मामला कार्यकर्ता और पत्रकार सौरव दास के ट्वीट हटाने से जुड़ा है, जिसकी जानकारी उन्होंने इस महीने की शुरुआत में दी थी. नवंबर 2022 में किए गए इस ट्वीट में उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान का ज़िक्र किया था. इस संबंध में पत्रकार ने ट्विटर से जानकारी मांगी थी.
चेन्नई: ट्विटर द्वारा कार्यकर्ता और पत्रकार सौरव दास को प्रदान की गई जानकारी के अनुसार, इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने फरवरी में जारी पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एक आदेश पर अमल करते हुए भारतीय यूजर्स के ट्वीट्स को विश्व स्तर पर हटा दिया है.
द हिंदू के मुताबिक, इस कड़ी में सौरव दास के पोस्ट को भी ट्विटर ने हाल ही में हटा दिया था. दास ने आईटी नियम, 2021 के प्रावधानों के तहत ट्विटर से शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद दास को ट्विटर ने एक नोटिस भेजा था.
अखबार ने लिखा है, ‘क्षेत्रीय अनुरोध के जवाब में वैश्विक स्तर पर सामग्री को हटाना ट्विटर के लिए असामान्य है, खासकर जब रिपोर्ट की गई सामग्री दुनिया के अन्य हिस्सों में अवैध नहीं है.’
द हिंदू ने सबसे पहले 8 अप्रैल को सौरव दास के ट्वीट वैश्विक रूप से हटाए जाने की सूचना दी थी.
अखबार के मुताबिक, क्षेत्रीय अनुरोध पर वैश्विक स्तर पर सामग्री हटाने का केवल एक और उदाहरण मिलता है, लेकिन उसमें ट्विटर के नियम नहीं टूटे थे, क्योंकि कंपनी का कहना था कि ऐसा ‘प्रोडक्ट एरर’ के कारण हुआ था. यह घटना 2017 की है.
सामग्री हटाने का आदेश देने वाली जस्टिस जीएस संधावालिया और हरप्रीत कौर जीवन की पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की खंडपीठ ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का जिक्र नहीं किया था, जबकि दास के हटाए गए ट्वीट में उन पर बात की गई थी.
मामले में अदालती आदेशों की समीक्षा से पता चलता है कि मामला तीन व्यक्तियों के खिलाफ अदालत द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई अवमानना की कार्यवाही का है. अदालत ने फैसला सुनाया था कि तीन व्यक्ति कुछ टिप्पणियों से उसकी (अदालत) प्रतिष्ठा को धूमिल कर रहे थे.
दास उन तीन व्यक्तियों में से एक नहीं हैं और अदालती आदेशों में शाह का उल्लेख नहीं है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि कार्यवाही में ये ट्वीट कैसे आ गए.
अदालत ने इस आदेश को जारी करने के लिए मिसाल के तौर पर दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 2019 में फेसबुक के खिलाफ दिए गए एक वैश्विक टेकडाउन (सामग्री हटाने) पर भरोसा किया था.
ट्विटर के एक मैसेज के मुताबिक, इस मामले में प्रतिवादियों में से एक बलविंदर सेखों का भी एक ट्वीट वैश्विक स्तर पर हटाया गया था.
द हिंदू का कहना है कि वह यह सत्यापित नहीं कर सका कि क्या अदालत द्वारा सामग्री हटाए जाने के आदेश वाले तीसरे एकाउंट से किए गए ट्वीट वास्तव में हटाए गए थे या नहीं, क्योंकि उसके बाद से एकाउंट को डिलीट या निष्क्रिय कर दिया गया है.
इस महीने सौरव दास को प्रदान किए गए ईमेल की एक प्रति के अनुसार, ट्विटर द्वारा अधिसूचना 20 फरवरी को भेजी गई थी.
दास ने शनिवार को अपने एकाउंट से ट्वीट करते हुए कहा, ‘चूंकि अवमानना करने वाले दोनों लोगों, जो वर्तमान में 6 महीने की जेल की सजा काट रहे हैं, के खिलाफ स्वत: संज्ञान के आपराधिक मामले से मेरा कोई लेना-देना नहीं था, इसलिए अदालत मुझे सूचित किए बिना या मुझे मामले में पक्षकार बनाकर अपना बचाव करने का निष्पक्ष मौका दिए बिना सेंसरशिप का आदेश नहीं दे सकती थी.’
2. Indian court's jurisdiction to ban speech globally
Also begs d question- Can Indian courts order blocking access to content on a global scale? What might be considered "offending" here in India may not be so in the United States or Britain. Arguments I made below still stand.
— Saurav Das (@OfficialSauravD) April 29, 2023
On the basis of an order passed by a 2-judge bench of the Punjab & Haryana High Court in a suo-motu criminal contempt of court case, Twitter was asked to globally block 2 of my tweets related to Amit Shah's comment on d judiciary.
I am an unconnected party to this contempt case. pic.twitter.com/NE4WJYUXg6
— Saurav Das (@OfficialSauravD) April 29, 2023
I wasn't informed of such an action by the court and I am unaware on what basis the Registrar General of the High Court, acting on the 2-judge bench order, found the tweets to be "offending" and ordered their removal.
49 other tweets by contemnors were also blocked globally. pic.twitter.com/ee6zI9gULt— Saurav Das (@OfficialSauravD) April 29, 2023
On April 08, I tweeted about this global blocking of my tweets & had reached out to Twitter later.
Twitter informed me of this court order and shared a PDF document of their supposed communication with me on the matter, which I don't remember receiving.https://t.co/vmfeq5Qe1i
— Saurav Das (@OfficialSauravD) April 29, 2023
उन्होंने पूछा, ‘क्या भारतीय अदालतें वैश्विक स्तर पर सामग्री तक पहुंच को अवरुद्ध करने का आदेश दे सकती हैं. भारत में जिसे ‘अपमानजनक’ माना जा सकता है, वह जरूरी नहीं कि अमेरिका या ब्रिटेन में भी अपमानजनक हो.’
मालूम हो कि बीते सात अप्रैल को सौरव दास ने एक ट्वीट कर जानकारी दी थी कि उनके ‘ट्वीट पर केवल भारत में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर रोक लगा दी गई है.’
दास ने नवंबर 2022 में किए गए दो ट्वीट्स का एक स्क्रीनशॉट पोस्ट किया था, जिनमें से एक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का एक बयान है, साथ में एक संदेश नजर आ रहा है, जिसमें कहा गया है कि ‘इस सामग्री पर दुनिया भर में रोक लगा दी गई है’.
My tweets have been withheld not just in India, but worldwide. I don’t remember the context of tweeting this, can anyone figure out? pic.twitter.com/lUwCfV1870
— Saurav Das (@OfficialSauravD) April 7, 2023
बता दें कि हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट में पता चला है कि एलन मस्क द्वारा ट्विटर का अधिग्रहण करने के बाद यह प्लेटफॉर्म सेंसरशिप या निगरानी के लिए सरकारी आदेशों का काफी अधिक पालन करता रहा है – जिसमें भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले आदेश भी शामिल हैं.
वैश्विक स्तर पर तकनीक से जुड़ीं खबरें देने वाले समाचार वेबसाइट रेस्ट ऑफ वर्ल्ड ने ट्विटर द्वारा रिपोर्ट किए गए आंकड़ों का विश्लेषण किया है. इसके अनुसार, ट्विटर को 27 अक्टूबर 2022 से 27 अप्रैल 2023 तक 971 सरकारी और अदालती अनुरोध प्राप्त हुए हैं.
इन अनुरोधों में विवादास्पद पोस्ट को हटाने से लेकर निजी डेटा प्रस्तुत करने की मांग की गई ताकी गुमनाम एकाउंट की पहचान की जा सके.
ट्विटर ने बताया कि उसने 971 अनुरोधों में से 808 अनुरोधों का पूरी तरह से और 154 अन्य मामलों का आंशिक रूप से पालन किया. नौ अनुरोधों के संबंध में ट्विटर ने किसी विशिष्ट प्रतिक्रिया की सूचना नहीं दी.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 50 ऐसे अनुरोध किए जो कि विश्व में तीसरा सबसे अधिक था. इसके अलावा केवल तुर्की (491) और जर्मनी (255) ने अधिक अनुरोध किए. भारत द्वारा किए गए 50 में से 44 अनुरोधों का पूर्ण रूप से, पांच का आंशिक रूप से पालन किया गया और ट्विटर ने अंतिम एक अनुरोध के लिए कोई विशिष्ट प्रतिक्रिया सूचीबद्ध नहीं की है.