तमिलनाडु विधानसभा में 12 घंटे का कार्य दिवस करने संबंधी विधेयक पारित, विरोध में उतरे सहयोगी दल

तमिलनाडु विधानसभा से पारित कारखाना अधिनियम, 1948 में संशोधन करने वाले विधेयक में दैनिक कार्य के घंटों को 8 से बढ़ाकर 12 कर दिया गया है. हालांकि, राज्य के श्रम मंत्री का कहना है कि इसका वर्तमान 48 घंटे के कार्य-सप्ताह पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, इसे केवल उन जगहों पर लागू किया जाएगा, जहां श्रमिक इसे पसंद करते हों.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन. (फोटो: पीटीआई)

तमिलनाडु विधानसभा से पारित कारखाना अधिनियम, 1948 में संशोधन करने वाले विधेयक में दैनिक कार्य के घंटों को 8 से बढ़ाकर 12 कर दिया गया है. हालांकि, राज्य के श्रम मंत्री का कहना है कि इसका वर्तमान 48 घंटे के कार्य-सप्ताह पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, इसे केवल उन जगहों पर लागू किया जाएगा, जहां श्रमिक इसे पसंद करते हों.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: तमिलनाडु विधानसभा ने शुक्रवार को कारखाना अधिनियम 1948 में संशोधन के लिए एक विधेयक पारित किया, जिसमें दैनिक कार्य के घंटों को 8 से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया गया है.

द प्रिंट के मुताबिक, विधेयक को 12 अप्रैल को विधानसभा में पेश किया गया था.

शुक्रवार को विधानसभा सत्र के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए श्रम मंत्री सीवी गणेशन ने कहा कि संशोधित दैनिक काम के 12 घंटे सभी कंपनियों और कारखानों को नहीं दिए गए हैं, लेकिन इसे ‘केवल उन जगहों पर लागू किया जाएगा, जहां श्रमिक इसे पसंद करते हैं.’

गणेशन ने कहा कि विधेयक का वर्तमान 48 घंटे के कार्य-सप्ताह पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और साप्ताहिक अवकाश एवं अतिरिक्त वेतन के मामले में कोई बदलाव नहीं होगा.

गणेशन के साथ मौजूद उद्योग मंत्री थंगम थेनारासू ने कहा, ‘क्या मंजूरी देने से पहले इसका आकलन किया जाएगा कि कारखाने के पास श्रमिकों से दिन में 12 घंटे काम कराने की व्यवस्था और सुरक्षा है.’

वहीं, गणेशन ने कहा कि संशोधन ‘औद्योगिक लचीलापन’ लाएगा.

शुक्रवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), सीपीआई (मार्क्सवादी), कांग्रेस, मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके) और विदुथलाई चिरुथिगल काची जैसे सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सहयोगी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया था.

पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जैसे विपक्षी दल सदन से बहिर्गमन कर गए थे.

विधानसभा में भाजपा विधायक नैनार नागेंद्रन ने डीएमके सरकार से विधेयक पर फिर से विचार करने के लिए कहा.

फरवरी में कर्नाटक विधानसभा ने कारखाने (कर्नाटक संशोधन) विधेयक 2023 भी पारित किया था, जो उद्योगों को 12 घंटे कार्य दिवस की अनुमति देता है, लेकिन एक सप्ताह में अधिकतम 48 घंटे काम की सीमा है.

द प्रिंट ने विभिन्न रिपोर्टों का हवाला देते हुए लिखा है कि मई 2020 में 10 राज्यों – महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, गोवा, उत्तराखंड, असम, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश – ने महामारी के दौरान श्रम कानूनों को संशोधित कर 12 घंटे काम करने का प्रस्ताव दिया था.

उत्तर प्रदेश सरकार ने भी रोजाना काम के घंटे 8 घंटे से बढ़ाकर 12 करने का आदेश जारी किया था, लेकिन मई 2020 में इसे वापस ले लिया था.

सीपीएम विधायक नगई माली ने सत्र के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि विधेयक मजदूरों के संघर्ष को नकारता है, जिसने उनके लिए 8 घंटे का कार्य दिवस सुनिश्चित किया था. साथ ही, उन्होंने कहा कि यह कॉरपोरेट कंपनियों के पक्ष में है.

हालांकि, गणेशन ने जोर देकर कहा कि विधेयक मजदूरों के खिलाफ नहीं है.

विधेयक में, तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि राज्य प्रमुख विनिर्माण कंपनियों का केंद्र है और यहां कारखानों और औद्योगिक श्रमिकों की संख्या देश में सबसे अधिक है.

सत्र के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए गठबंधन दलों के नेताओं ने कहा कि जब विधेयक पारित हुआ तो मुख्यमंत्री एमके स्टालिन विधानसभा में नहीं थे और इसलिए सरकार की कार्य योजना को देखने के लिए प्रतीक्षा करेंगे और फिर प्रतिक्रिया देंगे.

सीपीएम विधायक माली ने कहा कि गठबंधन के राजनीतिक दलों ने सत्र से पहले सुबह स्टालिन से मुलाकात की थी और विधेयक पर आपत्ति जताई थी और सीएम ने भी आश्वासन दिया था कि इसका अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा.

वीसीके विधायक सिंथनई सेलवन ने यह भी कहा कि उन्होंने सीएम से अनुरोध किया था कि इस विधेयक को अध्ययन के लिए एक समिति को भेजा जाना चाहिए.