गुजरात के अहमदाबाद ज़िले के ढोलका क़स्बे का मामला. पुलिस ने ठेकेदारों के ख़िलाफ़ ग़ैर-इरादतन हत्या और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण क़ानून के तहत मामला दर्ज किया है.
नई दिल्ली: गुजरात के अहमदाबाद जिले के ढोलका कस्बे में कीचड़ साफ करने के लिए मैनहोल में उतरे दो सफाई कर्मचारियों की दम घुटने से मौत हो गई. पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी. घटना शनिवार (22 अप्रैल) शाम की है.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, मृतकों की पहचान गोपाल पाधर (24 वर्ष) और बीजल पाधर (32 वर्ष) के रूप में हुई है. दोनों श्रमिक सीवेज पाइपलाइन में घुसने के बाद बेहोश हो गए. ढोलका पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि ठेकेदार आशिक ठाकोर और जगदीश ठाकोर के खिलाफ पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), साथ ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.
गुजरात सरकार ने हाल ही में विधानसभा को सूचित किया था कि पिछले दो वर्षों में राज्य के विभिन्न हिस्सों में नालियों की सफाई के दौरान दम घुटने से 11 सफाई कर्मचारियों की मौत हो गई. 6 अप्रैल को भरूच जिले के दहेज कस्बे में इसी तरह की घटना में तीन सफाई कर्मचारियों की मौत हो गई थी.
गुजरात कांग्रेस प्रदेश समिति के प्रवक्ता हिरेन बैंकर ने हाल ही में हुईं मौतों के बाद 23 अप्रैल को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को एक पत्र लिखा है.
बैंकर के अनुसार, दो सफाई कर्मचारियों को बिना किसी सुरक्षा उपकरणों के एक सीवर में प्रवेश करने के लिए मजबूर किया गया, जिससे उनकी मौत हो गई.
उन्होंने आयोग को लिखे पत्र में कहा कि इस प्रथा की अवैधता और इसे प्रतिबंधित करने के लिए कानून होने के बावजूद देश भर में हाथ से मैला उठाने का काम अनगिनत सफाई कर्मचारियों की जान ले रहा है.
बैंकर ने कहा, ‘पिछले तीन दशकों में सरकारी आंकड़े बताते हैं कि गुजरात देश में सफाई कर्मचारियों की मौत के मामले में दूसरे नंबर पर है. इस संबंध में एनएचआरसी की महत्वपूर्ण भूमिका है और मैं आपसे इस मुद्दे के समाधान के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह करता हूं.’
उन्होंने पत्र में कहा, ‘गुजरात और अन्य राज्यों में हाल के वर्षों में मैला ढोने के कारण होने वाली मौतों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.’
उन्होंने लिखा कि यह अस्वीकार्य है कि लोगों को इस तरह के खतरनाक और अपमानजनक काम में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता है और हर दिन उनकी जान जोखिम में डाली जाती है.