जम्मू कश्मीर के पुंछ ज़िले में सेना के ट्रक पर हुआ आतंकी हमला. राष्ट्रीय राइफल्स के ये शहीद जवान आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए तैनात थे. 2019 के पुलवामा आत्मघाती बम विस्फोट के बाद से जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों के चलते वाहन पर हुआ यह सबसे घातक हमला है.
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में बृहस्पतिवार (20 अप्रैल) को सेना के एक ट्रक को निशाना बनाकर किए गए हमले में पांच सैनिक शहीद हो गए और एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गया.
मृतकों की पहचान लांस नायक देबाशीष बसवाल और कुलवंत सिंह तथा सिपाही हरकिशन सिंह और सेवक सिंह और हवलदार मनदीप सिंह के रूप में हुई है.
सोशल मीडिया पर नवीनतम हमले के 25 सेकंड का एक कथित वीडियो सामने आया है, जिसमें दिखाया गया है कि गोलीबारी के कारण आग लगने के बाद विस्फोट के चलते दुर्घटनाग्रस्त ट्रक आग की लपटों में घिर गया है और उसका ईंधन टैंक फट गया है. एक सैनिक का अधजला शव सड़क पर पड़ा देखा जा सकता है, जबकि सुरक्षाकर्मी और स्थानीय लोग आग बुझाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
इस हमले से जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में 22-23 मई को होने वाले जी-20 कार्यक्रम की तैयारी और शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के सिलसिले में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की इस साल के अंत में गोवा यात्रा पर भी असर पड़ने की संभावना है.
सेना प्रमुख मनोज पांडे ने बृहस्पतिवार शाम को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को हमले के बारे में जानकारी दी, जो 2019 के पुलवामा आत्मघाती बम विस्फोट के बाद से जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों के चलते वाहन पर हुआ सबसे घातक हमला है. वहीं राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक टीम जम्मू कश्मीर पुलिस को जांच में सहयोग करने के लिए पहुंच रही है.
प्रारंभिक रिपोर्टों से संकेत मिल रहा था कि दुर्घटनाग्रस्त सेना के वाहन में संभवत: बिजली गिरने के कारण आग लग गई थी, लेकिन सूत्रों ने कहा कि जब सुरक्षा बल पुंछ के भट्टा दुर्रियन में घटनास्थल पर पहुंचे और वाहन को गोलियों के निशान मिले और फिर इसे आतंकी हमला घोषित किया गया.
यह हमला बीते कई वर्षों में केंद्र शासित प्रदेश में अपनी तरह का पहला हमला है, जिसमें आतंकवाद-विरोधी अभियानों में विशेष रूप से प्रशिक्षित राष्ट्रीय राइफल्स के सैनिकों को ले जा रहे सेना के वाहन पर आतंकवादियों ने घात लगाकर हमला किया था.
सूत्रों ने कहा कि माना जा रहा है कि तीन से चार आतंकवादियों के एक समूह ने हमले को अंजाम दिया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, उस वाहन पर कई दर्जन राउंड गोलियां चलाई गई हैं, जो जब हमला हुआ तो पास के सैन्य शिविर में राशन भी पहुंचा रहा था.
सूत्रों ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि वाहन पर हर तरफ से गोलियां बरस रही थीं, जिससे फंसे हुए सैनिकों को जवाबी कार्रवाई करने का कोई मौका नहीं मिला, यहां तक कि हमलावर बिना किसी नुकसान या हताहत हुए भागने में सफल रहे.’
उन्होंने यह भी कहा कि देश के नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों और उत्तर पूर्व में ऐसे हमलों की सूचना मिली है.
सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए जश्न के संदेशों के अनुसार पाकिस्तान में स्थित प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद संगठन की शाखा माने जाने वाले पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फोर्स (पीएएफएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली है.
जम्मू कश्मीर पुलिस ने अभी तक दावों की पुष्टि नहीं की है. पीएएफएफ को इस साल जनवरी में केंद्र सरकार द्वारा आतंकवाद विरोधी कानून के तहत एक आतंकवादी संगठन घोषित किया गया था.
जम्मू स्थित सेना के सामरिक उत्तरी कमान के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि सेना का ट्रक राजौरी सेक्टर में स्थित भिंबर गली और पुंछ के बीच चल रहा था, तभी अज्ञात आतंकवादियों ने भारी बारिश और कम दृश्यता का फायदा उठाया उठाकर उस पर हमला किया.
प्रवक्ता ने कहा, ‘आतंकवादियों द्वारा ग्रेनेड के संभावित उपयोग के कारण वाहन में आग लग गई. इस क्षेत्र में काउंटर टेररिस्ट ऑपरेशन के लिए तैनात राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के पांच जवानों ने दुर्भाग्य से इस घटना में अपनी जान गंवा दी है. एक अन्य गंभीर रूप से घायल सैनिक को तुरंत राजौरी के सेना अस्पताल ले जाया गया और उनका इलाज चल रहा है. अपराधियों का पता लगाने के लिए अभियान जारी है.’
जम्मू कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह हमला नियंत्रण रेखा से सटे घने जंगल वाले क्षेत्र में हुआ है, जहां दृश्यता कम है और हमले के बाद आतंकवादियों के बिना किसी प्रतिरोध के भागने की संभावना है अधिक है, क्योंकि यह भूभाग पहाड़ी है.
इससे पहले 16 अक्टूबर 2021 को दो संदिग्ध विदेशी आतंकवादियों द्वारा पुंछ की मेंढर तहसील में एक जूनियर कमीशंड अधिकारी सहित सेना के चार जवानों की हत्या कर दी गई थी.
यह घटना पुंछ के चमरेर जंगलों में सेना के पांच जवानों की एक आतंकी हमले में मौत के पांच दिन बाद घटित हुई थी. इन दोनों हमलों के बाद इस क्षेत्र में सबसे लंबे समय तक आतंकवाद विरोधी अभियान चलाए गए, लेकिन इसे बिना किसी सफलता के बंद कर दिया गया.
यह हमला नियंत्रण रेखा के साथ लगे राजौरी-पुंछ क्षेत्र में हुआ था, जहां हाल के महीनों में आतंकवाद में वृद्धि दर्ज की गई है. यह एक बार फिर आतंकवाद के नए केंद्र के रूप में जम्मू संभाग के उभरने को रेखांकित करता है, जो पिछले तीन दशकों में कश्मीर में हुई हिंसा से काफी हद तक अप्रभावित रहा है.
पिछले साल अगस्त में राजौरी जिले के दारहल इलाके में एक आत्मघाती हमले में सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे, जबकि हमले में शामिल दो आतंकवादी भी बाद में मारे गए थे. माना जाता है कि यह हमला जैश-ए-मोहम्मद द्वारा कराया गया था.
इस साल 1 जनवरी को राजौरी के धंगरी गांव में अज्ञात आतंकवादियों ने इसी तरह का क्रूर हमला किया था, जिसमें दो नाबालिगों सहित सात नागरिक मारे गए थे. हमले को अंजाम देने वाले अब भी फरार हैं और अधिकारियों को शक है कि उन्होंने क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के साथ घने जंगलों में शरण ली हो सकती है.
जहां सुरक्षा एजेंसियां इस बात की जांच कर रही हैं कि क्या पुंछ में हुए ताजा हमले को अंजाम देने के लिए हाल ही में आतंकवादियों के एक नए समूह ने जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा से घुसपैठ की है. इसमें अब तक धंगरी हमलावरों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया गया है.
पुंछ में हुए हमले की जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और गुलाम नबी आजाद और केंद्र शासित प्रदेश के अन्य राजनीतिक नेताओं ने निंदा की है.
इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें