कर्नाटक की मल्लेश्वरम विधानसभा सीट के मौजूदा भाजपा विधायक और कैबिनेट मंत्री सीएन अश्वथ नारायण ने मतदाताओं को वॉट्सऐप पर संदेश भेजे हैं. इन संदेशों में मतदाताओं के व्यक्तिगत मतदाता पहचान पत्रों के अंश शामिल हैं, जिससे विवाद की स्थिति बन गई है. कुछ लोगों ने सवाल उठाया है कि मंत्री ने मतदाताओं के मोबाइल नंबर तक कैसे पहुंच बनाई.
नई दिल्ली: कर्नाटक की मल्लेश्वरम विधानसभा सीट के मौजूदा विधायक सीएन अश्वथ नारायण – जो आगामी चुनावों में भी इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार हैं – ने मतदाताओं को वॉट्सऐप पर संदेश भेजे हैं. इन संदेशों में मतदाताओं के व्यक्तिगत मतदाता पहचान पत्रों के अंश शामिल हैं, जिससे विवाद की स्थिति बन गई है.
डेक्कन हेराल्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘(निर्वाचन क्षेत्र के) कुछ निवासियों ने इसे अवैध बताया है और सवाल किया है कि विधायक, जो (वर्तमान बसवराज बोम्मई सरकार में) एक कैबिनेट मंत्री भी हैं, ने मतदाताओं के मोबाइल नंबर तक कैसे पहुंच बनाई?’
नारायण कर्नाटक में कौशल विकास, उद्यमिता और आजीविका मंत्री हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की पहुंच मतदाताओं के फोटो वाली मतदाता सूची तक होती है, चुनाव आयोग किसी भी उम्मीदवार के साथ मोबाइल नंबर साझा नहीं करता है और न ही नंबर वोटर आईडी से जुड़े होते हैं.’
भाजपा विधायक के कार्यालय से मतदाताओं को भेजे गए संदेश में उनके नाम, मतदाता पहचान पत्र संख्या, रिश्तेदारों के नाम और बूथ का पता शामिल था. स्वाभाविक तौर पर विधायक के पास मतदाताओं के संबंधित मोबाइल नंबरों तक भी पहुंच थी.
अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि मतदाताओं में से एक ने इस मामले पर क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी के पास एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है.
विवाद ने ट्विटर पर भी अपनी जगह बना ली और लोगों ने आरोप लगाया कि यह किसी की गोपनीयता के उल्लंघन के समान है.
हालांकि विधायक के कार्यालय ने कहा है कि संदेश केवल उनके पास गए थे, जिन्होंने पहले उनके साथ अपने मोबाइल नंबर साझा किए थे, लेकिन एक्टिविस्ट्स ने इस तरह के दावे को असत्य बताया है.
डेटा तक अवैध पहुंच का संदेह जताते हुए सिटीजंस फॉर सैंके (Sankey) कलेक्टिव के एक सदस्य विनय कुमार ने कहा, ‘उम्मीदवारों को केवल छवि प्रारूप में मतदाता सूची तक पहुंच दी जाती है, न कि टेक्स्ट (शाब्दिक) प्रारूप में.’
अखबार ने कहा, ‘यह घटनाक्रम चुनावी डेटा की उस चोरी के ठीक बाद हुआ है, जिसमें एनजीओ चिलुम एजुकेशनल कल्चरल एंड रूरल डेवलपमेंट ट्रस्ट शामिल था और जिसने राज्य को हिलाकर रख दिया था.’
नवंबर 2022 में समाचार वेबसाइट ‘द न्यूज मिनट’ और ‘प्रतिध्वनि’ ने एक सनसनीखेज संयुक्त जांच में दिखाया था कि चिलुमे (एक निजी संस्था) ने बेंगलुरु महानगर पालिका के अधिकारियों के तौर पर खुद को प्रस्तुत करते हुए बेंगलुरु में लाखों मतदाताओं से व्यक्तिगत डेटा एकत्र किया था.
पिछले हफ्ते द न्यूज मिनट की एक अन्य रिपोर्ट में बेंगलुरु की एक और अन्य निजी कंपनी को राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को भारी मात्रा में मतदाता डेटा बेचते हुए दिखाया गया था.
रिपोर्ट में कहा गया कि इस नई कंपनी की अवैध गतिविधि के संबंध में जानकारी तब सामने आई, जब एक निर्दलीय उम्मीदवार ने डेटा विक्रेता द्वारा संपर्क किए जाने पर भारतीय चुनाव आयोग को सतर्क किया.
ऐसे संवेदनशील डेटा तक केवल भारतीय निर्वाचन आयोग के अधिकारियों की पहुंच होती है. बीते 26 अप्रैल को प्रकाशित द न्यूज मिनट की रिपोर्ट में कहा गया था, ‘चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, चिंता की बात यह है कि बेचे जा रहे डेटा का प्रारूप ईआरओएनईटी पर संग्रहीत डेटा के समान है, जो मतदाताओं का ईसीआई डेटा रखने वाला एक सरकारी पोर्टल है, जिस तक केवल चुनाव अधिकारियों की पहुंच होती है.’
रिपोर्ट में कहा गया कि आयोग के अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि ‘क्या कंपनी का इस्तेमाल मतदाताओं के खाते मे यूपीआई का इस्तेमाल करते हुए पैसा जमा करके रिश्वत देने के लिए किया जा सकता है.’
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