शरद पवार के एनसीपी प्रमुख के पद से इस्तीफ़े समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख 82 वर्षीय शरद पवार ने मंगलवार को घोषणा की है कि वे अपने पद से इस्तीफ़ा दे रहे हैं. दक्षिण मुंबई के वाईबी चह्वाण ऑडिटोरियम में एनसीपी कार्यकर्ता पवार के राजनीति में 63 वर्ष पूरे होने के मौके पर एकत्र हुए थे और यहीं उनकी आत्मकथा ‘लोक माझे संगती’ भी रिलीज़ हुई.

1999 में पार्टी बनने के बाद से वे चौबीस वर्षों से इस पद को संभाल रहे थे. पवार 27 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने थे और 38 वर्ष की आयु में उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी. रिपोर्ट के अनुसार, एनसीपी कार्यकर्ताओं ने उनके इस्तीफे को वापस लेने की मांग करते हुए ऑडिटोरियम के बाहर प्रदर्शन किया और उनसे इस बारे में दोबारा विचार करने को कहा है.

गुजरात हाईकोर्ट ने मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. द हिंदू के अनुसार, उन्हें कोई अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए जस्टिस हेमंत प्रच्छक ने कहा कि मामले को देखते हुए यही ठीक होगा कि एक आखिरी निर्णय दिया जाए. अदालत ग्रीष्मावकाश के बाद इस मामले को सुनेगी.

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत सोमवार को मज़दूर दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के कहा कि उनके राज्य में होने वाले नब्बे प्रतिशत अपराध प्रवासी मजदूर करते हैं. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सावंत ने ठेकेदारों और नियोक्ताओं से राज्य में श्रमिकों को काम पर रखने से पहले एक ‘लेबर कार्ड’ बनाने की अपील करते हुए जोड़ा कि गोवा में अधिकतम अपराध प्रवासी मज़दूरों द्वारा किए जाते हैं, जो अपराध करके वे अपने राज्य लौट जाते हैं और उन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता है.

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा द्वारा जारी चुनावी घोषणापत्र में पार्टी ने समान नागरिक संहिता और एनआरसी लाने का वादा किया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को घोषणापत्र जारी किया, जिसमें कहा गया है कि समान नागरिक संहिता लागू करने के उद्देश्य के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा. इस उच्च-स्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर यूसीसी लागू किया जाएगा. पार्टी ने उत्तराखंड और गुजरात जैसे भाजपा शासित कुछ राज्यों ने इसे लागू करने की दिशा में कदम उठाया है. नवंबर-दिसंबर 2022 में संपन्न गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी समान नागरिक संहिता को लागू करना भाजपा के प्रमुख मुद्दों में शामिल था.

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने लगातार चौथे साल अमेरिकी प्रशासन से भारत को ‘विशेष चिंता वाले देश’ (कंट्रीज़ ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न- सीपीसी) की सूची में रखने की सिफारिश की है. रिपोर्ट के अनुसार, आयोग साल 2020 से यही सिफारिश कर रहा है, हालांकि अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट ने इसे स्वीकार नहीं किया है. सोमवार को जारी इसकी वार्षिक रिपोर्ट में इसने ईरान और पाकिस्तान सहित 12 देशों को सीपीसी के रूप में फिर से नामित करने की सिफारिश की है.

मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ की समयसीमा को बढ़ाकर जून 2024 कर दिया गया है. पहले यह समयसीमा इस साल जून महीने तक की थी. शहरी आवास एवं विकास मंत्रालय ने कहा है कि सौ स्मार्ट सिटी द्वारा इनके प्रोजेक्ट पूरे किए जा सकें इसलिए डेडलाइन को बढ़ाया गया है. इससे पहले साल 2021 में इस समयसीमा को बढ़ाकर जून 2023 किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को विवादित फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ को हेट स्पीच बताकर इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. वकील निज़ाम पाशा की याचिका में फिल्म को दुष्प्रचार कहा गया था. बार एंड बेंच के मुताबिक, शीर्ष अदालत ने उन्हें हाईकोर्ट जाने को कहा है. इस बीच, समाचार एजेंसी आईएएनएस ने बताया कि अब तक फिल्म के इंट्रो में कहा गया था कि फिल्म ‘केरल राज्य की 32,000 गुमशुदा लड़कियों के आईएसआईएस में शामिल होने की बात करती है. हालांकि, बीते दिनों इसे लेकर उठे विवाद के बाद निर्माताओं ने इंट्रो में लड़कियों की संख्या ‘तीन’ कर दी है.

तमिलनाडु सरकार ने व्यापक आलोचना और विरोध के बाद कारखाना (संशोधन) अधिनियम 2023 को वापस ले लिया है, जिसमें उद्योगों में श्रमिकों के लिए काम के घंटे बढ़ाकर 12 घंटे करने की बात कही गई थी. हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया कि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार ने कई मजदूर संगठनों द्वारा व्यक्त की गई आशंकाओं के बाद विवादास्पद अधिनियम को वापस ले लिया गया है. बीते 21 अप्रैल को तमिलनाडु विधानसभा ने कुछ दलों के विरोध के बीच पारित इस नियम को लेकर कई राजनीतिक दलों और श्रमिक संघों के विरोध प्रदर्शन के बाद राज्य सरकार ने इसके अमल पर रोक लगाने की बात कही थी.

ओडिशा सरकार ने सोमवार से राज्य में पिछड़ी जाति समुदायों (ओबीसी) की सामाजिक और शैक्षिक स्थिति को लेकर पहला सर्वेक्षण शुरू किया है. जाति के आधार पर सर्वे करने वाला यह बिहार के बाद दूसरा राज्य है. ओडिशा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा किया जा रहा सर्वेक्षण 27 मई को समाप्त होगा. बताया गए है कि राज्य के निवासी सर्वेक्षण को ऑनलाइन या ऑफलाइन पूरा कर सकते हैं. हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया कि सर्वे में ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोगों से पूछा जाएगा कि वे किस तरह के घरों में रहते हैं, उनकी आजीविका क्या है, साथ ही बुनियादी ढांचे तक पहुंच, अस्पतालों, स्कूलों, बाजारों, कॉलेजों आदि के बारे में भी सवाल होंगे.

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