गुरुवार को एक समाचार चैनल के आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ‘चुटकुला’ सुनाने की बात कहते हुए एक महिला की आत्महत्या करने का प्रसंग बताया था. विपक्षी नेताओं समेत कई लोगों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा आत्महत्या के बारे में चुटकुला सुनाना बेहद असंवेदनशील है.
नई दिल्ली: 26 अप्रैल को एक मीडिया कार्यक्रम में आत्महत्या से एक महिला की मौत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘चुटकुले’ ने सोशल मीडिया पर आक्रोश पैदा कर दिया है. कई लोगों ने कहा कि एक प्रधानमंत्री द्वारा आत्महत्या के बारे में एक कथित चुटकुला सुनाना बेहद असंवेदनशील है.
रिपोर्ट के अनुसार, मीडिया मीट में मोदी ने दर्शकों के सामने हिंदी में बात की और उनके भाषण का संबंधित टेलीविजन चैनल पर सीधा प्रसारण किया गया.
#PMAtRepublicSummit | We are blessed to have you as our leader. You have transformed India in every possible way. thank you for gracing the occasion: Editor-in-Chief Arnab Goswami welcomes @PMOIndia @narendramodi
at the #RepublicSummit 2023!LIVE : https://t.co/fop6DDo0xE pic.twitter.com/DA7buwrSpv
— Republic (@republic) April 26, 2023
मोदी ने अपने वक्तव्य में कहा था, ‘बचपन में हम एक चुटकुला सुनते थे. मैं आपको बताना चाहता हूं. एक प्रोफेसर थे और उनकी बेटी ने आत्महत्या कर ली. उसने एक चिट छोड़ी, ‘मैं जिंदगी से थक चुकी हूं और जीना नहीं चाहती. इसलिए मैं कांकरिया तालाब में कूदकर मर जाऊंगी. सुबह उसने देखा कि उसकी बेटी घर पर नहीं है. बिस्तर पर उसे पत्र मिला. पिता बहुत गुस्से में थे. ‘मैं एक प्रोफेसर हूं.’ इतने सालों तक मैंने कड़ी मेहनत की है और अब भी उसने ‘कांकरिया’ की स्पेलिंग गलत लिखी है.’
इस बिंदु पर दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठती हैं. मोदी भी हंसते नजर आ रहे हैं.
फिर उन्होंने कहा, ‘मुझे खुशी है कि अर्नब (गोस्वामी, रिपब्लिक टीवी प्रमुख) ने शानदार हिंदी बोलना शुरू कर दिया है.’ इसके बाद और तालियां बजीं.
मोदी ने कहा, ‘मैंने यह नहीं सुना कि उन्होंने क्या कहा लेकिन मैं इस बात पर ध्यान दे रहा था कि उनकी हिंदी सही है या नहीं. हो सकता है कि आपने हिंदी ठीक से सीखी हो क्योंकि आप मुंबई में रह रहे हैं.’
यह स्पष्ट नहीं है कि गोस्वामी की हिंदी की तारीफ करने के लिए यह ‘चुटकुला’ क्यों जरूरी था.
उल्लेखनीय है कि देश में बीते कुछ समय में आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2021 में भारत में 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की. इसका मतलब है कि हर दिन 450 लोगों की मौत हुई. यह पिछले वर्ष की तुलना में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि थी.
इंडियन जर्नल ऑफ साइकेट्री में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, एनसीआरबी के अस्तित्व में आने के बाद से यह अब तक का सबसे ज्यादा रिकॉर्ड है.
आत्महत्या से मरने वालों में से एक तिहाई (34.5%) से अधिक 18-30 वर्ष की आयु वर्ग के थे. अन्य 31% की आयु 30-45 वर्ष के बीच थी – इस प्रकार यह दर्शाता है कि जिन लोगों को भारत के ‘जनसांख्यिकीय लाभांश’ के रूप में संदर्भित किया जाता है, वे आत्महत्या से मर रहे हैं.
द लिव लव लाफ फाउंडेशन द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया कि मानसिक स्वास्थ्य प्राथमिकता के रूप में नहीं आता है और लोग आत्महत्या को एक गंभीर मुद्दा नहीं मानते हैं.
क्वार्ट्ज़ (Quartz) के रिपोर्ट के अनुसार, भारत के आठ शहरों के 3,556 लोगों पर किए एक सर्वेक्षण में आश्चर्यजनक रूप से 47 प्रतिशत लोगों को मानसिक बीमारी से ग्रस्त लोगों के प्रति अत्यधिक आलोचनात्मक होने के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है.
हाल की रिपोर्ट्स ने इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि कैसे युवा भारतीयों के बीच अकादमिक संकट व्याप्त है, जो प्रतिष्ठित संस्थानों तक में मौजूद जातिगत भेदभाव, बढ़ती बेरोजगारी और वित्तीय संघर्ष जैसे कारकों के साथ जुड़ा हुआ है, जिससे छात्र पहले से कहीं ज्यादा अलग-थलग महसूस कर रहे हैं.
विपक्ष ने नाराजगी जताई
इस बीच, विपक्षी नेताओं और कई अन्य लोगों ने मोदी की टिप्पणी के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्विटर पर कहा कि आत्महत्या के कारण हजारों परिवार अपने बच्चों को खो देते हैं और प्रधानमंत्री को उनका मजाक नहीं बनाना चाहिए.
हज़ारों परिवार आत्महत्या के कारण अपने बच्चों को खोते हैं।
प्रधानमंत्री को उनका मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 27, 2023
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ट्विटर पर टिप्पणी करने वालों में सबसे आगे थीं. उन्होंने कहा कि भारत की उच्च आत्महत्या दर एक त्रासदी है, मजाक नहीं.
उन्होंने कहा, ‘अवसाद और आत्महत्या, विशेष रूप से युवाओं में, कोई हंसी का विषय नहीं है. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में 1,64,033 भारतीयों ने आत्महत्या की. जिनमें से एक बड़ा संख्या 30 वर्ष से कम आयु के थे. यह एक त्रासदी है मजाक नहीं.’
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री और उनके मजाक पर दिल खोलकर हंसने वालों को खुद को बेहतर और शिक्षित करना चाहिए. इस असंवेदनशीलता से मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों का उपहास उड़ाने के बजाय जागरूकता पैदा करनी चाहिए.
वहीं, राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज कुमार झा ने मोदी की टिप्पणियों के बाद तालियों की गड़गड़ाहट का उल्लेख किया.
उन्होंने कहा, ‘रुग्णता तो दिखती है जब देश के प्रधानमंत्री ‘आत्महत्या’ जैसे संवेदनशील मसले पर चुटकुला सुनाते हैं लेकिन उससे भी ज्यादा भयावह है चुटकुले के बाद की तालियां और अट्टाहास. हम बहुत ही बीमार समाज हो गए हैं…..जय हिंद.’
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने एनसीआरबी का 2021 का आंकड़ा साझा किया, जिसमें आत्महत्या से होने वाली मौतों के मामले में भारत की संख्या दर्शाई गई है.
Respected PM,
I won’t share the triggering video where you cracked a joke on suicide while the audience laughed at the insensitive ‘joke’, however I’d definitely like to remind you that 2021 NCRB data shows that over 1.5 lakh Indians committed suicide, also deaths by suicide… pic.twitter.com/nWysoJSIRL
— Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@priyankac19) April 27, 2023
उन्होंने कहा, ‘हमें एक राष्ट्र के रूप में अवसाद और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के प्रति अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है क्योंकि आप परिवर्तन का नेतृत्व कर रहे हैं न कि उनकी दुर्दशा का मज़ाक उड़ा रहे हैं.’
आम आदमी पार्टी ने अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया, ‘हमारे प्रधानमंत्री द्वारा मानव जीवन के प्रति असंवेदनशील उपेक्षा की कल्पना करें, जिन्हें आत्महत्या पर मजाक उड़ाने की जरूरत है! विडंबना यह है कि जब यह अनपढ़ पीएम एक लड़की की आत्महत्या पर एक भद्दा और क्रूर मजाक करता है, तो देश से हंसने की उम्मीद करता है!’
समाजवादी पार्टी के गौरव प्रकाश ने द क्विंट की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि ‘हर नौ मिनट में भारत में एक महिला अपनी जान लेती है.’
कई पत्रकारों ने भी इस कथित चुटकुले की आलोचना की है. अभिषेक बक्शी ने ट्वीट किया, ‘आत्महत्या के बारे में एक चुटकुला. शाबाश नरेंद्र मोदी! असंवेदनशीलता का कोई भी पहलू आपके भोग से रहित नहीं होना चाहिए.’
स्वाति चतुर्वेदी ने लिखा, ‘आत्महत्या मजाक का विषय है? मोदी ने खुद को पीछे छोड़ दिया.’