पीएम केयर्स फंड में सरकारी कंपनियों ने 2,913 करोड़ रुपये दिए: रिपोर्ट

एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार द्वारा संचालित सूचीबद्ध कंपनियों ने 2019-20 और 2021-22 के बीच पीएम केयर्स फंड में कम से कम 2,913.6 करोड़ रुपये का योगदान दिया है. शीर्ष पांच दानदाताओं में ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन, एनटीपीसी, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन शामिल हैं.

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(फोटो साभार: www.pmcares.gov.in)

एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार द्वारा संचालित सूचीबद्ध कंपनियों ने 2019-20 और 2021-22 के बीच पीएम केयर्स फंड में कम से कम 2,913.6 करोड़ रुपये का योगदान दिया है. शीर्ष पांच दानदाताओं में ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन, एनटीपीसी, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन शामिल हैं.

(फोटो साभार: www.pmcares.gov.in)

नई दिल्ली: सरकार द्वारा संचालित सूचीबद्ध कंपनियों ने 2019-20 और 2021-22 के बीच विवादास्पद ‘पीएम केयर्स फंड’ में कम से कम 2,913.6 करोड़ रुपये का योगदान दिया है.

यह खुलासा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध सभी कंपनियों के लिए ट्रैकर primeinfobase.com द्वारा संकलित डेटा का विश्लेषण करके बिजनेस स्टेंडर्ड ने किया है.

अखबार के मुताबिक, उनका योगदान 247 अन्य कंपनियों द्वारा फंड में किए गए कुल दान से अधिक है, जो कुल दान 4910.5 करोड़ का 59.3 फीसदी है.

शीर्ष पांच दानदाताओं में ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (370 करोड़ रुपये), एनटीपीसी (330 करोड़ रुपये), पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (275 करोड़ रुपये), इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (265 करोड़ रुपये) और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (222.4 करोड़ रुपये) शामिल हैं.

रिपोर्ट में ऐसी 57 कंपनियों की पहचान की गई है, जिनमें सरकार की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है.

मार्च 2020 में स्थापित होने के बाद से ही पीएम केयर्स फंड विवादों में रहा है. ऐसा इसके सार्वजनिक जांच से बचने और चीनी कंपनियों समेत विदेशी संस्थाओं से धन प्राप्त करने की वजह से है.

वहीं, केंद्र सरकार द्वारा जनवरी 2023 में दिल्ली हाईकोर्ट में पेश एक हलफनामे मे कहा गया था कि फंड भारत सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं है. इसने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2020 के एक फैसले में उल्लिखित स्थिति को दोहराया, जिसमें कहा गया था कि ट्रस्ट को कोई सरकारी पैसा नहीं मिलता है.

पीएम केयर्स फंड की वेबसाइट के मुताबिक, इसने वर्ष 2019-20 में 3076.6 करोड़ रुपये एकत्र किए थे, जो 2020-21 में बढ़कर 10,990.2 करोड़ रुपये हो गए और 2021-22 में घटकर 9131.9 करोड़ रुपये रहे. ऐसा प्रतीत होता है कि इसके पहले साल में राशि का बड़ा हिस्सा कॉरपोरेट इंडिया के सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉ​न्सिबिलिटी) बजट से आया.

2019-20 में कुछ दिन के ही संचालन में पीएम केयर्स फंड ने केवल 2,049 करोड़ रुपये खर्च किए. यह 2020-21 में बढ़कर 3,976.2 करोड़ रुपये और 2021-22 में 3,716.3 करोड़ रुपये हो गए.

अखबार के अनुसार, सितंबर 2022 में सरकार द्वारा संशोधित किए गए नए मानदंडों के कारण सीएसआर खर्च की जांच का महत्व बढ़ गया है. ये संशोधित मानदंड कंपनियों को सीएसआर खर्च पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में दी जाने वाली जानकारी की मात्रा को सीमित करते हैं.

पीएम केयर्स फंड की स्थिति इसकी प्रकृति और इसके आसपास पारदर्शिता की कमी के कारण हमेशा से ही विवादास्पद रही है.

इस साल जनवरी में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया था कि पीएम केयर्स फंड भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ नहीं है और इसलिए सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत यह अपने कामकाज के बारे में जनता के प्रति जवाबदेह नहीं है.

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