ताज़ा युद्ध सूडान की सेना और एक शक्तिशाली अर्धसैनिक बल ‘आरएसएफ’ के बीच देश की सत्ता पर नियंत्रण को लेकर छिड़ा हुआ है. दोनों ने संयुक्त रूप से अक्टूबर 2021 के सैन्य तख़्तापलट कर देश की सत्ता अपने हाथ में ले ली थी. मुख्य विवाद सेना और ‘आरएसएफ’ के विलय को लेकर है.
नई दिल्ली: सूडान की राजधानी खार्तूम और अन्य शहरों में जारी व्यापक हिंसा के बीच सोमवार तक लगभग 200 लोगों की मौत और 1800 से अधिक लोगों के घायल होने की सूचना है. संयुक्त राष्ट्र के दूत वोल्कर पर्थेस ने संवाददाताओं को यह जानकारी दी है.
समाचार एजेंसी एसोसिएडेट प्रेस (एपी) की रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच सूडान में सेना और एक शक्तिशाली प्रतिद्वंद्वी बल के बीच देश पर नियंत्रण को लेकर लिए लड़ाई जारी है. दोनों पक्ष घनी आबादी वाले इलाकों में टैंक और अन्य भारी हथियारों के साथ एक दूसरे से संघर्षरत है.
मरने वालों की संख्या कहीं अधिक हो सकती है, क्योंकि मध्य खार्तूम के आसपास की गलियों में कई लाशें पड़ी हैं, जहां संघर्ष के कारण कोई भी नहीं पहुंच सकता है. कितने नागरिक या लड़ाके मारे गए हैं, इस पर कोई आधिकारिक सूचना नहीं है.
देश के दो शीर्ष जनरलों के बीच सप्ताहांत में अचानक हिंसा भड़क उठी. दोनों के पास हजारों की संख्या में भारी हथियारों से लैस लड़ाकों की टुकड़ी का सहयोग प्राप्त है, जो आपस में भिड़ गए.
परिणाम यह रहा कि लाखों लोग अपने घरों में या जहां भी उन्हें शरण मिल सकती थी, फंस गए, आपूर्ति कम हो गई और कई अस्पतालों को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
This is Sudan.
Old men cause trouble through their words or actions, which leads to war. But it's the youths that ends up fighting, to kill themselves.
At this point, no one cares if you are a master degree holder, or PhD holder.Dreams and aspirations, washing down the drain. pic.twitter.com/d0KpdtvsjF
— 99% OPPRESSED. (@PIDOMNIGERIA) April 16, 2023
खार्तूम के दक्षिणी जिले में अपने घर से हजारों चाय विक्रेताओं और अन्य खाद्य श्रमिकों के एक संघ के प्रमुख अवदेया महमूद कोको ने कहा, ‘गोलियों और गोलाबारी की आवाज हर जगह से सुनाई दे रही हैं.’
उन्होंने कहा कि एक गोला रविवार को एक पड़ोसी के घर पर गिरा, जिसमें कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई. हम उन्हें न तो अस्पताल ले जा सकते थे और न ही दफन कर सकते थे.
मध्य खार्तूम में लगातार गोलाबारी जारी रही. सोमवार को ऑनलाइन पोस्ट किए गए एक वीडियो में एक छात्र ने कहा कि लड़ाई शुरू होने के बाद से कम से कम 88 छात्र और कर्मचारी खार्तूम विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग कॉलेज की लाइब्रेरी में फंस गए हैं.
उन्होंने कहा कि बाहर संघर्ष के दौरान एक छात्र की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया. उनके पास भोजन या पानी नहीं है, उन्होंने फर्श पर सो रहे लोगों से भरे कमरे को दिखाते हुए कहा.
रिपोर्ट के अनुसार, सैन्य तख्तापलट के एक लंबे इतिहास वाले देश की राजधानी और उसके आसपास के शहर ओमडुरमैन में लड़ाई के दृश्य अप्रत्याशित थे. यह उथल-पुथल कुछ ही दिनों पहले शुरू हुई, जब सूडानी लोग ईद अल-फितर मनाने वाले थे.
देश की सत्ता के लिए यह संघर्ष सशस्त्र बलों के कमांडर जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान दगालो के बीच हो रहा है.
दोनों पूर्व सहयोगियों ने संयुक्त रूप से अक्टूबर 2021 के सैन्य तख्तापलट कर देश की सत्ता अपने हाथ में ले ली थी. हालांकि इस हिंसा ने ‘गृहयुद्ध के भूत’ को फिर से जगा दिया है.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, फिलहाल सॉवरेन काउंसिल के जरिये देश को सेना और आरएसएफ चला रहे हैं, लेकिन सरकार की असली कमान सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान के हाथों में है. वे एक तरह से देश के राष्ट्रपति हैं. सॉवरेन काउंसिल के डिप्टी और आरएसएफ प्रमुख मोहम्मद हमदान दगालो यानी हेमेदती देश के दूसरे नंबर के नेता हैं.
सूडान में नागरिक सरकार को सत्ता हस्तांतरित करने की मांग को लेकर 2021 से ही संघर्ष चल रहा है. मुख्य विवाद सेना और अर्धसैनिक बल ‘आरएसएफ’ के विलय को लेकर है.
ताजा हिंसा कई दिनों के तनाव के बाद हुई. आरएसएफ के जवानों को अपने लिए खतरा मानते हुए सेना ने पिछले सप्ताह इनकी तैनाती को बदलते हुए नई व्यवस्था शुरू की. इसे लेकर आरएसएफ के जवानों में नाराजगी थी.
समाचार एजेंसी (एपी) के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय दबाव में बुरहान और दगालो ने हाल ही में राजनीतिक दलों और लोकतंत्र समर्थक समूहों के साथ एक समझौते पर सहमति व्यक्त की थी, लेकिन सशस्त्र बलों में आरएसएफ के एकीकरण और कमान के भविष्य पर तनाव बढ़ने के कारण इस पर हस्ताक्षर में बार-बार देरी की गई.
दगालो, जिसकी सेना सूडान के दारफुर क्षेत्र में कुख्यात जंजावीद मिलिशिया से अलग होकर बनी थी, ने खुद को लोकतंत्र के रक्षक के रूप में चित्रित करते हैं और बुरहान को हमलावर और ‘कट्टरपंथी इस्लामवादी’ बताते हैं. दोनों जनरलों का मानवाधिकारों के हनन का एक लंबा इतिहास रहा है और उनकी सेना ने लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं पर नकेल भी कस रखी है.
राजधानी खार्तूम और ओमडुरमैन शहर के कई हिस्सों में भारी गोलाबारी हुई, जहां दोनों पक्षों ने हजारों सैनिकों को लगभग हर मोहल्ले में तैनात कर दिया.
सोमवार देर रात जारी एक बयान में सूडान डॉक्टर्स सिंडिकेट ने कहा कि राजधानी क्षेत्र के 12 अस्पतालों को ‘जबरदस्ती खाली करा लिया गया है’ और हमलों या बिजली की कटौती के कारण ये ‘सेवा से बाहर’ कर दिए गए हैं. राजधानी के बाहर के चार अस्पतालों को भी बंद कर दिया गया है.
केवल चार साल पहले सूडान ने एक लोकप्रिय विद्रोह ने लंबे समय तक निरंकुश नेता उमर अल-बशीर को पदच्युत करने में मदद की थी, लेकिन तब से उथल-पुथल, विशेष रूप से 2021 के तख्तापलट ने लोकतंत्र अभियान को विफल कर दिया है और अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है. अफ्रीका के इस तीसरे सबसे बड़े संसाधन-संपन्न राष्ट्र में आबादी का एक तिहाई – लगभग 16 मिलियन लोग – अब मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.
समाचार वेबसाइट न्यूज़18 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, खार्तूम में जारी व्यापक हिंसा के बीच वहां स्थित भारतीय दूतावास ने सोमवार को जारी अपने ताजा परामर्श में भारतीयों से अपने घरों से बाहर नहीं निकलने एवं शांत रहने को कहा है. इससे पहले रविवार (16 अप्रैल) को दूतावास ने कहा था कि खार्तूम में गोली लगने से घायल एक भारतीय नागरिक की मौत हो गई.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, सूडान में करीब 4000 भारतीय रहते हैं, जिसमें से 1200 कुछ दशक पहले वहीं बस गए. सूडानी सेना ने अक्टूबर 2021 में तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा कर लिया था और तब से वह एक संप्रभु परिषद के माध्यम से देश चला रही है.