कर्नाटक चुनाव: निर्वाचन आयोग ने भड़काऊ बयानबाजी को लेकर परामर्श जारी किया

निर्वाचन आयोग ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान बयानबाज़ी के स्तर में गिरावट को गंभीरता से लेते हुए सभी राष्ट्रीय और राज्य के दलों और उम्मीदवारों को प्रचार के दौरान अपने बयानों में सावधानी और संयम बरतने तथा चुनाव के माहौल को ख़राब न करने के लिए कहा है.

(फोटो: पीटीआई)

निर्वाचन आयोग ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान बयानबाज़ी के स्तर में गिरावट को गंभीरता से लेते हुए सभी राष्ट्रीय और राज्य के दलों और उम्मीदवारों को प्रचार के दौरान अपने बयानों में सावधानी और संयम बरतने तथा चुनाव के माहौल को ख़राब न करने के लिए कहा है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भारत निर्वाचन आयोग ने कर्नाटक विधानसभा में चल रहे चुनाव अभियान के दौरान बयानबाजी के स्तर में गिरावट को गंभीरता से लेते हुए सभी राष्ट्रीय और राज्य के दलों और उम्मीदवारों को प्रचार के दौरान अपने बयानों में सावधानी और संयम बरतने और चुनाव के माहौल को खराब न करने की परामर्श जारी किया है.

रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि चुनाव आयोग किन घटनाओं का जिक्र कर रहा है. इससे पहले कांग्रेस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान पर आपत्ति जताई थी जहां उन्होंने कहा था कि अगर राज्य में कांग्रेस सत्ता में आई, तो दंगे होंगे.

आयोग ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि उसका ध्यान हाल ही में व्यक्तियों, विशेष रूप से स्टार प्रचारक के रूप में वैधानिक दर्जा वाले लोगों द्वारा प्रचार अभियान के दौरान उपयोग की जाने वाली अनुचित शब्दावली और भाषा के मामलों की ओर दिलाया गया है. इस तरह के मामलों ने विभिन्न शिकायतों, काउंटर शिकायतों को जन्म दिया है.

परामर्श में कहा गया, ‘सभी पार्टियों और हितधारकों के लिए चुनाव प्रचार के दौरान आदर्श आचार संहिता और उनके बयानों में कानूनी ढांचे के दायरे में रहना अनिवार्य है ताकि राजनीतिक संवाद की गरिमा को बनाए रखा जा सके और चुनावी अभियान के माहौल को खराब न किया जा सके. इस प्रकार उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे मुद्दे पर आधारित बहस के स्तर को बनाए रखने और बढ़ाने में योगदान दें, अखिल भारतीय परिप्रेक्ष्य प्रदान करें, स्थानीय संवाद को गहराई प्रदान करें और निर्वाचकों के सभी वर्गों को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में पूरी तरह से और निडर होकर भाग लेने के लिए आश्वस्त करें.’

आयोग ने यह भी चेतावनी दी कि आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों के अनुसार, भड़काऊ बयानों, शालीनता की सीमा को पार करने वाली असंयमित और अपमानजनक भाषा का उपयोग, व्यक्तिगत चरित्र और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के आचरण पर हमले चुनावी स्तर को खराब करते हैं.