2007 बैच के आईएएस अधिकारी उदित प्रकाश राय पर दिल्ली जल बोर्ड का सीईओ रहते हुए नियमों का उल्लंघन करते हुए अपने सरकारी बंगले के निर्माण के लिए 15वीं शताब्दी के संरक्षित ‘पठान कालीन महल’ गिराने का आरोप लगाया गया है. उदित प्रकाश फिलहाल मिज़ोरम में तैनात हैं, उनका परिवार अभी इसी बंगले में रह रहा है.
नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग ने बीते बुधवार (26 अप्रैल) को दिल्ली जल बोर्ड के एक पूर्व सीईओ को बंगला बनाने के लिए 15वीं सदी की एक ऐतिहासिक स्मारक को कथित रूप से गिराने के आरोप में नोटिस भेजा है.
पूर्व सीईओ और 2007 बैच के आईएएस अधिकारी उदित प्रकाश राय को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. उनसे दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा गया है.
उदित प्रकाश राय पर दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रहते हुए नियमों का उल्लंघन करते हुए अपने सरकारी आवास के निर्माण के लिए इस ऐतिहासिक स्मारक को गिराने का आरोप लगाया गया है. उदित प्रकाश फिलहाल मिजोरम में तैनात हैं.
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग ने 11 दिसंबर, 2020 को 15वीं शताब्दी के ‘पठान कालीन महल’ को एक संरक्षित ऐतिहासिक इमारत के रूप में चिह्नित किया था. उन्होंने 19 जनवरी, 2021 को दिल्ली जल बोर्ड को भी लिखकर ‘तत्काल ध्यान’ और संरक्षण के लिए स्मारक और एक प्रवेश द्वार की मांग की थी. साथ ही भूमि को पुरातत्व विभाग को सौंपने के लिए कहा था.
इसके बाद इस साल जनवरी में पुरातत्व विभाग जब इस साइट पर वापस आया, तो पाया कि स्मारक गायब हो चुका है. जल बोर्ड के तत्कालीन सीईओ के एक आधिकारिक बंगले के लिए रास्ता बनाने के लिए इसे तोड़ दिया गया था.
पुरातत्व विभाग, जल बोर्ड और सतर्कता विभाग ने 9 जनवरी 2023 को उस जगह का दौरा किया था. पुरातत्व विभाग का मानना है कि पठान कालीन महल के दो ढांचे थे, जिनमें से एक को तोड़ा गया था.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह पठान कालीन महल 1418 ईसवी का है, जब सैय्यद वंश ने दिल्ली पर शासन किया था.
आरोप है कि उस समय जल बोर्ड के सीईओ रहे आईएएस उदित प्रकाश राय ने बंगला बनाने की अनुमति दी थी. एजीएमयूटी (अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश) कैडर के अधिकारी राय वर्तमान में मिजोरम में तैनात हैं, उनका परिवार नवनिर्मित आवास में रह रहा है, जो मध्ययुगीन स्मारक के स्थान पर बना था.
जो स्मारक गायब (गिरा दिया) हो गया, उसका एक प्रवेश द्वार अभी भी खड़ा है. यह लाजपत नगर के पास दक्षिण पूर्वी दिल्ली के जल विहार में है. इसका उल्लेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की मुसलमानों और हिंदू स्मारकों की सूची, खंड 4 में मिलता है और महल कहा जाता है.
सूची संरचना को ‘महल… ईंट की चिनाई और लाल बलुआ पत्थर से निर्मित’ के रूप में वर्णित करती है. यह कहती है कि इसकी मुख्य विशेषता ‘तीन धनुषाकार दालान है… दो कक्षों से घिरी हुई है’.
सतर्कता विभाग के कारण बताओ नोटिस में कहा गया है कि यह स्मारक जल बोर्ड के ‘नियंत्रण’ और उसी परिसर में बने कुछ छोटे आवासीय क्वाटरों के पास था.
नए घर का निर्मित क्षेत्र जिसने स्मारक को बदल दिया है, 700 वर्गमीटर है, जो कारण बताओ नोटिस के अनुसार, ‘टाइप 8 क्वार्टर के 403 वर्गमीटर के निर्धारित क्षेत्र से भी लगभग 300 वर्गमीटर अधिक है’.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, राय टाइप 5 सरकारी आवास के हकदार थे. पूरे भूखंड की लंबाई-चौड़ाई जहां आईएएस अधिकारी के घर का निर्माण लगभग 5,500 वर्गमीटर है.
नोटिस के मुताबिक, प्रोजेक्ट पर करीब 4 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं.
दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति और भाषा विभाग के अंतर्गत आने वाले पुरातत्व विभाग ने दिसंबर 2020 में साइट का दौरा किया था. विभाग को स्थानीय महत्व के प्राचीन स्मारकों की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार है.
जनवरी 2021 में विभाग ने ‘तत्काल ध्यान’ और संरक्षण के लिए दिल्ली जल बोर्ड को स्मारक का कब्जा उसे सौंपने के लिए लिखा था.
दिसंबर 2020 में जब यहां का दौरा किया गया था तब विभाग के अधिकारियों को ‘दो संरचनाएं मिलीं, जिनमें से एक प्रवेश द्वार और दूसरी उक्त महल की मुख्य इमारत थी’.
हालांकि, जनवरी 2023 में जब दोबारा यहां का दौरान किया गया तो निरीक्षण दल ने ‘पाया कि इस जगह पर केवल एक संरचना यानी प्रवेश द्वार की ही पहचान की जा सकती है’.
सतर्कता विभाग ने अपने नोटिस में कहा है, ‘दिल्ली जल बोर्ड के तत्कालीन सीईओ उदित प्रकाश राय के निर्देश पर बोर्ड के इंजीनियरों की मदद से पठान काल के महल को कथित तौर पर गिराया गया.’
नोटिस में यह भी कहा गया है कि राय ‘पूरी संरचना के हिस्से को ध्वस्त करने’ के लिए जिम्मेदार थे और वह ‘इस तथ्य से भी अच्छी तरह वाकिफ थे कि एक ऐतिहासिक स्मारक मौजूद है’.
द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उन्होंने इस संबंध में जानकारी के लिए किए गए फोन कॉल या टेक्स्ट संदेशों का जवाब नहीं दिया. जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी कॉल या संदेशों का जवाब नहीं दिया.
बुधवार को जब द इंडियन एक्सप्रेस ने स्मारक स्थल पर बने घर का दौरा किया, तो आईएएस अधिकारी उदित प्रकाश राय की पत्नी वहां मौजूद थीं.
उन्होंने कहा, ‘ये केवल आरोप हैं. यहां दिल्ली जल बोर्ड के पुराने क्वार्टर थे, जिनका जीर्णोद्धार किया गया है. यह हमारा निजी घर नहीं है. अगर हम चले गए तो ढांचा वापस नहीं आएगा. हम इस मुद्दे के खिलाफ लड़ रहे हैं. स्मारक बाउंड्री के अंदर नहीं था. बाउंड्री के दूसरी ओर एक स्मारक अभी भी मौजूद है. हमने जंगली जानवरों और चोरों को बाहर रखने के लिए बाउंड्री को घेर (निर्माण कराया) दिया है.’