल्लेख नहीं है, अन्य पुलिस रिपोर्टों का कहना है कि शराब कानून के तहत 3.75 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं और 4.25 लाख से अधिक गिरफ्तारियां हुई हैं.
इनमें से 90 प्रतिशत से अधिक मामले शराब के सेवन से संबंधित हैं. राज्य भर की 57 जेलों, जिनकी 57,000 कैदियों को रखने की क्षमता है, में 25,000 से अधिक लोग अभी भी शराबबंदी के उल्लंघन के आरोप में बंद हैं.
मुआवजे के लिए डीएम को लिखित में अवैध शराब की जानकारी देनी होगी
बिहार में जहरीली शराब के पीड़ितों को मुआवजा देने पर यू-टर्न लेते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को मोतीहारी में जहरीली शराब पीने से मरने वालों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की.
पुलिस ने कहा कि चार और लोगों की मौत के साथ सोमवार को इस त्रासदी में मरने वालों की संख्या बढ़कर 26 हो गई.
नीतीश ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमने प्रत्येक मृतक के परिजनों को 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का फैसला किया है, परिवार के सदस्यों को संबंधित जिलाधिकारी को लिखित में देना होगा कि मौत अवैध शराब के सेवन से हुई है. उन्हें उस स्रोत का खुलासा करना होगा जहां से शराब की खरीद की गई थी.’
यह उनके पहले के रुख से उलट है, जब उन्होंने दिसंबर 2022 में छपरा में जहरीली शराब पीने के बाद मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवजे से इनकार कर दिया था.
सीएम नीतीश कुमार ने कहा था, ‘जो पिएगा वो मरेगा’, उनके इस बयान की विपक्षी दलों और विभिन्न लोगों ने आलोचना की थी.