तमिलनाडु: आलोचना के बाद सरकार ने फैक्ट्रियों में 12 घंटे की ड्यूटी का नियम वापस लिया

बीते 21 अप्रैल को तमिलनाडु विधानसभा ने कारखाना (संशोधन) विधेयक 2023 पारित किया था जिसमें काम के घंटे बढ़ाकर 12 घंटे कर दिए गए थे. अब मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा है कि कई श्रमिक संगठनों द्वारा व्यक्त की गई आशंकाओं के बाद विवादास्पद अधिनियम को वापस ले लिया गया है.

एमके स्टालिन. (फोटो साभार: फेसबुक)

बीते 21 अप्रैल को तमिलनाडु विधानसभा ने कारखाना (संशोधन) विधेयक 2023 पारित किया था जिसमें काम के घंटे बढ़ाकर 12 घंटे कर दिए गए थे. अब मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा है कि कई श्रमिक संगठनों द्वारा व्यक्त की गई आशंकाओं के बाद विवादास्पद अधिनियम को वापस ले लिया गया है.

एमके स्टालिन. (फोटो साभार: फेसबुक)

चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार ने श्रमिकों के हित में कारखाना (संशोधन) अधिनियम 2023 को वापस ले लिया है, जिसमें श्रमिकों के लिए काम के घंटे बढ़ाकर 12 घंटे कर दिए गए थे.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने कहा कि न केवल सुधारों के लिए, बल्कि किसी मुद्दे पर आम राय को स्वीकार करने के लिए भी साहस की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि कई मजदूर संगठनों द्वारा व्यक्त की गई आशंकाओं के बाद विवादास्पद अधिनियम को वापस ले लिया गया है.

मई दिवस समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कारखाना (संशोधन) अधिनियम 2023, जिसमें उद्योगों के लिए काम की अवधि को 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे करने का प्रावधान था, को श्रमिकों के हित में वापस ले लिया गया है.

उन्होंने कहा, ‘मैंने कभी इसे अपमान के रूप में नहीं लिया. मैंने इसे गौरव के रूप में लिया, क्योंकि कानून बनाने के लिए ही नहीं, बल्कि इसे वापस लेने के लिए भी साहस की जरूरत होती है. हमें कलैगनार (पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि) ने इसी तरह प्रशिक्षित किया है. मजदूर संगठनों द्वारा संदेह जताए जाने के दो दिनों के भीतर ही इसे वापस ले लिया गया है.’

बिल की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी जल्द ही सभी विधायकों को दी जाएगी. उन्होंने कहा, ‘हम किसी भी परिस्थिति में श्रमिकों के कल्याण से समझौता नहीं करेंगे. उद्योगों को विकसित और श्रमिकों को समृद्ध होना चाहिए.’

गौरतलब है कि 21 अप्रैल को तमिलनाडु विधानसभा ने कुछ दलों के विरोध के बीच कारखाना (संशोधन) विधेयक 2023 पारित किया था.

कई राजनीतिक दलों और श्रमिक संघों के 24 अप्रैल के विरोध प्रदर्शन के बाद राज्य सरकार ने घोषणा की कि वह उक्त अधिनियम के अमल पर रोक लगा रही है.