निर्माण कार्य पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाएगी एनजीटी. रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने अस्पतालों से तैयार रहने को कहा.
नई दिल्ली: दिल्ली में प्रदूषण जनित धुंध से निजात पाने के लिए हेलीकॉप्टर के ज़रिये कृत्रिम बारिश करने के केजरीवाल सरकार के प्रस्ताव को केंद्र सरकार द्वारा ठुकराने के बाद दिल्ली सरकार ने यह काम अपने स्तर पर करने की कवायद तेज़ कर दी है.
दिल्ली में प्रदूषण के गहराये संकट से निजात दिलाने के लिए केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा गठित समिति ने बीते बृहस्पतिवार को अपनी पहली बैठक में ही कृत्रिम बारिश कराने की केजरीवाल सरकार की पहल को अव्यवहारिक बताते हुए इस पर कोई मदद नहीं किए जा सकने की बात कही थी.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बृहस्पतिवार को पर्यावरण सचिव की अध्यक्षता में दिल्ली के मुख्य सचिव की मौजूदगी वाली सात सदस्यीय समिति का गठन किया था.
सूत्रों के मुताबिक समिति की पहली बैठक में ही धुंध की समस्या से निजात पाने के तात्कालिक समाधान के लिए दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराने के केजरीवाल सरकार के प्रस्ताव पर विचार किया गया.
दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने हाल ही में डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखकर कृत्रिम बारिश कराने के लिए केंद्र सरकार से हेलीकॉप्टर मुहैया कराने में मदद करने का आह्वान किया था.
दिल्ली सरकार ने इस काम पर ख़र्च होने वाली राशि का वहन राज्य सरकार द्वारा करने की पहल करते हुए केंद्र सरकार से रक्षा मंत्रालय या उड्डयन मंत्रालय से हेलीकॉप्टर मुहैया कराने में मदद की अपील की थी.
समझा जाता है कि केंद्रीय समिति ने दिल्ली सरकार की इस कवायद में पयार्वरण मंत्रालय द्वारा कोई मदद कर पाने में असमर्थता जताते हुए कहा है कि राज्य सरकार यदि चाहे तो अपने स्तर पर यह काम कर सकती है.
केंद्र सरकार द्वारा मदद करने से इंकार करने के बाद दिल्ली सरकार ने हेलीकॉप्टर सेवा मुहैया कराने वाली निजी क्षेत्र की कंपनी पवनहंस से इस बाबत बात शुरू कर दी है.
हुसैन ने शुक्रवार शाम ट्वीट कर बताया कि कृत्रिम बारिश कराने के लिए पवनहंस से बात की जा रही है. जिससे दिल्ली में पानी का छिड़काव कर हवा में जमा पार्टिकुलेट तत्वों को ज़मीन पर लाया जा सके.
इस बीच सूत्रों ने बताया कि पवनहंस ने सरकार के इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी है और दिल्ली सरकार तथा पवन हंस के वरिष्ठ अधिकारी इस संबंध में कार्ययोजना तैयार करेंगे.
निर्माण कार्य पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों पर एक लाख रुपये का जुर्माना
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली में प्रदूषण के चौंकाने वाले स्तर के मद्देनज़र निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगाने के अपने आदेश को शहर की सरकार और सभी सार्वजनिक प्राधिकरणों को सख़्ती से लागू करने का निर्देश दिया है.
एनजीटी ने पड़ोसी राज्यों से पराली को जलाने पर सख़्ती से रोक लगाने को भी कहा है. एनजीटी ने कहा कि कुछ इलाकों से बड़े पैमाने पर फसल अवशेष जलाए जाने की ख़बर हैं.
संस्था ने आदेश दिया कि यदि दिल्ली और एनसीआर क्षेत्रों में निर्माण स्थलों पर मुआयने में इसके आदेश का कोई उल्लंघन पाया गया तो ऐसी किसी गलती के लिए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
हालांकि, आप सरकार की एक याचिका के बाद एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर में आवश्यक सेवाओं से संबद्ध उद्योगों को इस शर्त पर इज़ाजत दी कि वे प्रदूषण नहीं करेंगे.
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्रत कुमार ने कहा कि हमारे संज्ञान में यह लाया गया है कि हरियाणा के करनाल में बड़ी मात्रा में फसलों के अवशेष को जलाने की व्यापक घटनाएं हो रही हैं.
एनजीटी ने कहा, हम हरियाणा राज्य, करनाल के उपायुक्त और उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं पंजाब के सभी ज़िलों के उपायुक्तों तथा संबद्ध प्रदूषण बोर्डों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि किसी राज्य में फसल के अवशेषों को जलाने का कोई कार्य नहीं होना चाहिए.
एनजीटी ने कहा कि इस तरह का कोई मामला उसके संज्ञान में लाए जाने के बाद एनजीटी जुर्माना लगाएगी और यह रकम संबद्ध अधिकारियों के वेतन से काटी जाएगी.
रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने अस्पतालों से तैयार रहने को कहा
स्वास्थ्य मंत्रालय ने केंद्र सरकार के सभी अस्पतालों को निर्देश दिया कि दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में गंभीर स्तर के वायु प्रदूषण के मद्देनज़र रोगियों की बढ़ती संख्या से निपटने के लिए कदम उठाए जाएं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शुक्रवार को हालात की समीक्षा की और अस्पतालों को नेबुलाइज़र तथा अन्य संबंधित उपकरण सही स्थिति में स्टॉक में रखने का और किसी भी तात्कालिक ज़रूरत से निपटने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया.
नड्डा के साथ बैठक में विशेषज्ञों ने कहा कि सांस लेने में परेशानी और श्वसन रोगों के मामलों की संख्या हर रोज़ बढ़ रही है. बयान के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय इस चिंताजनक हालात पर लगातार नज़र रख रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले एक परामर्श भी जारी किया था.
केंद्र की राज्यों को सलाह, खर-पतवारों के प्रबंधन का इंतज़ाम किया जाए
राष्ट्रीय राजधानी में गंभीर प्रदूषण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने शुक्रवार को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से कहा कि फसलों के बचे खर-पतवार का प्रबंधन करने में किसानों की मदद के लिए मशीनों का इंतज़ाम करे और इसके अलावा उनके बीच इन खर-पतवारों को जलाने के नुकसानदेह प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करें.
केंद्र ने राज्यों को किसानों को खेत में फसल के बचे खर-पतवार के प्रबंधन करने वाली मशीनों को प्रदर्शित करने का भी निर्देश दिया और कहा कि इसके लिए चालू वित्त वर्ष के लिए कृषि मशीनीकरण पर सब मिशन के तहत इस उद्देश्य के लिए किसानों को आवंटित किए गए 132.5 करोड़ रुपये के कोष का इस्तेमाल किया जाए.
इन राज्यों को जारी परामर्श में केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने कहा, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में फसलों की खर-पतवार को जलाना भी पर्यावरण के प्रदूषण स्तर को बढ़ाने में योगदान करता है.
इसने एक बयान में कहा कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने दिल्ली और उक्त चार राज्यों को प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सख़्त उपाय करने को कहा है.
समस्या की गंभीरता को देखते हुए मंत्रालय ने चार राज्यों को कस्टम हायरिंग सेंटर अथवा गांव स्तरीय कृषि उपकरण बैंक के ज़रिये खर-पतवार प्रबंधन मशीनों एवं उपकरणों की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.
मंत्रालय ने कहा कि इस उपकरणों के लिए इन चार राज्यों को वित्त वर्ष 2017-18 में करीब 132.5 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान ने मिलकर अभी तक 68.01 करोड़ रुपये का उपयोग किया है जबकि पंजाब ने अपने 48.05 करोड़ रुपये के कोष का उपयोग नहीं किया है.
आॅड-ईवेन सप्ताह में मुफ़्त सवारी से डीटीसी को होगा 9.5 करोड़ रुपये का नुकसान
शहर में आॅड-ईवेन योजना के पांच दिनों के दौरान डीटीसी बसों की मुफ्त सवारी के दिल्ली सरकार के फैसले से उसे करीब 9.5 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.
परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने घोषणा की कि दिल्ली सरकार यात्रियों को 13 से 17 नवंबर तक आॅड-ईवेन योजना के दौरान सभी डीटीसी और क्लस्टर बसों में मुफ्त यात्रा की अनुमति देगी ताकि सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया जा सके.
इस साल जून के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की बसों में प्रतिदिन करीब 28 लाख यात्री यात्रा करते हैं और वह रोजाना 1.88 करोड़ रुपये कमाता है.
पांच दिन की मुफ्त सेवा से डीटीसी को करीब 9.5 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. डीटीसी के एक अधिकारी ने बताया, यह हम पर अतिरिक्त बोझा होगा क्योंकि हम पहले से ही नुकसान में चल रहे हैं.
कैग रिपोर्ट के अनुसार, डीटीसी लगातार नुकसान में चल रहा है. डीटीसी का 2014-15 में कुल नुकसान 2917.75 करोड़ रुपये था जो पिछले पांच वित्त वर्ष में सर्वाधिक था.
दिल्ली में प्रदूषण के पीछे पश्चिम एशिया में आई धूल भरी आंधी भी एक वजह: रिपोर्ट
केंद्र सरकार की एक प्रदूषण एजेंसी ने राष्ट्रीय राजधानी में इस समय बिगड़ी आबोहवा के मुख्य कारणों में पश्चिम एशिया में अक्टूबर के आख़िर में आए धूल भरे तूफान और उत्तर के राज्यों में पराली जलाने को बताया है.
मंगलवार से राजधानी में छाई धुंध की चादर शुक्रवार को काफी हद तक कम हो गई और प्रदूषणकारी तत्वों में गिरावट दर्ज की गई है.
सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने अपने एक पूर्वानुमान में कहा है कि शनिवार को हवा की गुणवत्ता गंभीर की श्रेणी में बनी रह सकती है, लेकिन रविवार की रात तक यह एक स्तर सुधरकर बहुत ख़राब की श्रेणी में आ सकती है.
सफर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नौ नवंबर की सुबह से ऊपरी हवाएं लगातार धीमी हो रही हैं और इनकी रफ्तार पांच से सात किलोमीटर प्रति घंटा हो जाने से भारतीय उपमहाद्वीप में खासकर एनसीआर क्षेत्र में धूल की आंधी आने का कोई संकेत नहीं है. पराली जलाने में भी कमी आई है.
रिपोर्ट में कहा गया कि अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में इराक, कुवैत और सउदी अरब में आए धूल भरे तूफान से दिल्ली की हवा की गुणवत्ता पर काफी असर पड़ा. इस तूफान का असर नवंबर के प्रथम सप्ताह तक पहुंच गया.
इसमें कहा गया, अपेक्षाकृत ठंडी हवाओं के साथ धूल भरी आंधी चली. तापमान कम होने के साथ हवा और धूल के धीरे-धीरे ख़त्म होने के आसार थे लेकिन उस समय तक यह वातावरण के ऊपरी हिस्से में पहुंच गया जहां हवाएं बहुत शक्तिशाली यानी 15 से 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हो गईं जिनकी दिशा भारत की ओर थी. इससे दिल्ली और एनसीआर के बड़े हिस्से पर असर पड़ा.
इस बीच शुक्रवार को लगातार चौथे दिन वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) गंभीर श्रेणी में रहा, लेकिन प्रदूषक तत्वों पीएम 2.5 और पीएम 10 आपात स्थिति से नीचे आने की दिशा में दिखाई दिए.
वायु गुणवत्ता प्रबंधन के केंद्रीय नियंत्रण कक्ष के अनुसार शुक्रवार शाम करीब पांच बजे पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर क्रमश: 570 और 413 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया.
आठ और नौ नवंबर की दरमियानी रात को इन प्रदूषक तत्वों का स्तर क्रमश: 850 से अधिक और 600 दर्ज किया गया था. जिसके बाद अधिकारियों को स्कूल बंद करने, निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाने और ऑड-ईवेन योजना को लागू करने जैसे कदम उठाने पड़े.
हालांकि सफर ने यह चेतावनी भी दी है कि एक नए पश्चिमी विक्षोभ की संभावना है जिससे वायु गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.
आॅड-ईवेन योजना के दौरान सर्ज प्राइसिंग नहीं वसूलेगी ओला
एप आधारित टैक्सी सेवा देने वाली कंपनी ओला ने शुक्रवार को कहा कि वह राजधानी दिल्ली में अगले सप्ताह आॅड-ईवेन योजना लागू होने के दौरान डायनामिक या सर्ज किराया नहीं वसूलेगी.
कंपनी ने बयान में कहा कि वह आॅड-ईवेन योजना का समर्थन करती है. राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण का मौजूदा स्तर चिंताजनक है और इस दिशा में तत्काल कदम उठाने की ज़रूरत है.
ओला ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण का मौजूदा स्तर तथा धुंध काफी चिंताजनक है. यह ज़रूरी हो जाता है कि हम इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार का सहयोग करें.
कंपनी ने कहा कि वह ओला शेयर पर किरायों में कटौती कर रही है. अब इस राइड पर शुरुआती कीमत 35 रुपये होगी.
एनजीटी को आॅड-ईवेन की कामयाबी का रिपोर्ट कार्ड देगी दिल्ली सरकार
दिल्ली सरकार आॅड-ईवेन नंबर नियम के पिछले दो दौर की कामयाबी का रिपोर्ट कार्ड राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के समक्ष पेश करेगी.
केजरीवाल सरकार के मंत्री गोपाल राय ने शुक्रवार को एनजीटी के आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार के पास पिछले दो नंबर नियम के प्रभाव का तथ्यवार ब्योरा मौजूद है. राय ने कहा कि इसे सरकार दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष भी पेश कर चुकी है और एनजीटी में यह रिपोर्ट दाखिल कर दी जाएगी.
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि केंद्रीय और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में नंबर नियम के दौरान प्रदूषक तत्वों, पीएम 10 और पीएम 2.5 की मात्रा बढ़ी हुई पाई गई. ऐसे में इस कवायद को जबरन लोगों पर थोपने की अनुमित नहीं दी जा सकती है.
पीठ ने दिल्ली सरकार से नंबर नियम के प्रभावी होने के स्पष्ट प्रमाण और आंकड़ों के साथ रिपोर्ट पेश करने को कहा है जिससे यह साबित हो सके कि इसे लागू करने से प्रदूषण में कमी आती है.
एनजीटी ने सरकार से यह बताने को भी कहा है कि नंबर नियम के दौरान महिलाओं और दो पहिया वाहनों को छूट क्यों दी गई है, जबकि आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के प्रदूषण में दो पहिया वाहनों की हिस्सेदारी 46 प्रतिशत है.
पूर्व परिवहन मंत्री राय की निगरानी में ही दिल्ली में पिछले दोनों नंबर नियम और कार फ्री डे लागू किए गए थे. उन्होंने कहा कि नंबर नियम के दौरान दिल्ली के भीतरी इलाकों में प्रदूषक तत्वों पीएम 10 और पीएम 2.5 की मात्रा में ख़ासी गिरावट दर्ज की गयी थी लेकिन दिल्ली के प्रवेश मार्गों पर भारी वाहनों की अधिकता के कारण बाहरी इलाकों में इसका असर प्रभावकारी नहीं रहा.
उन्होंने कहा कि सरकार एनजीटी के समक्ष यह रिपोर्ट पेश कर देगी और अगर एनजीटी कहता है कि नंबर नियम लागू करने का कोई लाभ नहीं है तो सरकार ऐसा नहीं करेगी.
प्रदूषण के स्थायी समाधान के लिए केंद्र एक नीति बनाए: आम आदमी पार्टी
आम आदमी पार्टी ने प्रदूषण की समस्या के स्थायी समाधान के लिए केंद्र सरकार से राज्यों पर बाध्यकारी ऐसी नीति बनाने की मांग की है जिसमें पराली जलाने की किसानों की मजबूरी को दूर किया जा सके.
आप की दिल्ली इकाई के संयोजक गोपाल राय ने शुक्रवार को संवादाताओं से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि आॅड-ईवेन नंबर नियम इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं है.
दिल्ली के परिवहन मंत्री के तौर पर दो बार आॅड-ईवेन लागू करा चुके राय ने कहा कि उनका अनुभव है कि यह कवायद प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सिर्फ जनभागीदारी तो सुनिश्चित कर सकती है, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान नहीं बन सकती है.
उन्होंने कहा कि वाहनों की संख्या में प्रभावी कमी करते हुये धूल पर नियंत्रण करना और किसानों को पराली जलाने के विकल्प मुहैया कराने वाली ठोस नीति का पालन सुनिश्चित करना ही इस समस्या का स्थायी समाधान है.
उन्होंने दिल्ली में बहुस्तरीय प्राधिकार को इस तरह के अभियानों की सबसे बड़ी बाधा बताते हुए कहा कि सरकारों और स्थानीय निकायों में सत्तारूढ़ विभिन्न दलों के राजनीतिक हित कामयाबी की राह में बाधक बनते हैं.
राय ने माना कि प्रदूषण की समस्या किसी भी राजनीतिक दल के लिये विमर्श का विषय नहीं है इसीलिए प्रदूषण रोधी अभियान सरकारों और निकायों में पक्ष एवं विपक्ष की राजनीति की भेंट चढ़ जाते हैं.
साथ ही उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण में जन जागरूकता और जन भागीदारी को ही प्रमुख हथियार बताते हुए कहा कि इस समस्या का समाधान सरकारों के भरोसे छोड़ देने से नहीं मिलेगा.
दिल्ली में धुंध के मसले पर राज्यों के साथ वार्ता करे केंद्र: ममता बनर्जी
कोलकाता: दिल्ली के वायु प्रदूषण को राष्ट्रीय समस्या क़रार देते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली के अपने समकक्ष से सहमति जताते हुए कहा कि इस समस्या के हल के लिए केंद्र को पड़ोसी राज्यों के साथ बाचतीत करनी चाहिए .
ममता ने ट्विटर पर लिखा, भूमंडलीय तापमान में बढ़ोतरी एक समस्या है. दिल्ली में प्रदूषण एक आपदा है. एक दूसरे को आरोपित करने की बजाए इस समस्या के समाधान के लिए मैं केंद्र को पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के मुख्यमंत्री के साथ बैठक करने की सलाह दूंगी. केवल दिल्ली के मुख्यमंत्री पर आरोप लगाने से इसका समाधान नहीं होगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)