ऑक्सफैम इंडिया, उसके पदाधिकारियों के ख़िलाफ़ एफ़सीआरए उल्लंघन के लिए सीबीआई ने केस दर्ज किया

एफ़आईआर में एनजीओ ऑक्सफैम इं​डिया के ​ख़िलाफ़ विदेशी फंडिंग लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन करने और विदेशी सरकारों तथा संस्थानों का उपयोग करके लाइसेंस को नवीनीकृत करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास करने के आरोप लगाए गए हैं. जनवरी 2022 में गृह मंत्रालय द्वारा इस संगठन के एफ़सीआर लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया गया था.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/Oxfam India)

एफ़आईआर में एनजीओ ऑक्सफैम इं​डिया के ​ख़िलाफ़ विदेशी फंडिंग लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन करने और विदेशी सरकारों तथा संस्थानों का उपयोग करके लाइसेंस को नवीनीकृत करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास करने के आरोप लगाए गए हैं. जनवरी 2022 में गृह मंत्रालय द्वारा इस संगठन के एफ़सीआर लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया गया था.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/Oxfam India)

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ऑक्सफैम इंडिया की जांच की सिफारिश करने के कुछ दिनों बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बीते बुधवार (19 अप्रैल) को इसके खिलाफ विदेशी फंडिंग लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन करने और विदेशी सरकारों तथा संस्थानों का उपयोग करके लाइसेंस को नवीनीकृत करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास करने को लेकर मामला दर्ज किया है.

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट अनुसार, ऑक्सफैम इंडिया और उसके पदाधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. सीबीआई इस एनजीओ के कार्यालयों की तलाशी ले रही है.

एजेंसी ने गृह मंत्रालय की निगरानी इकाई के निदेशक जीतेंद्र चड्ढा द्वारा दायर शिकायत के आधार पर ऑक्सफैम इंडिया द्वारा कम से कम पांच कथित उल्लंघनों का संज्ञान लिया है.

विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के तहत ऑक्सफेम इंडिया का लाइसेंस गृह मंत्रालय द्वारा 14 महीने पहले नवीनीकृत नहीं किया गया था. विदेशों से फंडिंग के लिए एफसीआरए लाइसेंस जरूरी होता है.

मालूम हो कि जनवरी 2022 में ऑक्सफैम इंडिया के अलावा आईआईटी दिल्ली, जामिया मिलिया इस्लामिया, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) सहित लगभग 6,000 संस्थानों के विदेशी चंदा विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत पंजीकरण की मियाद खत्म होने के बाद गृह मंत्रालय द्वारा इनका नवीनीकरण नहीं किया गया था.

इसका मतलब है कि सूची में शामिल संगठन एक जनवरी 2022 से अपने कार्यों के लिए विदेशी चंदा नहीं प्राप्त कर सकेंगे.

गृह मंत्रालय द्वारा इसके खिलाफ जांच की सिफारिश किए जाने के बाद जारी एक बयान में ऑक्सफैम इंडिया ने कहा कि यह भारतीय कानूनों का पूरी तरह से अनुपालन करता है और एफसीआरए रिटर्न सहित अपने सभी वैधानिक अनुपालनों को समयबद्ध तरीके से दाखिल किया है. संगठन दिसंबर 2021 में एफसीआरए पंजीकरण का नवीनीकरण नहीं होने के बाद से सभी सरकारी एजेंसियों के साथ सहयोग कर रहा है.

संगठन ने बयान में कहा, ‘बढ़ती असमानता और गरीबी उन्मूलन को लेकर काम करने की अधिक आवश्यकता के समय में ऑक्सफैम इंडिया सार्वजनिक और राष्ट्रीय हित में काम करता रहा है और करता रहेगा. ऑक्सफैम इंडिया का मानना है कि रास्ते में आने वाली बाधाओं के बावजूद एक संगठन के रूप में यह हमारा संवैधानिक कर्तव्य है.’

डेक्कन हेराल्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, गृह मंत्रालय की शिकायत, जो एफआईआर का हिस्सा है, कहती है कि ऑक्सफैम इंडिया ने ‘कानूनी मार्ग के अलावा अन्य माध्यमों से धन को प्राप्त करके’ एफसीआरए को दरकिनार करने की योजना बनाई थी.

इसने कहा कि आयकर विभाग के सर्वे से पता चला है कि ऑक्सफैम ने कर्मचारियों या सहयोगियों को कमीशन के रूप में सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) को 12.71 लाख रुपये का भुगतान किया था, जो कि उसके एफसीआरए लाइसेंस का उल्लंघन है, जिसे सामाजिक कार्य करने के लिए दिया गया था.

गृह मंत्रालय ने 1 मार्च को सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के एफसीआरए पंजीकरण को निलंबित कर दिया था।

आईटी सर्वे के दौरान मिले एक ईमेल में दावा किया गया है कि ऑक्सफैम इंडिया ‘विदेशी सरकारों और विदेशी संस्थानों के माध्यम से एफसीआरए (लाइसेंस) के नवीनीकरण के लिए भारत सरकार पर दबाव बनाने की योजना बना रहा है’.

डेक्कन हेराल्ड के अनुसार, एफआईआर में शिकायत के हवाले से कहा गया है, ‘इस मामले को लेकर (लाइसेंस नवीनीकरण) भारत सरकार पर दबाव बनाने के लिए ऑक्सफैम इंडिया के पास बहुपक्षीय विदेशी संगठनों से अनुरोध कराने की पहुंच और प्रभाव है. इसने ऑक्सफैम इंडिया को विदेशी संगठनों/संस्थाओं की विदेश नीति के एक संभावित साधन के रूप में उजागर किया, जिन्होंने वर्षों से ऑक्सफैम इंडिया को उदारतापूर्वक वित्तपोषित किया है.’

एफआईआर के साथ संलग्न आईटी विभाग के एक दस्तावेज के अनुसार, ऑक्सफैम इंडिया भारत सरकार पर दबाव बनाने के लिए जिन संस्थानों को शामिल करना चाहता था, उनमें विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, यूरोपीय संघ, अमेरिकी विदेश विभाग, एशियाई विकास बैंक और विभिन्न यूरोपीय सरकारें शामिल थीं.

इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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