डब्ल्यूएफआई: पहलवानों का खेल मंत्री पर मामले को दबाने का आरोप, कहा- पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही

प्रदर्शनकारी पहलवानों का आरोप है कि भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ पॉक्सो समेत दो एफ़आईआर दर्ज होने के बाद भी दिल्ली पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं है क्योंकि न तो सिंह और न ही यौन उत्पीड़न की शिकायत करने वाली महिलाओं को पूछताछ के लिए बुलाया गया है.

(बाएं से दाएं) बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जंतर मंतर पर. (फोटो साभार: ट्विटर/@RakeshTikaitBKU)

प्रदर्शनकारी पहलवानों का आरोप है कि भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ पॉक्सो समेत दो एफ़आईआर दर्ज होने के बाद भी दिल्ली पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं है क्योंकि न तो सिंह और न ही यौन उत्पीड़न की शिकायत करने वाली महिलाओं को पूछताछ के लिए बुलाया गया है.

(बाएं से दाएं) बजरंग पुनिया, विनेश फोगट और साक्षी मलिक जंतर मंतर पर.(फोटो साभार: ट्विटर/@RakeshTikaitBKU)

नई दिल्ली: प्रदर्शनकारी पहलवानों ने आरोप लगाया है कि बीते 28 अप्रैल को भारतीय जनता पार्टी के सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दो प्राथमिकी (एक पॉक्सो सहित) दर्ज होने के बाद भी मामले पर दिल्ली पुलिस कोई कार्रवाई करती नजर नहीं रही है क्योंकि न तो सिंह और न ही यौन उत्पीड़न की शिकायत करने वाली महिलाओं को पूछताछ के लिए बुलाया गया है.

द ट्रिब्यून के मुताबिक, जंतर मंतर पर विरोध करने वाले प्रसिद्ध पहलवानों में से एक बजरंग पुनिया ने कहा, ‘दिल्ली पुलिस ने अब तक कुछ भी नहीं किया है.’

वहीं, साक्षी मलिक ने कहा, ‘पीड़ितों के बयान दर्ज किए जाने बाकी हैं. यह कैसी जांच है? बृजभूषण को अभी तलब नहीं किया गया है.’

विनेश फोगट ने कहा, ‘मामला क्यों खिंच रहा है और कार्रवाई इतनी धीमी क्यों है, इसका कारण यह है कि केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने मामले को दबाने का प्रयास किया है. पहलवानों ने जनवरी में ठाकुर से मुलाकात की थी और उनके आश्वासन के आधार पर एक दिन बाद अपना विरोध प्रदर्शन बंद कर दिया था, लेकिन उन्होंने निष्पक्ष जांच के वादे को पूरा नहीं किया.’

उन्होंने कहा, ‘हमने तीन-चार महीने इंतजार किया लेकिन जब कुछ नहीं हुआ तो हम जंतर-मंतर आ गए. जब हम खेल मंत्री से मिले तो महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न से जुड़ी अलग-अलग घटनाओं को साझा किया. उनके सामने लड़कियां रो रही थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. खेल मंत्री ने एक बार फिर कमेटी बनाकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की. हमने इस मुद्दे को हर स्तर पर उठाने की कोशिश की है लेकिन इस मामले को हमेशा दबा दिया गया.’

सिंह के विरोध में पुनिया, मलिक और विनेश आगे रहे हैं. विनेश की बहन बबीता फोगट, जो एक पहलवान भी हैं, 2019 में भाजपा में शामिल हुई थीं – और हालिया विरोध-प्रदर्शन दोनों बहनों के बीच असहमति के बिंदु के रूप में उभरा है. बबीता ने विरोध प्रदर्शनों पर सवाल उठाया है, यहां तक कि इसे एक राजनीतिक चाल बताया है.

इसे लेकर विनेश ने हाल ही में ट्वीट किया था, ‘अगर आप पीड़ित महिला पहलवानों के हक के लिए नहीं खड़ी हैं तो बबिता बहन आपसे हाथ जोड़कर विनती करती हूं कि हमारे आंदोलन को कमजोर न करें. महिला पहलवानों को अपशब्द कहने वालों के खिलाफ बोलने में कई साल लग गए हैं. आप भी एक महिला हैं, हमारे दर्द को समझने की कोशिश करें.’

बबीता सरकार द्वारा नियुक्त उस पैनल का हिस्सा हैं जिसे बॉक्सर मैरी कॉम के नेतृत्व में सिंह के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए नियुक्त किया गया था. हालांकि, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उनका इस समिति से विश्वास उठ गया है, जो खिलाड़ियों के हित में काम नहीं कर रही है. इस बीच, भारतीय ओलंपिक संघ की प्रमुख पीटी उषा ने भी विरोध प्रदर्शनों की आलोचना की थी.

द ट्रिब्यून के अनुसार, मलिक ने कहा, ‘हम मैरी कॉम और पीटी उषा जैसे लोगों को पसंद करने वालों की तुलना में बेहतर हैं. अगर उनके जैसे पूर्व एथलीट हमारा समर्थन नहीं करते हैं तो यह शर्म की बात है. हम नहीं चाहते कि वे यहां हमारे साथ बैठें. हम बस इतना चाहते हैं कि वे हमारा समर्थन करें.’

उन्होंने कहा, ‘मैं बचपन से सुनती आ रही हूं कि नेताओं पर भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि वे अपने परिवारों पर पलटवार करते हैं. उन्होंने (उषा और मैरी) इसे साबित कर दिया है. ये वे लोग हैं जिन्हें देखते हुए मैं बड़ी हुई हूं और इनके जैसे बनने की ख्वाहिश रखती थी, लेकिन मैंने अपने सबक कठिन तरीके से सीखे हैं.’

पुनिया भी इस बात से सहमत थे कि इन खिलाड़ियों को अब खेल खेलने वालों की सुरक्षा से ज्यादा अपनी पोजीशन की चिंता है. उन्होंने कहा, ‘पीटी उषा को यह महसूस करना चाहिए कि उन्हें यह मुकाम उनकी खेल की उपलब्धियों के कारण मिला है, लेकिन वह अब एक नेता बन गई हैं.’

पहले बोलना चाहते थे मगर करिअर ख़त्म होने के डर से चुप रहे- साक्षी मलिक

इस बीच, इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब पहलवानों ने बृजभूषण के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों से संपर्क किया है.

उन्होंने आरोप लगाया कि 2012 में लगभग आधा दर्जन जूनियर एथलीटों ने उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए लखनऊ में पुलिस से संपर्क किया था, लेकिन भाजपा के कद्दावर व्यक्ति के प्रभाव के कारण उसे दबा दिया गया.

साक्षी ने कहा, ‘2012 में लखनऊ में जूनियर्स के लिए एक राष्ट्रीय शिविर आयोजित किया गया था. यौन उत्पीड़न के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी, लेकिन 24 घंटे के भीतर मामला सुलझा लिया गया और एफआईआर गायब हो गई. लगभग 5-7 लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पुलिस से संपर्क किया था.’

पहलवान ने कहा कि यह कोई एक बार का मामला नहीं है जब बृजभूषण ने कानून से बचने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया है. उन्होंने कहा, ‘2014 में आपने एक फिजियो (परमजीत मलिक) के बारे में सुना होगा जो राष्ट्रीय शिविर में थे और गीता फोगट के साथ काम करते थे. उनकी पत्नी भी एक पहलवान थीं, जो तब राष्ट्रीय शिविर में थीं. जब उन्होंने इन चीजों के खिलाफ आवाज उठाई और अन्य कोचों से इस बारे में बात की तो फिजियो और उनकी पहलवान पत्नी को बिना समय गंवाए शिविर से हटा दिया गया और उस दिन के बाद से वह किसी भी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले सकीं.’

ज्ञात हो कि परमजीत ने इससे पहले बताया था कि फरवरी में वह बृजभूषण के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए खेल मंत्रालय द्वारा गठित निगरानी समिति के समक्ष दो बार पेश हुए थे – पहले व्यक्तिगत रूप से और फिर वीडियो कॉल द्वारा. उन्होंने कहा कि उन्होंने पैनल को 2014 की घटना भी बताई थी.

परमजीत ने कहा, ‘मैं 2014 में (विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता) गीता फोगट का निजी फिजियो था. कैडेट पहलवान टूट गए और उन्होंने 2014 में लखनऊ में राष्ट्रीय शिविर के दौरान बृजभूषण द्वारा कथित यौन उत्पीड़न के बारे में मुझे और मेरी पत्नी सुमन कुंडू सहित वरिष्ठ पहलवानों को बताया.’

इन कथित घटनाओं पर साक्षी और अन्य विरोध करने वाले पहलवानों ने कहा कि उन्हें बृजभूषण की ताकत और प्रभाव ने भयभीत कर दिया था. भले ही वे बोलना चाहते थे, उन्हें लगा कि उस समय जूनियर एथलीटों के रूप में उनका करिअर खत्म हो जाएगा.

साक्षी ने मंगलवार को मीडिया से कहा, ‘यही कारण है कि हम इतने लंबे समय तक चुप रहे. हम कुश्ती लड़ना चाहते थे और अपने करिअर को बचाना चाहते थे क्योंकि हम जानते थे कि इसका अंत कैसे होगा. हमने तब अपनी आवाज उठाने की हिम्मत नहीं की थी, लेकिन आज हम उस जगह पर पहुंच गए हैं जहां हम अपने साथी एथलीटों के लिए बोल सकते हैं.’

रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच, सिंह ने हाल ही में घोषणा की कि उनके खिलाफ सभी शिकायतकर्ताओं – दिल्ली पुलिस से संपर्क करने वाली सात महिलाएं थीं – को ‘भुगतान’ कर दिया गया है. उनके अनुसार, विरोध करने वाले पहलवान वे थे जो ‘शाहीन बाग और किसानों के विरोध’ में थे.

इस बीच, नई दिल्ली में बेमौसम बारिश के बावजूद पहलवान जंतर-मंतर में धरना स्थल पर डटे हैं.

उन्होंने कहा कि सिंह के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं, मौखिक दुर्व्यवहार आदि के कई आरोप भी हैं. पहलवानों ने कहा है कि वे तब तक अपना विरोध जारी रखेंगे जब तक वे आश्वस्त नहीं हो जाते कि अधिकारी सिंह के खिलाफ कार्रवाई को लेकर गंभीर हैं.

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