फरवरी महीने में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कर्नाटक में कहा था कि ‘राज्य को सिर्फ भाजपा बचा सकती है.’ इसकी आलोचना में माकपा सांसद जॉन ब्रिटास ने एक राष्ट्रीय अख़बार में आलेख लिखा था, जिसे लेकर भाजपा की केरल इकाई के महासचिव ने राज्यसभा सचिवालय और सभापति के पास शिकायत दर्ज करवाई थी.
नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सीपीआई (एम) सांसद जॉन ब्रिटास को तलब करते हुए उनके द्वारा एक अखबार में लिखे आलेख पर स्पष्टीकरण मांगा है, जिसमें उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बारे में आलोचनात्मक टिप्पणी की थी.
द टेलीग्राफ के अनुसार, ब्रिटास को शुरू में राज्यसभा सचिवालय से नोटिस दिया गया था और धनखड़ के सामने पेश होने के लिए कहा गया था. ब्रिटास ने कहा कि जब उन्होंने धनखड़ से मुलाकात की और उन्हें इस मुद्दे पर “मौखिक” जानकारी दी, तो उन्हें इसके बजाय लिखित में अपना स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया.
20 फरवरी को ब्रिटास द्वारा ‘पेरिल्स ऑफ प्रोपेगैंडा’ शीर्षक वाला लेख इंडियन एक्सप्रेस में छपा था. ब्रिटास ने शाह के ‘केवल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ही कर्नाटक की रक्षा कर सकती है’ वाले बयान को लेकर उनकी आलोचना करते हुए लिखा था:
‘हाल ही में कर्नाटक के दौरे के दौरान केरल के बारे में शाह के कटाक्ष ने खासा ध्यान खींचा है. उन्होंने कुछ गूढ़ अंदाज में कहा कि ‘केवल उनकी पार्टी ही कर्नाटक को सुरक्षित रख सकती है और पास में केरल है. मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता.’ यह पहली बार नहीं है कि उन्होंने किसी ऐसे राज्य के खिलाफ इस तरह का बयान दिया है, जिसकी जनता ने उनकी बहुसंख्यकवादी राजनीति को लगातार नकारा है. न ही वे इस देश के सबसे साक्षर राज्य के बारे में ऐसा ख़राब बोलने वाले भाजपा के इकलौते वरिष्ठ नेता हैं.’
इस लेख और ब्रिटास के विचारों पर आपत्ति जताते हुए भाजपा की केरल इकाई के महासचिव पी. सुधीर ने राज्यसभा सचिवालय और धनखड़ को पत्र लिखकर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. सुधीर ने कहा कि ब्रिटास का लेख ‘राजद्रोही आचरण’ वाला है.
ब्रिटास ने कहा कि वह इस बात से ‘हैरान’ हैं कि राज्यसभा के सभापति ने उन्हें एक अखबार के लेख के लिए बुलाया. उन्होंने टेलीग्राफ से कहा, ‘मैं इस बात से हैरान हूं कि सत्तारूढ़ पार्टी ने राज्यसभा के सभापति के पास शिकायत दर्ज करवाई और फिर सभापति ने मुझे उनकी शिकायत पर चर्चा करने के लिए औपचारिक रूप से बैठक के लिए बुलाया.’
ब्रिटास ने आगे कहा, ‘मैंने इस बारे में माननीय सभापति को पर्याप्त जानकारी दी, लेकिन एक सत्ताधारी पार्टी के पदाधिकारी द्वारा इस तरह की शिकायत दर्ज करवाने और राज्यसभा सचिवालय और सभापति द्वारा उस पर संज्ञान लेने की पूरी प्रक्रिया से मैं स्तब्ध रह गया. इस पूरी प्रक्रिया ने मुझे बिल्कुल चौंका दिया और चकित कर दिया.
बैठक के बारे में ब्रिटास ने कहा कि यह ‘सौहार्दपूर्ण चर्चा’ थी. ब्रिटास ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘मुझे सभापति (धनखड़) के साथ बैठक के लिए बुलाया गया था और उन्होंने मेरे विचार मांगे. यह एक सौहार्दपूर्ण चर्चा थी और मुझे अपना पक्ष समझाने का मौका मिला और मुझे लगता है कि उन्होंने इसकी सराहना की.’
उन्होंने उम्मीद जताई कि सभापति शिकायतकर्ता को ‘करारा जवाब’ देंगे. उन्होंने जोड़ा, ‘इस तरह की शिकायत की निंदा की जानी चाहिए. मुझे उम्मीद है कि राज्यसभा सदस्यों के अधिकारों के संरक्षक सभापति इसका करारा जवाब देंगे. मुझे यकीन है कि हमारे सभापति, जिन्हें संविधान में निहित मौलिक अधिकारों के बारे में अच्छी जानकारी है, मेरे अधिकारों की रक्षा करेंगे.’
ब्रिटास ने कहा कि उन्होंने लेख में जो लिखा है, वे उस पर कायम हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं (लेख में) गृह मंत्री द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब दे रहा था. इसमें कुछ भी गलत नहीं है और इसे एक बहुत ही प्रतिष्ठित अखबार ने प्रकाशित किया है. यह बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मेरे मूल अधिकार के अनुसार था.’
अपने लेख में ब्रिटास फरवरी में शाह द्वारा मंगलुरु में दिए गए एक भाषण का जिक्र कर रहे थे, जहां शाह ने कांग्रेस की ‘तुष्टिकरण नीतियों’ की आलोचना करते हुए कहा था कि वह कर्नाटक की ‘रक्षा’ नहीं कर सकती है. उन्होंने कहा था, ‘केरल आपके पड़ोस में है. मैं अधिक नहीं बोलना चाहता. केवल भाजपा ही मोदी के नेतृत्व में कर्नाटक की रक्षा कर सकती है.’