भारतीय ओलंपिक संघ के दस सदस्यीय एथलीट आयोग के कुछ सदस्यों ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों के समर्थन में एक बयान तैयार किया था, लेकिन एक वरिष्ठ सदस्य द्वारा रोके जाने के बाद इसे जारी नहीं किया गया. इस आयोग की अध्यक्ष पूर्व ओलंपियन और बॉक्सर मैरी कॉम हैं.
नई दिल्ली: भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) का दस सदस्यीय एथलीट आयोग भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए एक बयान जारी करना चाहता था, लेकिन कथित तौर पर ऐसा नहीं कर सका क्योंकि संस्था के एक वरिष्ठ सदस्य ने उन्हें रोक दिया.
रिपोर्ट के अनुसार, आयोग के 10 सदस्यों में से छह कथित तौर पर शनिवार को हुई एक बैठक में उपस्थित थे. हिंदुस्तान टाइम्स ने इस संबंध में बताया है कि कुछ सदस्य कथित तौर पर परेशान हैं कि आयोग प्रदर्शनकारी पहलवानों का सक्रियता से समर्थन नहीं कर रहा है, जिनमें से एक सदस्य जंतर-मंतर भी जाना चाह रहे थे लेकिन अन्य सदस्य ने रोक दिया.
आयोग के दो सदस्यों ने इस अख़बार को बताया है कि (बयान जारी करने के बारे में) सब कुछ शनिवार को तय किया गया था. उन्होंने कहा, ‘हम सब एकमत थे. हम सहमत थे कि एथलीट कमीशन ने काफी हद तक पहलवानों को निराश किया है. उनको लेकर एक भी बयान नहीं दिया गया, न ही जनवरी में और न ही अप्रैल में.’
एक सदस्य ने अखबार को बताया, ‘इसलिए यह निर्णय लिया गया कि हम पहलवानों के समर्थन में एक सार्वजनिक बयान जारी करेंगे. पत्र का मसौदा तैयार हो गया था लेकिन इससे पहले कि हम इसे सार्वजनिक करते, इसे रोक दिया गया.’
दोनों ने यह स्पष्ट किया कि आयोग के सदस्य जो शनिवार की बैठक में शामिल हुए थे, ने एक बयान जारी करने का फैसला किया था. हालांकि, वहां सभी सदस्य मौजूद नहीं थे- जिनमें अध्यक्ष मैरी कॉम भी शामिल हैं, जो सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए सरकार द्वारा नियुक्त समिति की प्रमुख भी हैं.
बैठक में मौजूद एक सदस्य ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, ‘बैठक में भाग लेने वालों में से अधिकांश चाहते थे कि बयान जारी हो, लेकिन केवल छह सदस्य मौजूद थे, ऐसे में यह वास्तव में एथलीट आयोग का बहुमत नहीं था.’
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, शीतकालीन ओलंपियन शिवा केशवन ने बयान का मसौदा तैयार किया था, जिसमें तटस्थ शब्दों का इस्तेमाल किया गया था और सुरक्षित खेल के लिए उचित तंत्र पर जोर दिया गया था. जब बैठक के दौरान मसौदे पर सहमति बनी तो लंदन ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता गगन नारंग ने बाद में उनके वॉट्सऐप ग्रुप में कहा कि बयान जारी करने के लिए ‘बहुत देर हो चुकी है.’ नारंग आईओए के उपाध्यक्ष भी हैं.
वर्तमान विवाद में आईओए की भूमिका इसकी अध्यक्ष पीटी उषा द्वारा दिए गए बयान के कारण पहले से ही सवालों के घेरे में है. उषा ने कहा था, ‘खिलाड़ियों को सड़कों पर विरोध नहीं करना चाहिए था. उन्हें कम से कम कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए था. उन्होंने जो किया है वह खेल और देश के लिए अच्छा नहीं है. यह एक नकारात्मक दृष्टिकोण है.’ उन्होंने यह भी कहा था कि विरोध ‘अनुशासनहीनता के बराबर है.’
ज्ञात हो कि भारत के शीर्ष पहलवान- बजरंग पुनिया, रवि दहिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट समेत कई पहलवान- जो विभिन्न राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में भारत का नाम रोशन कर चुके हैं, बीते जनवरी माह में डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगाकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए थे.
खेल मंत्रालय के आश्वासन और एक निगरानी समिति के गठन के बाद उन्होंने धरना खत्म कर दिया था और इस दौरान बृजभूषण को महासंघ के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों से अलग कर दिया गया था.
लेकिन, बीते 23 अप्रैल को यह विवाद तब फिर से सुर्खियों में आ गया, जब पहलवानों ने फिर से दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना शुरू कर दिया. पहलवानों की मांग थी कि सरकार डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के खिलाफ आरोपों की जांच करने वाली निगरानी समिति के निष्कर्षों को सार्वजनिक करे और मामले में दिल्ली पुलिस एफआईआर दर्ज करे.
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया और सुप्रीम कोर्ट ने भी इन आरोपों का ‘गंभीर स्तर’ का पाया, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने भी बृज भूषण के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज कर लीं. लेकिन, पहलवान अभी सिंह की गिरफ्तारी की मांग पर अड़े हुए हैं. वहीं, रिपोर्ट अभी भी सार्वजनिक नहीं की गई है.
सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में विरोध प्रदर्शन के एक प्रमुख चेहरे बजरंग पुनिया ने कहा कि एशियाई खेल महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सिंह द्वारा उत्पीड़ित की गईं ‘बेटियों के लिए न्याय’ उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा, ‘हम खेलना चाहते हैं, ऐसा नहीं है कि हम एशियाई खेलों में नहीं जाना चाहते हैं. लेकिन मेरा मानना है कि इस देश की बेटियों के लिए न्याय पाना एक एशियाई पदक से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है.’
एशियाई खेलों के लिए विशिष्ट रूप से उनकी टिप्पणी इसलिए है क्योंकि देखा जाए तो इस समय खिलाड़ी इन खेलों की तैयारी में व्यस्त होते.
पुनिया ने विरोध प्रदर्शनों के मीडिया कवरेज पर भी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि मीडिया सिंह का समर्थन कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘उनके (सिंह के) आपराधिक रिकॉर्ड को देखें, उस पर कोई सवाल नहीं है. जब हम देश के लिए पदक लाते हैं तो उस पर सवाल पूछे जाते हैं.’