कर्नाटक की चामराजनगर सीट से भाजपा उम्मीदवार वी. सोमन्ना द्वारा जद (एस) प्रत्याशी मल्लिकार्जुन स्वामी को नामांकन वापस लेने के कथित प्रयासों का खुलासा सोशल मीडिया पर प्रसारित एक ऑडियो क्लिप में हुआ. इसके बदले में सोमन्ना ने ‘धन और सरकारी वाहन’ की पेशकश की थी.
नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा चुनाव मैदान में उतरे भाजपा के एक उम्मीदवार द्वारा जनता दल (सेकुलर) [जद(एस)] के एक उम्मीदवार को नामांकन वापस लेने के लिए पैसे और सरकारी गाड़ी देने की कोशिश करने का मामला सामने आया है.
चुनाव आयोग ने बीते शनिवार (29 अप्रैल) को इस मामले का गंभीरता से लिया और भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है.
चामराजनगर से भाजपा उम्मीदवार वी. सोमन्ना द्वारा जद (एस) प्रत्याशी मल्लिकार्जुन स्वामी उर्फ अलूर मल्लू को नामांकन वापस लेने के कथित प्रयासों का खुलासा सोशल मीडिया पर प्रसारित एक ऑडियो क्लिप में हुआ है.
चुनाव आयोग के अनुसार, सोमन्ना ने जद (एस) उम्मीदवार को ‘धन और सरकारी वाहन’ की पेशकश की थी.
आयोग ने कहा, ‘इस मामले में टाउन पुलिस स्टेशन, चामराजनगर में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 171ई (रिश्वत) और 171 एफ (चुनाव में अनुचित प्रभाव के लिए सजा) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.’
आयोग ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘कर्नाटक चुनाव में उम्मीदवारों और मतदाताओं को रिश्वत देने या डराने-धमकाने के किसी भी प्रयास के प्रति चुनाव आयोग कोई सहिष्णुता नहीं दिखाता है. मुख्य चुनाव अधिकारी और जिला चुनाव अधिकारी समय पर कार्रवाई करने के लिए सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी रखते हैं.’
आयोग ने कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को जमीनी स्थिति की निरंतर निगरानी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है.
प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा गया है, ‘आईपीसी, 1860 की धारा 171ई और 171एफ के तहत सजा के लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 के तहत भ्रष्ट आचरण के कारण चुनाव रद्द किया जा सकता है और उम्मीदवार को अधिनियम की धारा 8 (1) (ए) के तहत अयोग्य घोषित किया जा सकता है.’
कर्नाटक में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले तमाम तरह की शिकायतों की भरमार है. डेटा लीकेज और दुरुपयोग की चिंताएं भी कुछ समय से चल रही हैं, जिसकी रिपोर्ट द वायर ने पहले भी दी थी.
इससे पहले कर्नाटक की मल्लेश्वरम विधानसभा सीट के मौजूदा भाजपा विधायक और कैबिनेट मंत्री सीएन अश्वथ नारायण ने मतदाताओं को वॉट्सऐप पर संदेश भेज दिए थे. इन संदेशों में मतदाताओं के व्यक्तिगत मतदाता पहचान पत्रों के अंश शामिल थे, जिससे विवाद की स्थिति बन गई है. कुछ लोगों ने सवाल उठाया है कि मंत्री ने मतदाताओं के मोबाइल नंबर तक कैसे पहुंच बनाई.
अश्वथ नारायण बार भी वह इसी सीट से चुनाव मैदान में हैं.
भाजपा विधायक अश्वथ नारायण के कार्यालय से मतदाताओं को भेजे गए संदेश में उनके नाम, मतदाता पहचान पत्र संख्या, रिश्तेदारों के नाम और बूथ का पता शामिल था. स्वाभाविक तौर पर विधायक के पास मतदाताओं के संबंधित मोबाइल नंबरों तक भी पहुंच थी.
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