मामला वर्ष 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के अपहरण और हत्या से जुड़ा है. गैंगस्टर से नेता बने मुख़्तार अंसारी, जो अभी जेल में हैं, को 10 साल और उनके भाई अफ़ज़ल अंसारी को 4 साल के कारावास की सज़ा सुनाई गई है.
गाजीपुर: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर की एक एमपी/एमएलए अदालत ने शनिवार (29 अप्रैल) को जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के अपहरण और हत्या से संबंधित मामले में दोषी ठहराया और उन्हें 10 साल कैद की सजा सुनाई.
एनडीटीवी के मुताबिक, गैंगस्टर से नेता बने अंसारी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. उन्हें अदालत के समक्ष वर्चुअली (वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग) प्रस्तुत किया गया था.
इससे पहले दिवंगत भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की पत्नी ने शनिवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में माफिया का शासन समाप्त हो गया है और उन्हें न्यायपालिका पर भरोसा है.
बता दें कि कृष्णानंद राय की हत्या वर्ष 2005 में गाजीपुर में कथित तौर पर मुख्तार अंसारी और उनके भाई अफजल अंसारी ने कर दी थी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स एवं असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम मामले में 2007 में गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद पुलिस थाने में दर्ज मामले में दोषी ठहराया गया है. मुख्तार बांद्रा जिला जेल में बंद हैं.
वहीं, उनके बड़े भाई अफजल अंसारी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से सांसद हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इसी अदालत ने उन्हें भी चार साल की सजा सुनाई है, जिसके चलते उनकी संसद की सदस्यता खतरे में आ गई है.
अखबार के मुताबिक, उन्हें भी गाजीपुर की विशेष अदालत द्वारा उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स एंड सोशल असामाजिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत सजा सुनाई गई है. उनके खिलाफ भी मामला 2007 में मोहम्मदाबाद पुलिस थाने में दर्ज हुआ था. अफजल अंसारी अभी जमानत पर बाहर हैं.
यह पहला मामला है, जिसमें अफजल अंसारी के खिलाफ दोष सिद्ध हुए हैं.
गाजीपुर के सरकारी वकील नीरज श्रीवास्तव ने कहा, ‘अदालत द्वारा अफजल अंसारी को दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया. अदालत ने उन पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.’
उन्होंने बताया, ‘अदालत ने मामले में मुख्तार को 10 साल कैद की सजा सुनाई और 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.’
यह चौथा मामला है, जिसमें पांच बार के विधायक मुख्तार को दोषी ठहराया गया है.
इस बीच, बचाव पक्ष के वकील लियाकत अली ने कहा है, ‘हम अफजल अंसारी और मुख्तार अंसारी के मामलों में फैसले के खिलाफ अपील दायर करेंगे.’
अभियोजन पक्ष के अनुसार, नवंबर 2005 में गाजीपुर जिले के भवरकोल क्षेत्र में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय और छह अन्य की हत्या के आधार पर मामला दर्ज किया गया था.
हत्या के मामले की जांच इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा की गई थी. 2019 में, दिल्ली की एक विशेष सीबीआई अदालत ने कृष्णानंद राय हत्याकांड में अफजल, मुख्तार और पांच अन्य को बरी कर दिया था.
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, अफजल अंसारी के खिलाफ सात मामले दर्ज हैं और आखिरी मामला 2014 में जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत दर्ज किया गया था. कुछ मामलों में पुलिस को उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला और उन्हें हटा दिया गया या क्लोजर रिपोर्ट लगा दी गई.
इस बीच गाजीपुर के मोहम्मदाबाद पुलिस थाने के हिस्ट्रीशीटर मुख्तार, जिसके खिलाफ 61 मामले दर्ज हैं, 2005 से जेल में हैं, जब उन्होंने मऊ में एक सांप्रदायिक दंगा मामले में आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई थी.
मुख्तार ने मऊ सदर सीट का पांच बार (दो बार बसपा उम्मीदवार और तीन बार निर्दलीय के रूप में) प्रतिनिधित्व किया था.
मुख्तार ने पिछला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा और अपने बड़े बेटे अब्बास को उसी मऊ सदर सीट से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के टिकट पर खड़ा किया. एसबीएसपी ने चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था.
वहीं पिछले साल 21 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अपील पर सुनवाई करते हुए मुख्तार को 2003 में एक जेलर पर हमले के एक मामले में सात साल कैद की सजा सुनाई थी.
इसके एक दिन बाद हाईकोर्ट ने एक अन्य मामले में मुख्तार को 5 साल के कारावास की सजा सुनाई थी. यह मामला उनके खिलाफ 1999 में लखनऊ में प्रदेश गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज किया गया था.
पिछले साल 15 दिसंबर को गाजीपुर जिले की एक अदालत ने मुख्तार को उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एक्ट के तहत दोषी ठहराया था और उसे उसके कथित सहयोगी भीम सिंह के साथ 10 साल जेल की सजा सुनाई थी. जिस मामले में उन्हें दोषी ठहराया गया था, वह 1996 का था.